Share Buyback in August 2024: अगस्त 2024 में शेयर बाजार पर शेयरों के बायबैक की बौछार हो रही है। इस महीने 11 कंपनियों ने अब तक 5,388 करोड़ रुपये के शेयरों को वापस खरीदा है। प्राइम डेटाबेस के डेटा के मुताबिक, रुपये के लिहाज से खरीदे गए शेयरों की मात्रा 14 महीनों में सबसे ज्यादा है। बता दें कि बायबैक के तहत कंपनियां अपने शेयरों को निवेशकों से एक तय कीमत पर वापस खरीदती हैं। साधारण तौर पर ये कीमतें मौजूदा शेयरों की कीमतों से ज्यादा होती है।
जून 2023 में विप्रो समेत दो कंपनियों ने मिलकर 12,005 करोड़ के शेयरों का बायबैक किया था। जिसमें विप्रो (Wipro) का बायबैक 12,000 करोड़ रुपये का था। अगर विप्रो, सितंबर 2023 में लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के 10,000 करोड़ रुपये, दिसंबर 2023 और मार्च 2022 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के 17,000 करोड़ रुपये और 18,000 करोड़ रुपये के बायबैक को छोड़ दिया जाए, तो मौजूदा महीने का बायबैक दिसंबर 2022 के बाद से सबसे ज्यादा है। दिसंबर 2022 में 9 कंपनियों ने 10,606 करोड़ के शेयरों का बायबैक किया था।
एनालिस्ट्स का कहना है कि शेयर बायबैक की मात्रा (share buyback quantum) में तेजी का कारण अक्टूबर 2024 से भारत के शेयर बायबैक टैक्स रिजीम में महत्वपूर्ण बदलाव हैं। जुलाई 2024 में पेश किए गए केंद्रीय बजट में नए नियमों से बायबैक स्ट्रैटेजी का नजरिया फंडामेंटली बदल जाएगा, क्योंकि टैक्स का बर्डेन कंपनियों से हटकर शेयरहोल्डर्स पर आ जाएगा।
मौजूदा समय में, बायबैक करने वाली कंपनियों को 20 प्रतिशत से अधिक बायबैक टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। वहीं, शेयरहोल्डर्स को उनके शेयरों की ऑफरिंग पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
अक्टूबर 2024 से लागू होने वाले नए रिजीम के तहत, शेयरों के बायबैक पर मिले पूरे अमाउंट को निवेशकों के टैक्स स्लैब के हिसाब से लाभांश (डिविडेंड) के रूप में टैक्स लगाया जाएगा। बायबैक में ऑफर किए गए शेयरों की खरीदारी की लागत को कैपिटल लॉस के रूप में माना जाएगा और उसे अन्य कैपिटल गेन के लिए एडजस्ट या कैरी फॉरवर्ड किया जा सकेगा।
वाटरफील्ड एडवाइजर्स में लिस्टेड इन्वेस्टमेंट के सीनियर डायरेक्टर विपुल भोवर ने कहा, ‘निवेशकों के लिए, शेयर बायबैक पर टैक्सेशन संभावित रूप से उत्साह को कम कर सकता है, क्योंकि इनकम पर टैक्स उतने ही रेट से लगेगा जितना कि डिविडेंड पर। बायबैक टैक्स को समाप्त करने से कॉरपोरेट कैश फ्लो में वृद्धि होगी, लेकिन डिविडेंड के रूप में बायबैक इनकम पर नए टैक्सेशन से शेयर बायबैक प्रोग्राम में रुचि कम हो सकती है। विशेष रूप से उन फर्मों के बीच जिनके पास कैश अच्छा-खासा है या उन इन्वेस्टर्स के बीच जो हाई-टैक्स ब्रैकेट वाले हैं। भविष्य में, कंपनियां बायबैक के बजाय डिविडेंड का रुख कर सकती हैं।’
इंडिविजुअल कंपनियों में, इंडस टावर्स, अरबिंदो फार्मा, वेलस्पन लिविंग, TTK प्रेस्टिज और नवनीत पब्लिकेशन ने अपने इक्विटी शेयरहोल्डर्स से 4,491 करोड़ रुपये के शेयरों का बायबैक किया है।
वर्तमान में, बची छह कंपनियों- सिम्फनी, सेरा सैनिटरीवेयर, सविता ऑयल टेक्नोलॉजीज, धनुका एग्रीटेक, चमन लाल सेटिया एक्सपोर्ट्स और AIA इंजीनियरिंग के बायबैक ऑफर अभी भी खुले हैं और 30 अगस्त को बंद होने वाले हैं।
इसके अलावा, 10 अन्य कंपनियों में आरती ड्रग्स, ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, न्यूक्लियस सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट्स, KDDC, टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज (इंडिया) और मयूर यूनिकोटर्स ने शेयर बायबैक प्रस्तावों को मंजूरी दी है, लेकिन बायबैक के टाइमटेबल की घोषणा अभी नहीं की है।
इन सभी कंपनियों ने टेंडर ऑफर के माध्यम से आनुपातिक आधार पर शेयर बायबैक (buyback on a proportionate basis) की घोषणा की है।
इंडिपेंडेंट मार्केट एक्सपर्ट अंबरीश बलीगा ने कहा, ‘अक्टूबर 2024 के बाद टैक्स ट्रीटमेंट में बदलाव को देखते हुए, मुझे उम्मीद है कि शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड के माध्यम से भुगतान की रफ्तार बढ़ जाएगी क्योंकि बायबैक अपनी बढ़त खो देगा। सूचना प्रौद्योगिकी (IT) कंपनियां आम तौर पर शेयरधारकों को रिवार्ड देने के लिए बायबैक का सहारा लेती थीं, जो अब धीमी हो सकती है।’
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज के एनालिस्ट के अनुसार, बड़ी IT कंपनियां, अपने शेयरहोल्डर्स को डिविडेंड और शेयर बायबैक के कॉम्बिनेशन के जरिये 70-100 प्रतिशत मुफ्त नकदी प्रवाह (फ्री कैश फ्लो/FCF) लौटाती हैं।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज (KIE) के को-हेड संजीव प्रसाद ने सुवदीप रक्षित, अनिंद्या भौमिक और सुनीता बलदावा के साथ मिलकर एक लिखा। उनके इस नोट में कहा गया, ‘TCS और विप्रो डिविडेंड और बायबैक को कुछ-कुछ मिलाकर उपयोग करती हैं। इनमें, विप्रो अपने पूंजी वापसी नीति (capital return policy) के हिस्से के रूप में बायबैक पर सबसे अधिक निर्भर है। कंपनियां भविष्य में पूंजी की वापसी के लिए विशेष रूप से डिविडेंड का उपयोग करेंगी।’