Stock Market: इस सप्ताह की शुरुआत में शेयर बाजार में जो गिरावट आई थी, वह अब थमती दिख रही है। बैंक ऑफ जापान (बीओजे) द्वारा ब्याज दरों में अप्रत्याशित वृद्धि और अमेरिका के आर्थिक आंकड़ों के कारण यह आशंका बढ़ गईं कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी की ओर जा रही हैं। उसके बाद से ज्यादातर प्रमुख वैश्विक बेंचमार्क ने सुधार कर लिया है। भारत में एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी 50 दुनिया के अन्य शेयर बाजारों की तुलना में मजबूत रहे हैं।
इसके बावजूद जेफरीज और जूलियस बेयर के विश्लेषकों का सुझाव है कि बाजार में गिरावट का संबंध बुनियादी वजहों (fundamental) के बजाय तकनीकी कारकों और फंड प्रवाह से था। उनका मानना है कि बाजारों का बुरा दौर अभी खत्म नहीं हुआ है। जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने निवेशकों को लिखे अपने साप्ताहिक नोट ‘ग्रीड ऐंड फीयर’ में कहा है कि अमेरिका में रोजगार के कमजोर आंकड़ों के साथ ही बैंक ऑफ जापान की दर वृद्धि का आना निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है।
‘बिक्री की एक और लहर का खतरा’
वुड ने कहा ‘वास्तविकता यह है कि किसी बुनियादी चीज के बजाय यह गिरावट तकनीकी कारकों, लाभकारी पोजीशन की बिक्री से प्रेरित रही है। बैंक ऑफ जापान को मौद्रिक नीति को सामान्य बनाने में जितना ज्यादा वक्त लगेगा, कैरी ट्रेड उतना ही बड़ा होगा और आखिरकार व्यवधान भी उतना ही अधिक होगा। दुर्भाग्य से सूचीबद्ध प्रतिभूतियां को अब उन निवेशकों की जबरिया बिकवाली के एक और दौर से खतरा है, जिन्होंने कम भुनाए जाने वाले निवेश कर रखे हैं।’
पिछले कुछ दिनों में अधिकांश वैश्विक बाजारों को नुकसान उठाना पड़ा है। इनमें निक्केई 225 सूचकांक सबसे अधिक (नौ प्रतिशत से ज्यादा) गिरा है। इसके बाद स्ट्रेट्स टाइम्स, कोस्पी, ताइवान वेटेड, शांघाई कंपोजिट और निफ्टी50 का स्थान रहा।
आंकड़ों के अनुसार इनमें दो से सात प्रतिशत के बीच गिरावट आई है। इस दौरान एफटीएसई, सीएसी 40 और डीएएक्स में भी 2.2 प्रतिशत तक की गिरावट आई। अमेरिका में एसऐंडपी 500 और नैस्डैक इस सप्ताह एक प्रतिशत तक लुढ़क गए।
हालांकि निकट भविष्य में बाजारों में उतार-चढ़ाव जारी रहने के आसार हैं, लेकिन जूलियस बेयर के विश्लेषकों को घबराने की कोई वजह नहीं दिखती। उनका कहना है कि अमेरिका में मंदी आने के संकेत काफी कम हैं।
बाजार की गतिविधियों का बुनियादी चीजों से काफी कम संबंध है और बाजार के तकनीकी और धन की आवक से काफी ज्यादा संबंध रहता है जो हाल के सप्ताह और महीनों में तेजी से बढ़ा है। जूलियस बेयर के विश्लेषकों के अनुसार वैश्विक शेयर बाजारों में उसी जगह मजबूत होने का दौर अच्छा और आवश्यक है क्योंकि बाजारों में बहुत अधिक उत्साह है जो निवेशकों की अत्यधिक बढ़ी हुई पोजिशनिंग में दिखता है।
एक्सपर्ट्स की सलाह, चुनिंदा शेयरों पर करें फोकस
जूलियस बेयर में एशिया के शोध प्रमुख मार्क मैथ्यूज ने अन्य लेखक के साथ हाल में लिखा है ‘हमें जापानी शेयरों के लिए फंडामेंटल्स में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं दिख रहा है। बुनियादी रूप से अमेरिकी अर्थव्यवस्था ठंडी पड़ रही है, लेकिन मंदी की ओर ले जाने वाले दुष्चक्र के कुछ संकेत हैं। आने वाले महीनों में अमेरिकी फेडरल रिजर्व से धीरे-धीरे अपनी ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है। इस पृष्ठभूमि में निवेशकों को न घबराने की सलाह दी जाती है।’
दूसरी तरफ, वुड भारतीय शेयरों पर ‘सामरिक रूप से सतर्क’ हो गए हैं और उन्होंने कहा है कि वह अपने निवेश योग्य सरप्लस का एक तिहाई मौजूदा स्तर पर भारत में निवेश करना चाहेंगे। हालांकि, लॉन्ग टर्म नजरिए से वह भारतीय इक्विटी को लेकर उत्साहित हैं और वैश्विक स्तर पर उनकी 26 फीसदी हिस्सेदारी लंबे समय से केवल भारतीय शेयरों में है।