बेंचमार्क सूचकांक नए रिकॉर्ड उच्चस्तर को छूने के बेहद करीब पहुंच गए हैं और निफ्टी 50 इंडेक्स केवल 24 अंक व सेंसेक्स लगभग 203 अंक पीछे है। बैंकिंग क्षेत्र के दिग्गज शेयरों और रिलायंस इंडस्ट्रीज में मजबूती के दम पर गुरुवार को दोनों सूचकांकों में करीब आधा फीसदी की तेजी आई। जिन नई ऊंचाइयों (जो आगामी सत्रों में संभव हो जाएंगी) की उम्मीद है, वे 14 महीने से एक दायरे में हो रही घट-बढ़ के खत्म होने का संकेत देंगी। इन 14 महीनों के दौरान कमजोर आय वृद्धि, महंगे मूल्यांकन और वैश्विक अनिश्चितता ने बाजार के मनोबल को अंकुश में रखा।
सेंसेक्स 446 अंक यानी 0.52 फीसदी की बढ़त के साथ 85,633 पर बंद हुआ। निफ्टी 140 अंक यानी 0.54 फीसदी चढ़कर 26,192 पर टिका। बंद स्तर के आधार पर सेंसेक्स ने 26 सितंबर, 2024 को 85,836 और निफ्टी ने 26,216 का सर्वकालिक उच्च स्तर बनाया था। इस बीच, निफ्टी मिडकैप 10 ने इस सप्ताह की शुरुआत में एक नया उच्चस्तर हासिल किया। निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स अभी 11 दिसंबर, 2024 को दर्ज अपने रिकॉर्ड उच्चस्तर से 8 फीसदी नीचे है।
बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 67,000 करोड़ रुपये बढ़कर 476 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो 478 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर से नीचे है। सेंसेक्स की बढ़त में सबसे बड़ा योगदान एचडीएफसी बैंक का रहा जिसमें 1.4 फीसदी का इजाफा हुआ जबकि ब्रोकरेज फर्मों द्वारा खरीद की सलाह दोहराए जाने के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर 2 फीसदी चढ़ा।
सितंबर तिमाही के बेहतर नतीजों और संभावित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की आशा के कारण अक्टूबर से शेयर बाजार में तेजी देखी जा रही है। इस हफ्ते भारतीय आईटी शेयरों में भी निवेश आता दिखा है, जिन्हें एआई से जुड़े प्रमुख शेयरों में गिरावट का फायदा मिल रहा है। लेकिन गुरुवार को एनवीडिया की उम्मीद से ज्यादा चिप बिक्री के बाद एआई की मांग को लेकर जताई जा रही चिंता घटी है। इस कारण ज्यादातर आईटी कंपनियों के शेयर स्थिर रहे या थोड़े कम स्तर पर बंद हुए। मूल्यांकन संबंधी चिंताओं और बढ़े हुए पूंजीगत व्यय के कारण हाल के हफ्तों में दुनिया भर में एआई से जुड़े शेयर दबाव में रहे हैं।
निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित ब्याज दरों में कटौती और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की प्रगति पर करीब से नजर रख रहे हैं। फेड की अक्टूबर बैठक के विवरण से पता चला है कि नीति निर्माता इस साल ब्याज दरों में तीसरी कटौती की जरूरत पर बंटे हुए हैं। गुरुवार को विदेशी और घरेलू संस्थागत निवेशक (एफपीआई और डीआईआई) दोनों ही शुद्ध खरीदार रहे। एफपीआई ने 284 करोड़ रुपये का निवेश किया जबकि डीआईआई ने 824 करोड़ रुपये की खरीदारी की।
मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख (वेल्थ मैनेजमेंट) सिद्धार्थ खेमका ने कहा, भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की उम्मीदों से बाजार की धारणा को बल मिला। पोजीशनों से पता चलता है कि रक्षात्मक और गुणवत्ता वाले शेयरों में चुनिंदा निवेश आया है।