पिछले 6 महीने उन निवेशकों के लिए अच्छे रहे जिन्होंने अपने पोर्टफोलियो में बैंक शेयरों को शामिल किया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के इंडेक्स में निवेश करने वालों के लिए यह लाभ और भी बेहतर (करीब दोगुना) रहा।
एस इक्विटी के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले छह महीनों (10 सितंबर तक) में निफ्टी पीएसयू बैंक सूचकांक में 20.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि निफ्टी प्राइवेट बैंक सूचकांक में 9.8 प्रतिशत की तेजी आई। इसकी तुलना में इस अवधि के दौरान निफ्टी बैंक सूचकांक 13.1 प्रतिशत और निफ्टी 50 सूचकांक 11.19 प्रतिशत बढ़ा।
आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान सरकारी क्षेत्र के बैंकों में इंडियन बैंक, केनरा बैंक और बैंक ऑफ इंडिया सबसे ज्यादा लाभ में रहे। निजी क्षेत्र के बैंकों में आरबीएल बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और यस बैंक सबसे आगे रहे। विश्लेषक निफ्टी पीएसयू बैंक सूचकांक में तेजी का श्रेय निरंतर शानदार आय वृद्धि को देते हैं और उनका मानना है कि इन बैंकों में तेजी का दमखम बचा हुआ है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स में इस क्षेत्र पर नजर रखने वाले इक्विटी शोध विश्लेषक एनविन एबी जॉर्ज ने कहा, ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बेहतर प्रदर्शन का श्रेय मजबूत वित्तीय परिणामों को दिया जा सकता है जिसे ऋण वृद्धि में विस्तार, परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार और राजकोषीय लाभ में इजाफे से समर्थन मिला है।’
उनका कहना है कि मौजूदा आंकड़े बताते हैं कि अल्पावधि में सार्वजनिक बैंकों का बेहतर प्रदर्शन जारी रह सकता है और लंबी अवधि में उनकी वृद्धि दर निजी बैंकों के साथ और बेहतर रहने की संभावना है।
समग्र स्तर पर सरकारी बैंकों का शुद्ध लाभ चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 10.9 प्रतिशत बढ़कर 0.47 लाख करोड़ रुपये हो गया। केयरएज रेटिंग्स के एक विश्लेषण से पता चलता है कि इसी दौरान निजी बैंकों का शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 3.9 प्रतिशत घटकर 0.45 लाख करोड़ रुपये रह गया।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ऋण वृद्धि दर निजी क्षेत्र के बैंकों से आगे निकल गई है। यह रुझान पिछली तीन तिमाहियों से देखा जा रहा है, खासकर निजी समकक्ष बैंकों की तुलना में ऋण-जमा (सीडी) अनुपात में स्थिरता के कारण ऋण देने की अधिक गुंजाइश से ऐसा हो रहा है। इसके अलावा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने खुदरा, कृषि और एमएसएमई क्षेत्रों में भी अपनी स्थिति और मजबूत की है, जिससे ऋण वितरण में वृद्धि हुई है।
असल में तो जमा के मोर्चे पर निजी बैंकों ने जून 2025 तक 12.1 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की, जो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की 9.8 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक है। ऐंटीक स्टॉक ब्रोकिंग के विश्लेषकों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 में प्रणालीगत ऋण वृद्धि लगभग 11 प्रतिशत रहेगी, यानी सालाना आधार पर एक तरह से स्थिर ही रहेगी।
ऐंटीक ने कहा, ‘जून 2025 में नीतिगत दरों में कटौती के पूरे तिमाही प्रभाव के कारण वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में एनआईएम में गिरावट आएगी। लेकिन जुलाई में बचत खाता दर में कटौती के लाभ के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (एसबीआई को छोड़कर) का प्रदर्शन निजी बैंकों की तुलना में बेहतर रहने की संभावना है।’
ब्रोकरेज ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के एनआईएम में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, दोनों के लिए 20-25 आधार अंक की कमी आ सकती है। ब्रोकरेज ने एचडीएफसी बैंक, ऐक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, सिटी यूनियन बैंक, फेडरल बैंक, एसबीआई और बैंक ऑफ बड़ौदा को ‘खरीदें’ रेटिंग दी है। इंडसइंड बैंक और पंजाब नैशनल बैंक को ‘होल्ड’ रेटिंग दी है।
निजी और सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों दोनों के लिए 1-वर्षीय अग्रिम पी/ई मूल्यांकन पैमाना तीन-वर्षीय औसत के अनुरूप होने के कारण विश्लेषकों का सुझाव है कि निवेशकों को आकर्षक मूल्यांकन पर उपलब्ध मझोले और लघु-स्तर के बैंकों पर ध्यान देना चाहिए।
एमके ग्लोबल के विश्लेषकों ने भी चेतावनी दी है कि मौजूदा व्यापार तकरार के बीच अनिश्चित वृहद परिदृश्य और असुरक्षित व्यापार ऋण/एसएमई में बढ़ती परिसंपत्ति-गुणवत्ता की समस्या अल्पावधि-मध्यावधि में वृद्धि में बाधा डाल सकती है।