शेयर बाजार

चुनाव और बजट का शेयर बाजार पर क्षणिक असर

एग्जिट पोल के अनुमानों अनुसार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) लगातार तीसरी बार सत्ता में आ सकता है और नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे।

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- June 03, 2024 | 12:03 AM IST

जीक्वांट इन्वेस्टेक के संस्थापक शंकर शर्मा का कहना है कि चुनाव नतीजों का शेयर बाजारों पर असर बहुत ही क्षणिक है। उन्होंने कहा कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत बुनियादी तौर पर मजबूत बना रहे और कोई भी चीज भारत की ग्रोथ स्टोरी को पटरी से नहीं उतार सकती।

शर्मा ने कहा, ‘चुनाव बाजार के लिए मायने रखते हैं। लेकिन बजट की तरह बाजार पर इनका स्थायी प्रभाव बहुत ही कम होता है। बाजार के लिए ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, सरकार का प्रदर्शन। इससे फर्क नहीं पड़ता कि चुनाव में क्या होता है – यह चुनाव हो या 2029 में होने वाला अगला लोकसभा चुनाव, भारत एक शानदार विकास पथ पर अग्रसर है और मुझे ऐसा कुछ भी नहीं दिख रहा है जो आने वाले कई साल तक ‘भारत की विकास गाथा’ को पटरी से उतार सके। इसलिए निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे अपने निवेश से जुड़े रहें।’

इस बीच, 1 जून को आए एग्जिट पोल के अनुमानों अनुसार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) लगातार तीसरी बार सत्ता में आ सकता है और नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। मतों की गिनती 4 जून को होगी।

दो एग्जिट पोल – न्यूज 24-टुडेज चाणक्य और इंडिया टुडे-ऐक्सिस माई इंडिया – के अनुसार ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा वास्तविक बन सकता है। उन्होंने राजगके लिए क्रम से 400 सीटें (+/- 15 सीटें) और 361 – 401 सीटें जीतने का अनुमान लगाया है।

दूसरी तरफ, इंडिया गठबंधन के लिए इन दोनों पोल क्रम से 107 सीटें ओर 131-166 सीटें मिलने का अनुमान जताया है। आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव का सातवां चरण भारतीय शेयर बाजार के लिए उतार-चढ़ाव वाला रहा। इस दौरान इंडिया वीआईएक्स 10 से 26 के स्तर के बीच झूलता रहा।

विश्लेषकों का कहना है कि हालांकि मतदान और चुनाव परिणाम का सीधा संबंध नहीं होता है, लेकिन मतदान में गिरावट से अनिश्चितता को बढ़ावा मिला जिसका असर शेयर बाजारों पर दिखा। मंगलवार को चुनाव नतीजे आने के बाद बाजार के लिए अगला बड़ा घटनाक्रम जून में आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा और उसके बाद आम बजट मुख्य होंगे।

मिरै ऐसेट के विश्लेषकों ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘अल्पावधि में, सभी की नजर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कराधान में बदलाव, एमएसपी नीति और मनरेगा भुगतान के लिए जुलाई के बजट पर रहेगी। हालांकि दीर्घावधि में सरकार का मुख्य जोर बुनियादी ढांचा विकास, कृषि कानूनों, कौशल विकास और विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन पर रहेगा।’

मजबूत आधार

शंकर शर्मा ने कहा कि वर्ष 1991 से हरेक सरकार ने विभिन्न तरीकों और अलग अलग रणनीतियों के साथ बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। उनका मानना है कि इन सबका बड़ा लक्ष्य भारत को वैश्विक महाशक्ति बनाना रहा है।

शर्मा ने कहा, ‘1991 में शुरू हुए आर्थिक उदारीकरण के नतीजे आज सभी के सामने हैं। हम अब लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन चुके हैं, जो लगभग 33 वर्षों में 20 गुना वृद्धि है।’शर्मा का मानना है कि यदि वैश्विक रूप से बड़ी उथल-पुथल होती है तभी समस्या होगी। कुल मिलाकर भारत शेयर बाजार निवेशकों के लिए आकर्षक स्थान बना हुआ है।

 

First Published : June 3, 2024 | 12:03 AM IST