भारतीय शेयर सूचकांक शुक्रवार को लुढ़क गए। यह गिरावट पिछले पांच साल में साप्ताहिक गिरावट का सबसे लंबा सिलसिला रहा। अमेरिकी टैरिफ और कंपनियों के सुस्त नतीजों की चिंता के बीच यह गिरावट आई। सेंसेक्स 765 अंक यानी 0.9 फीसदी की गिरावट के साथ 79,858 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 233 अंक यानी 0.9 फीसदी की फिसलन के साथ 24,263 पर टिका।
हफ्ते के दौरान सेंसेक्स में 0.9 फीसदी और निफ्टी में 0.8 फीसदी की गिरावट आई। यह लगातार छठी साप्ताहिक गिरावट है जो 3 अप्रैल 2020 को समाप्त हफ्ते के बाद से गिरावट का सबसे लंबा सिलसिला है। विशेषज्ञों का कहना है कि दोनों सूचकांक हालांकि अपने रिकॉर्ड उच्चस्तर से सिर्फ 7 फीसदी नीचे हैं। लेकिन गिरावट का इस तरह का लंबा सिलसिला मंदी के बाजारों से जुड़ा होता है। भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता व्यापार तनाव बाजारों की अस्थिरता का नवीनतम कारण है जो पहले से ही सुस्त कॉरपोरेट आय वृद्धि और विदेशी फंडों की निरंतर बिकवाली की वजह से दबाव में थे।
इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूसी तेल के निरंतर आयात का हवाला देते हुए भारतीय वस्तुओं पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की। यह शुल्क पिछले 25 फीसदी टैरिफ के साथ जुड़कर कुल टैरिफ को 50 फीसदी तक कर देता है जो किसी भी देश पर लगाई गई सबसे ऊंची दरों में से एक है।
ट्रंप ने यह भी घोषणा की है कि टैरिफ विवाद सुलझने तक भारत के साथ व्यापार वार्ता स्थगित रहेगी। यह घोषणा महीनों से चल रही अनिर्णायक वार्ता के बाद हुई है, जिसमें भारत के कृषि और डेयरी बाजारों तक अधिक पहुंच की अमेरिकी मांगों के कारण बाधाएं आ रही थीं।
टैरिफ में वृद्धि भारत-अमेरिका संबंधों में बड़ी दरार का संकेत है और इससे अमेरिका को भारत के निर्यात पर गंभीर असर पड़ने का खतरा है जिससे कपड़ा, जूते और रत्न एवं आभूषण जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे। इससे पहले, ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को मृत बताया था और रूस के युद्ध प्रयासों में मदद करने का आरोप लगाया था। अमेरिका को निर्यात में भारी बाधा के कारण भारत की जीडीपी वृद्धि 6 फीसदी से नीचे आ सकती है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, जुलाई से भारतीय शेयर बाजार एक दायरे में घूम रहे हैं जो व्यापार संबंधी चुनौतियों के कारण निवेशकों की कमजोर धारणा को बताते हैं। अमेरिका के भारी टैरिफ लगाने और निराशाजनक तिमाही आय की चिंता ने भी भरोसे को कमजोर किया है। नायर ने कहा कि बाजार में उतारचढ़ाव जारी रह सकता है।
उन्होंने कहा, हालांकि अमेरिकी व्यापार तनाव और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की निरंतर बिकवाली का जोखिम बना हुआ है। लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) के संभावित समर्थन से कुछ राहत मिल सकती है। भारत और अमेरिका से आने वाले मुद्रास्फीति के आंकड़े निवेशकों की उम्मीदों को आकार देने में अहम होंगे। बाजार प्रतिभागियों को वैश्विक व्यापार के घटनाक्रमों और कंपनियों की आय पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और घरेलू उपभोग संचालित क्षेत्रों पर रणनीतिक तौर पर ध्यान देना चाहिए जो अल्पकालिक अस्थिरता का बेहतर तरीके से सामना करने की स्थिति में हैं।
बाजार की दिशा अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच आगामी शिखर सम्मेलन के नतीजों और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर निर्भर करेगी। बाजार में चढ़ने और गिरने वाले शेयरों का अनुपात कमजोर रहा और 2,548 शेयरों में गिरावट दर्ज की गई जबकि 1,503 शेयरों में बढ़ोतरी हुई।
कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (तकनीकी अनुसंधान) अमोल आठवले ने कहा, जब तक बाजार 24,500 के नीचे कारोबार करता रहेगा, तब तक ट्रेडरों की धारणा कमजोर रहने की संभावना है। नीचे की ओर यह गिरावट 24,200-24,000 तक जा सकती है। ऊपर की ओर अगर बाजार 24,500 के ऊपर बना रहता है तो तेजी संभव है।
एफपीआई शुद्ध खरीदार रहे और उन्होंने 1,933 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 7,724 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। बाजार विश्लेषकों का कहना है कि अगर भारती एयरटेल ब्लॉक डील न होती तो एफपीआई के आंकड़े ऋणात्मक होते। सेंसेक्स के शेयरों में सबसे ज्यादा 3.4 फीसदी की गिरावट भारती एयरटेल के शेयरों में आई। दूरसंचार क्षेत्र की इस दिग्गज के शेयरों में गिरावट तब आई जब इसके प्रवर्तक ने कई ब्लॉक डील के जरिये अपनी हिस्सेदारी बेची।