Tariffs On India: अमेरिकी ने भारत से आयात पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लागू कर दिया है। विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि इससे बाजारों पर निकट भविष्य में दबाव बना रह सकता है। निफ्टी और सेंसेक्स दोनों ने मंगलवार को लगभग 1% की गिरावट दर्ज की थी, जो तीन महीनों में उनकी सबसे तेज एकदिनी गिरावट रही। वहीं, बुधवार को घरेलू बाजार एक स्थानीय अवकाश के कारण बंद रहे।
बाजार के जानकारों के अनुसार, अमेरिका ने भारत के रूस से तेल खरीदने के कारण भारतीय वस्तुओं पर एक्सट्रा 25 फीसदी टैरिफ लागू करने के बाद बाजार को भारी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
स्वास्तिक इन्वेस्टमार्ट के रिसर्च हेड संतोष मीणा ने कहा, ”अमेरिका के भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ ने तेज बिकवाली को ट्रिगर कर दिया है। इससे बाजार में शॉर्ट टर्म में बाजार में दबाव देखने को मिल सकता है।”
इस बीच फॉक्स बिज़नेस के साथ बातचीत में अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसंट ने भारत-अमेरिका संबंधों को बहुत जटिल बताया मगर उम्मीद जताई है कि अंत में, हम एक साथ आ जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत ही जटिल रिश्ता है। यह सिर्फ़ रूसी तेल का मामला नहीं है। उनकी यह टिप्पणी ट्रंप द्वारा रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर लगाए गए अतिरिक्त 25 फीसदी जुर्माने के कुछ घंटों बाद आई है। नया शुल्क आज से प्रभावी हो गया है।
अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार और निर्यात स्थान है। वहां अब भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाया गया है। इससे देश के निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अपने कुल निर्यात का 20 फीसदी अमेरिका भेजा था।
गोकलदास एक्सपोर्ट्स, इंडो काउंट इंडस्ट्रीज, पर्ल ग्लोबल, केपीआर मिल, अरविंद, वेलस्पन लिविंग जैसे स्टॉक्स पर अमेरिकी के भारी टैरिफ का असर देखने को मिल सकता है। इन कंपनियों की अमेरिकी बाजार में 25 से 70 फीसदी के बीच बिक्री हिस्सेदारी है।
इसके अलावा एसआरएफ, नवीन फ्लोरीन, गैलेक्सी सर्फेक्टेंट्स जैसी केमिकल स्टॉक्स भी टैरिफ के लागू होने के बाद रियेक्ट कर सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस कंपनियों का अमेरिकी बाजार में अच्छा-खासा एक्सपोजर है।
वहीं, झींगा फीड से जुड़ी कंपनियां अमेरिकी बाजार पर बहुत निर्भर करती है। इस सेगमेंट में अवंती फीड्स, एपेक्स फ्रोजन फूड्स और वॉटरबेस के शेयरों में ट्रंप के टैरिफ का असर देखने को मिल सकता है। ये कंपनियां अपना 50 से 60 फीसदी कारोबार अमेरिकी बाजार में करती हैं।