भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) बड़ी संख्या में सार्वजनिक शेयरधारिता वाली कंपनियों के प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की मंजूरी में अब नरमी बरत रहा है। अभी तक इसकी वजह से कई बड़ी कंपनियों की सूचीबद्धता की योजना में देर हो रही थी। लेकिन सेबी का रुख नरम पड़ने से एचडीबी फाइनैंशियल सर्विसेज और हीरो फिनकॉर्प जैसी पांच कंपनियों को नियामकीय मंजूरी मिल गई है, जिन्होंने पिछले साल आईपीओ मसौदा दस्तावेज जमा किए थे।
सूत्रों ने यह संकेत दिया कि देरी इस अस्पष्टता के कारण हुई कि उच्च सार्वजनिक शेयरधारिता कंपनी अधिनियम का उल्लंघन तो नहीं है, भले ही इससे पहले धन न जुटाया गया हो। इस मामले से अवगत लोगों ने बताया कि सेबी ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि सिर्फ बड़ी संख्या में सार्वजनिक शेयरधारक होने का यह मतलब नहीं है कि नियमों का उल्लंघन हुआ हो, बशर्ते कंपनी ने ऐसे सार्वजनिक शेयर जारी कर धन न जुटाया हो।
इस मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया, ‘अब इस मामले का समाधान हो चुका है। अगर किसी कंपनी ने ऐसे शेयर जारी कर सार्वजनिक रूप से धन नहीं जुटाया है, तो कोई मसला नहीं होगा। ऐसे कई मामलों में ईसॉप तब्दीली या गैर सूचीबद्ध बाजार के कारोबार शामिल होते हैं।
आईपीओ मसौदा (डीआरएचपी) दाखिल करते वक्त एचडीबी फाइनैंशियल के पास करीब 41,500 सार्वजनिक शेयरधारक, हीरो फिनकॉर्प के पास करीब 7,500 शेयरधारक और विक्रम सोलर के पास करीब 7,000 सार्वजनिक शेयरधारक थे। सेबी ने पिछले एक पखवाड़े में ही इन तीनों आईपीओ को मंजूरी दी है। वारी एनर्जीज (जो अब सूचीबद्ध हो चुकी है) के पास आईपीओ मसौदा
दाखिल करते वक्त करीब 2,600 सार्वजनिक शेयरधारक थे। इस बीच, नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के शेयरों की जबरदस्त मांग की वजह से उसके शेयरधारकों की संख्या बढ़कर 1,00,000 से ज्यादा हो चुकी है। एनएसई भी आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है। इस बारे में सेबी से ईमेल के जरिये मांगी गई जानकारी का खबर लिखने तक जवाब नहीं मिल पाया था।
सर्वांक एसोसिएट्स की मैनेजिंग पार्टनर अंकिता सिंह ने कहा, ‘कंपनी अधिनियम ईसॉप जारी करने और अंतत: उनको शेयर में बदलने की इजाजत देता है। अब इसकी वजह से भले ही बड़ी संख्या में सार्वजनिक शेयरधारिता हो जाए, यह निजी नियोजन मानदंड के दायरे में नहीं आता। कानूनी रेखा तब धुंधली होने लगती है जब ये शेयर, जो जाहिर तौर पर कर्मचारी प्रोत्साहन के रूप में होते हैं, आईपीओ से पहले कंपनी में अप्रत्यक्ष रूप से सार्वजनिक भागीदारी के लिए एक साधन बन जाते हैं।’