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मॉर्गन स्टैनली ने भारतीय बाजार पर जताया भरोसा, जून 2026 तक सेंसेक्स को 89,000 पर पहुंचने का अनुमान

ब्रोकरेज ने कहा है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही से शुरू हुआ धीमा आय वृद्धि का दौर खत्म होता दिख रहा है। लेकिन बाजार के गले यह बात अभी उतरी नहीं है।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- August 04, 2025 | 9:35 PM IST

मॉर्गन स्टैनली ने सेंसेक्स का लक्ष्य बढ़ाकर 89,000 कर दिया है। इस स्तर पर सेंसक्स जून 2026 तक पहुंच सकता है। यह मौजूदा स्तर से 10 फीसदी की वृद्धि है। उसका पिछला लक्ष्य 82,000 था। आज 30 शेयरों वाले ब्लू चिप इंडेक्स का आखिरी बंद स्तर 81,019 रहा।

ब्रोकरेज ने कहा है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही से शुरू हुआ धीमा आय वृद्धि का दौर खत्म होता दिख रहा है। लेकिन बाजार के गले यह बात अभी उतरी नहीं है। 

नोट में कहा गया है, केंद्रीय बैंक का नरम रुख इस वृद्धि में बदलाव मैं मददगार है। लेकिन इसमें भरोसे के लिए बाहरी वृद्धि के परिवेश और जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने के लिहाज से बेहतर स्पष्टता की जरूरत हो सकती है।

ब्रोकरेज ने कहा कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौता, अधिक पूंजीगत व्यय की घोषणाएं, ऋण में तेजी, हाई फ्रीक्वेंसी डेटा में एकसमान सुधार और चीन के साथ ट्रेड में सुधार उत्प्रेरक के रूप में काम कर सकते हैं।

नोट में कहा गया है, हालांकि एफपीआई पोर्टफोलियो की स्थिति 2000 में डेटा शुरू होने के बाद से अपने सबसे कमजोर स्तर पर है। फिर भी हमारा मानना है कि भारत का नरम बीटा वैश्विक मंदी के बाजार में बेहतर प्रदर्शन लेकिन तेजी के बाजार में कमजोर प्रदर्शन का संकेत है। वैश्विक वृद्धि में नरमी और बिगड़ती भूराजनीति (तेल की कीमतों में वृद्धि और/या दुर्लभ खनिज/उर्वरक जैसी आपूर्ति श्रृंखलाओं में निरंतर व्यवधान) से नकारात्मक जोखिम पैदा हो रहे हैं। 

मॉर्गन स्टैनली ने कहा कि वह वित्तीय, उपभोक्ता विवेकाधीन और औद्योगिक सेक्टरों पर ओवरवेट है जबकि ऊर्जा, मैटीरियल, यूटिलिटीज और हेल्थकेयर पर अंडरवेट है।

नोट में कहा गया है, यह संभवतः शेयर का चयन करने वालों का बाजार है, न कि ऐसा बाजार जिसमें आर्थिक कारकों से ऊपर से नीचे तक सब शेयर चढ़ते हैं। ऐसे में हम केवल 80 आधार अंकों की औसत सक्रिय पोजीशन पर काम कर रहे हैं। हम पूंजीकरण पर ध्यान नहीं दे रहे। 

नोट में कहा गया है कि आने वाले दशकों में भारत वैश्विक उत्पादन में हिस्सेदारी हासिल कर लेगा, जो मजबूत आधारभूत कारकों से बढ़ेगी। इसमें मजबूत जनसंख्या वृद्धि, काम करता लोकतंत्र, व्यापक आर्थिक स्थिरता से प्रभावित नीति, बेहतर बुनियादी ढांचा, बढ़ता उद्यमी वर्ग और सामाजिक परिणामों में सुधार शामिल है।

नोट में कहा गया है, इसके निहितार्थ यह हैं कि भारत विश्व का सबसे अधिक मांग वाला उपभोक्ता बाजार बन जाएगा, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन होगा, सकल घरेलू उत्पाद में ऋण में वृद्धि होगी तथा विनिर्माण क्षेत्र की सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सेदारी बढ़ सकती है।

First Published : August 4, 2025 | 9:35 PM IST