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सेबी प्रमुख ने साइबर खतरों पर चेताया, कहा– निरंतर सतर्कता और मजबूत सुरक्षा जरूरी

एनआईएसएम में नियमन वाली संस्थाओं के लिए साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम में पांडेय ने चेताया

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- August 14, 2025 | 10:22 PM IST

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने बढ़ते साइबर खतरों से बचाव के लिए निरंतर सतर्कता, नियमित ड्रिल और फॉरेंसिक तत्परता की जरूरत पर जोर दिया है। राष्ट्रीय प्रतिभूति बाजार संस्थान (एनआईएसएम) में नियमन वाली संस्थाओं के लिए साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोलते हुए पांडेय ने गुरुवार को चेतावनी दी कि सुरक्षा भेदने की धारणा भी बाजारों को अस्थिर कर सकती है, भले ही उस समय तिकना भी नुकसान हो जाए।

2010 के नैसडेक में हुई इस तरह की घटना को उन्होंने याद किया। तब की घटना में हैकर उस सिस्टम तक पहुंच गए थे जिसका उपयोग कॉरपोरेट बोर्ड गोपनीय दस्तावेज साझा करने के लिए करता था। उन्होंने कहा, हालांकि कारोबार पर असर नहीं पड़ा। लेकिन इस घटना ने विश्वास को झकझोर दिया था।

सेबी ने हाल के वर्षों में साइबर सुरक्षा मानदंडों को मज़बूत किया है, नियमित साइबर ऑडिट अनिवार्य किया है और एक्सचेंजों, क्लियरिंग कॉरपोरेशन, डिपॉजिटरियों और बाजार मध्यस्थों में तकनीकी गड़बड़ियों की सूचना देने को सख्त बनाया है। उन्होंने कहा कि पूंजी निर्माण, निवेशकों के विश्वास और आर्थिक लचीलेपन के लिए इन मार्केट यूटिलिटी को सुरक्षित बनाना आवश्यक है।

उन्होंने आगाह किया कि साइबर हमले अब दुर्लभ बात नहीं है। सीईआरटी-इन के अनुसार 2024 में भारत में 20 लाख से ज्यादा सुरक्षा उल्लंघन की घटनाएं हुई जो महामारी से पहले के स्तर से करीब दोगुनी हैं।

पांडेय ने साल 2012 के नाइट कैपिटल घोटाले का हवाला देते हुए कहा, ट्रेडिंग एल्गोरिद्म में एक छोटी सी गड़बड़ी मिलीसेकंड में बाजार में उथल-पुथल मचा सकती है। गलत तरीके से बनाया गया सर्वर दुर्भावना वाले तत्वों को सेंध का रास्ता दे सकता है। किसी हैक किए गए खाते से नुकसान पहुंचाने वाला डेटा लीक हो सकता है। नाइट कैपिटल घोटाले में दोषपूर्ण ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर के कारण 44 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ था।

उन्होंने जोर देकर कहा कि आंतरिक खामियां जैसे अपर्याप्त नियंत्रण, हड़बड़ी में तैनात करना या नजरअंदाज की गई प्रक्रियाएं भी उतनी ही नुकसानदेह हो सकती हैं, जितने बाहरी खतरे। उन्होंने कहा, तकनीकी जोखिम हमेशा ही दरवाजे से नहीं आता। कभी-कभी यह सुनिश्चित करना होता है कि किले की दीवारें भी मजबूत हों।

पांडेय ने मानवीय पहलू को भी रक्षा की महत्वपूर्ण पंक्ति के रूप में बताया और कहा कि लापरवाही और फिशिंग हमले अक्सर उल्लंघनों को रास्ता देते हैं। उन्होंने कहा, एहतियाती कदम घटनाओं की संभावना और प्रभाव दोनों को कम करते हैं। प्रतिक्रिया में किए गए उपाय केवल नुकसान को सीमित कर पाते हैं।

समापन भाषण में पांडेय ने प्रतिभागियों से कहा कि उनकी शांत कार्यकुशलता शायद कभी सुर्खियां नहीं बनेगी, लेकिन संकट न आए, यही उनकी सबसे बड़ी प्रोफेशनल उपलब्धि है। हमारे बाजारों में अरबों डॉलर के निर्बाध प्रवाह के पीछे आपकी अदृश्य सतर्कता छिपी है।

First Published : August 14, 2025 | 10:18 PM IST