डेरिवेटिव कारोबारी निकाय फ्यूचर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन (एफआईए) ने बाजार नियामक के उस प्रस्ताव का समर्थन किया है जिसमें गैर बेंचमार्क इक्विटी सूचकांकों से संबंधित नए नियमों के क्रियान्वयन के लिए योजना की बात कही गई है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को लिखे पत्र में एफआईए ने नियामक से उसके अगस्त के परामर्श पत्र में सुझाए ऑल्टरनेटिव बी को अपनाने का आग्रह किया है। यह ऐसा तरीका है जिससे डेरिवेटिव ट्रेडिंग और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के लिए दो अलग-अलग सूचकांक रखने के बजाय मौजूदा सूचकांकों को पुनः भारांकित और संशोधित किया जा सकेगा।
एफआईए के एशिया-प्रशांत प्रमुख बिल हर्डर ने इस महीने की शुरुआत में एक पत्र में कहा, यह संतुलित और व्यावहारिक दृष्टिकोण है जिससे बाजार प्रतिभागियों के लिए निरंतरता सुनिश्चित होगी। साथ ही परिचालन बाधाएं कम होंगी और ट्रांजिशन प्रोसेस में निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा।
बीएसई के बैंकेक्स सूचकांक के लिए एफआईए ने कहा है कि एक बार के लिए रीएलाइनमेंट करना उचित है क्योंकि इसे ईटीएफ और इंडेक्स फंड व्यापक रूप से ट्रैक नहीं करते। इस बीच, निफ्टी बैंक और निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज सूचकांकों के लिए एफआईए ने चार महीने में कई हिस्सों में समायोजन की सिफारिश की है क्योंकि बड़ी संख्या में ईटीएफ और इंडेक्स फंड इन सूचकांकों को ट्रैक करते हैं।
मई में सेबी ने गैर-बेंचमार्क सूचकांकों (सेंसेक्स और निफ्टी 50 के अलावा) में व्यक्तिगत शेयरों के भार को 20 फीसदी पर सीमित कर दिया था जबकि शीर्ष तीन शेयरों की संयुक्त हिस्सेदारी को 45 फीसदी तक सीमित किया गया था। निफ्टी बैंक सूचकांक में 12 शेयर हैं जो सेबी की नई न्यूनतम जरूरत 14 शेयरों से कम है।