उच्च टैरिफ की घोषणा और जुर्माने की धमकी भारतीय शेयर बाजारों को बहुत ज्यादा हिला नहीं पाई और बेंचमार्क सूचकांकों ने मामूली गिरावट के साथ कारोबारी सत्र की समाप्ति की। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी करीब एक फीसदी तक टूट गए थे, लेकिन एक समय वे अपने नुकसान की भरपाई में कामयाब रहे। हालांकि अंत में वे लाल निशान में बंद हुए।
सेंसेक्स 296 अंक यानी 0.4 फीसदी गिरकर 81,186 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 87 अंकों की फिसलन के साथ 24,768 पर टिका। दिन के निचले स्तर पर सेंसेक्स 787 अंक तक टूट गया था। विशेषज्ञों ने बाजार की मजबूती का श्रेय बेंचमार्क सूचकांकों में अहम भारांश वाली कंपनियों की निर्यात पर न्यूनतम निर्भरता को दिया। निवेशकों का मानना है कि टैरिफ की धमकियां काफी हद तक सौदेबाजी की रणनीति हैं। उन्हें उम्मीद है कि भारत-अमेरिका वार्ता पूरी होने के बाद अंतिम दरें कम ही होंगी।
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी अमेरिकी टैरिफ लगाने का प्रस्ताव किया है और रूस के साथ ऊर्जा और रक्षा सौदों पर दंड की धमकी दी है। हालांकि उन्होंने कहा कि अमेरिका अभी भी भारत के साथ व्यापार पर बातचीत कर रहा है।
एमके के एक नोट में कहा गया है, वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में आय सुधार की राह पर टैरिफ का बहुत कम असर पड़ेगा क्योंकि वित्तीय, उपभोग और प्रौद्योगिकी जैसे ज्यादा भार वाले सेक्टर अप्रभावित हैं। बाजार पहले से ही कमजोर आय और मूल्यांकन सहज न होने से नाजुक बने हुए हैं और अधिकांश सूचकांक अपने दीर्घकालिक औसत पर कारोबार कर रहे हैं, इसलिए अल्पकालिक बिकवाली मुमकिन है। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अनुमान से काफी ज्यादा टैरिफ से 2025-26 में भारत के जीडीपी पर 40 आधार अंक की चोट पड़ सकती है।
नोमूरा ने एक नोट में कहा, घोषित 25 फीसदी की टैरिफ दर अस्थायी हो सकती है और 1 अगस्त के बाद बातचीत जारी रहने पर कम की जा सकती है। हालांकि ये 15-20 फीसदी के दायरे में रह सकती हैं। हम वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अनुमान को 6.2 फीसदी पर बरकरार रखे हुए हैं। लेकिन इसमें लगभग 20 आधार अंकों की गिरावट का जोखिम भी हैं।
अमेरिका-भारत व्यापार के घटनाक्रम और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों के रुख को देखते हुए इंडिया वीआईएक्स सूचकांक 3 फीसदी चढ़ गया। बुधवार को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बड़ी कटौती के ट्रंप के दबाव के बावजूद इन्हें 4.25 फीसदी और 4.5 फीसदी पर बरकरार रखा। फेड अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने सितंबर में ब्याज दरों में कटौती के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है क्योंकि अगली बैठक से पहले उसके पास कई आंकड़ों को देखने का समय है।
उनकी टिप्पणियों ने सितंबर में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों को धूमिल कर दिया। हालांकि अमेरिकी कंपनियों की मजबूत कमाई ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में टैरिफ के कारण होने वाली मंदी की आशंकाओं को कम कर दिया, जिससे अमेरिकी बाज़ारों में तेजी बनी रही।
एफएमसीजी को छोड़कर बाकी एनएसई के सभी सेक्टर सूचकांक नुकसान के साथ बंद हुए। निफ्टी तेल व गैस, निफ्टी मेटल और निफ्टी फार्मा में 1.2 फीसदी से लेकर 1.5 फीसदी तक की गिरावट आई। निफ्टी एफएमसीजी इंडेक्स में 1.5 फीसदी का इजाफा हुआ जब बाजार की दिग्गज एचयूएल का शेयर 3.6 फीसदी उछल गया क्योंकि जून तिमाही में उसके वॉल्यूम में वृद्धि ने बाजार के अनुमानों को पीछे छोड़ दिया।
बाजार में चढ़ने व गिरने वाले शेयरों का अनुपात नकारात्मक था। बीएसई पर 1,602 शेयर चढ़े व 2,416 में गिरावट आई। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में करीब एक-एक फीसदी की गिरावट आई।