भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने बुधवार को कहा कि बाजार नियामक ने नियमन वाली अपनी व्यवस्था में क्वांटम तैयारी सुनिश्चित करने के लिए एक कार्य योजना बनाई है। साथ ही क्षमता-निर्माण के उपाय भी किए गए हैं। पांडेय ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में बोल रहे थे।
सेबी प्रमुख ने कहा कि नियामक 2028-2029 में परिचालन शुरू करने के लक्ष्य के साथ ‘क्वांटम सेफ कंप्यूटिंग’ पर काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि मौजूदा एन्क्रिप्शन मानकों के तहत पूरे वित्तीय क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाले पासवर्ड गंभीर जोखिम में हो सकते हैं क्योंकि क्वांटम कंप्यूटिंग काफी एडवांस होती जा रही है।
कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक उदय कोटक के साथ एक पैनल चर्चा के दौरान पांडेय ने कहा, ‘उद्योग के रूप में हम स्वयं को क्वांटम सुरक्षित क्रिप्टोग्राफी के लिए कैसे तैयार करें, इस बारे में कार्य योजना के आधार पर हम खोजेंगे, तैयार करेंगे और फिर अगले दो से चार साल के भीतर उस पर अमल करेंगे।’ वाई2के चुनौती से तुलना करते हुए पांडेय ने समय पर सिस्टम की तैयारियों की जरूरत पर जोर दिया।
कार्यक्रम से इतर उन्होंने कहा, ‘अभी हम जो पारंपरिक क्रिप्टोग्राफी करते हैं, जिससे हम पासवर्ड बनाते हैं, चाहे वह 128 एन्क्रिप्टेड हो या कुछ और, क्वांटम कंप्यूटिंग से वह टूट जाएगा। क्रिप्टो-प्रूफ पासवर्ड को पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी यानी पीक्यूसी या फिर क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन यानी क्यूकेडी कहा जाता है। हमें इसके लिए तैयारी करनी होगी। धीरे-धीरे, सभी प्रणालियों में हमें यह देखना होगा कि पासवर्ड का इस्तेमाल कहां-कहां हुआ है और फिर हमें उन्हें बदलना होगा।’
पांडेय का कहना है कि फिनटेक कंपनियां सेबी के इनोवेशन सैंडबॉक्स के तहत प्रतिभूति बाजार में ब्लॉकचेन ऐप्लीकेशनों की टेस्टिंग कर रही हैं। एआई के बारे में उनका मानना है कि इसमें व्यापक अवसर हैं औरसाथ ही संबंधित जोखिमों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कारगर तरीके से अमल के लिए आरबीआई और आईआरडीएआई जैसे दूसरे नियामकों के साथ तालमेल का आग्रह किया।
पांडेय ने कहा, ‘जैसे ही हम इस बदलाव की यात्रा के अगले दौर में जाएंगे तो फिनटेक से संबंधित नवाचार और नियामकीय दूरदर्शिता के बीच सहयोग से यह तय होगा कि हम कितनी तेजी से बढ़ते हैं। साथ ही यह भी कि हम कितने सुरक्षित रूप से बढ़ रहे हैं।’
सेबी चेयरमैन ने बाजार में धोखाधड़ी से निपटने और निवेशकों को घोटालों और गुमराह करने वाले तत्वों से बचाने के उपायों की भी रूपरेखा बताई। उन्होंने बताया कि नियामक अपनी पर्यवेक्षी प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए कैसे प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रहा है, ऑफसाइट निरीक्षण कर रहा है, वास्तविक समय में मध्यस्थों की निगरानी और बाजार हेरफेर और नेटवर्क-आधारित धोखाधड़ी का पता लगाने के लिए एआई/एमएल मॉडल विकसित कर रहा है।
उन्होंने साइबर सुरक्षा खतरों के खिलाफ तैयारी के महत्त्व पर जोर दिया जो सिस्टम में बाधा डाल सकते हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘एक भी डेटा उल्लंघन या परिचालन संबंधी गड़बड़ी का आपस में जुड़ी प्रणालियों पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। जैसे-जैसे बाजार कारोबारी थर्ड-पार्टी सेवा प्रदाताओं और क्लाउड-आधारित प्लेटफॉर्म पर ज्यादा निर्भर होते जा रहे हैं, जोखिम के नए आयाम भी उभर रहे हैं।’