शेयर बाजार

भारत, पाकिस्तान युद्ध के बीच बाजार में गिरावट से कैसे बचें? शंकर शर्मा की सलाह

शंकर शर्मा ने कहा, मेरी 'लेक ऑफ रिटर्न' थ्योरी ने पिछले साल के मध्य में बहुत स्पष्ट रूप से कहा था कि तेजी वाला बाजार पुराना हो रहा है।

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बीएस वेब टीम   
Last Updated- May 09, 2025 | 3:33 PM IST

सबसे पहले और सबसे जरूरी बात यह कि हम भारतीय शेयर बाजारों से यह उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि वे भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा टेंशन के दायरे और विस्तार को समझने से पहले ही रिएक्ट करना शुरू कर देंगे। इन बातों को बाजारों पर असर दिखाई देने में समय लगता है। मार्केट बस ये जानने के लिए इंतजार कर रहे हैं कि क्या यह समस्या सिर्फ एक छोटी सी समस्या है या यह एक बड़े संघर्ष में बदल जाएगी।

यही वजह है कि बाजार सपाट रहा है और जियो-पॉलिटिकल टेंशन पर ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी है। बाजार एक इंस्टेंट प्राइसिंग मैकेनिज्म नहीं है, और कई बार घटनाओं पर रिएक्शन शुरू होने में समय लगता है।

जहां तक ​​इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी का विषय है, मैंने यह कई महीने पहले – सार्वजनिक रूप से और बार-बार कहा था कि भारतीय तेजी वाले बाजार आमतौर पर चार से पांच साल तक चलते हैं, और हम पहले से ही मार्च 2020 में शुरू हुए तेजी वाले बाजार के पांचवें वर्ष में हैं।

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तेजी वाला बाजार पुराना हो रहा

मेरी ‘लेक ऑफ रिटर्न’ थ्योरी ने पिछले साल के मध्य में बहुत स्पष्ट रूप से कहा था कि तेजी वाला बाजार पुराना हो रहा है, और अगले कई वर्षों तक भारतीय शेयर बाजारों से रिटर्न बहुत खराब होने वाला है।

हालांकि भारत एक अप्रत्या​शित रूप से बॉटम-अप मार्केट में है और हमें समय-समय पर निचली कीमतों और वैल्यूएशन पर दमदार कंपनियां मिलेंगी। हकीकत यह है कि जोरदार तेजी वाला बाजार जो हमने लगभग साढ़े चार वर्षों तक देखा, समाप्त हो गया है। अब से, यह ऑफेंस की बजाय डिफेंस का खेल होगा जो यह निर्धारित करेगा कि आप इक्विटी इन्वेस्टमेंट के दौर में कितने समय तक जीवित रहते हैं।

निवेश के लिए रखें मल्टी-एसेट अप्रोच

मैंने हमेशा निवेश के लिए एक मल्टी-एसेट अप्रोच का संकेत और समर्थन किया है और यह इन जैसी स्थितियों में है। ऐसा निवेश अप्रोच आपको जीवित रखेगा। आपकी इक्विटी के अलावा फिक्स्ड इनकम, गोल्ड और डिफेंसिव स्ट्रैटजी होगी जो आपको अगले अवधि को नेविगेट करने में मदद करेगी, जो ज्यादातर इन्वेस्टर्स की उम्मीद से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगी।

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हां, बाजार में मिड-एंड-स्मॉलकैप सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, क्योंकि महामारी में बाजार के निचले स्तर के बाद से उनके ‘लेक ऑफ रिटर्न’ 48 फीसदी सालाना रिटर्न से भरी हुई थी। उसी अवधि में लार्ज-कैप रिटर्न इसका लगभग आधा था। यह बाजारों का एक सरल सत्य है कि जो आपको अधिकतम खुशी देता है वह आपको अधिकतम दर्द देगा, और जो हमें अधिकतम खुशी देता है वह स्मॉल-कैप थे, और वे ही हमें अधिकतम दर्द देंगे।

(शंकर शर्मा GQuant Investech के संस्थापक हैं। व्यक्त किए गए विचार उनके अपने हैं। जैसा उन्होंने पुनीत वाधवा को बताया।)

First Published : May 9, 2025 | 3:33 PM IST