शेयर बाजार

क्या खत्म हो चुका ‘टैको ट्रेड’ का असर? क्रिस वुड ने दी चेतावनी, कॉरपोरेट नतीजों पर नजर

राष्ट्रपति उत्साहित महसूस कर रहे हैं कि उछलता शेयर बाजार संकेत दे रहा है कि उनका टैरिफ एजेंडा अमेरिकी अर्थव्यवस्था या वास्तव में वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

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पुनीत वाधवा   
Last Updated- July 18, 2025 | 10:46 PM IST

जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने निवेशकों को अपनी नई रिपोर्ट ‘ग्रीड ऐंड फियर’ में सुझाव दिया है कि किसी सकारात्मक कारक के रूप में टैको (ट्रंप ऑलवेज चिकंस आउट) ट्रेड का असर अब बाजारों पर खत्म हो गया है। वुड ने कहा कि अमेरिकी शेयर बाजार टैको दृष्टिकोण (या जिसे ट्रंप पुट के रूप में भी जाना जाता है) के आधार पर टैरिफ से जुड़ी अटकलों को अनदेखा करते हुए एआई (आर्टिफिशल इंटेलिजेंस) कैपेक्स ट्रेड से ज्यादा उछल रहा है।

वुड ने लिखा है, ‘लेकिन ग्रीड ऐंड फियर को अब यह लगने लगा है कि क्या टैको का दौर बाजारों के लिए सकारात्मक कारक के रूप में समाप्त हो गया है। 47वें राष्ट्रपति उत्साहित महसूस कर रहे हैं कि उछलता शेयर बाजार संकेत दे रहा है कि उनका टैरिफ एजेंडा अमेरिकी अर्थव्यवस्था या वास्तव में वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

ट्रंप को फिर से पैर पीछे खींचने को मजबूर करने के लिए शायद बाजार में गिरावट की जरूरत होगी, ठीक वैसे ही जैसे ‘लिबरेशन डे’ के बाद हुआ था।’ वुड का मानना है कि बाजार को टैरिफ का नकारात्मक असर वृहद आ​र्थिक आंकड़े में कभी भी दिखने लग सकता है क्योंकि मौजूदा इन्वेंट्री खत्म हो रही हैं। उन्होंने कहा, ‘वास्तव में इस सप्ताह के सीपीआई आंकड़े के साथ ऐसा होना शुरू हो गया है। विशिष्ट और वास्तविक आंकड़ों के अलावा व्यवसायों की अनिश्चितता में भी इजाफा हुआ है जो टैरिफ को लेकर चल रही बातचीत का स्वाभाविक नतीजा है।’ वुड का मानना है कि जोखिम यह है कि एआई कैपेक्स ट्रेड में बाजार के नये भरोसे के कारण ट्रंप टैरिफ मामले में फिर से नया तूफान ला सकते हैं।

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कॉरपोरेट नतीजे अहम

भारत के लिहाज से विश्लेषकों का मानना है कि कॉरपोरेट आय (विशेष रूप से मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट की) भविष्य में बाजार की स्थिरता के लिए महत्त्वपूर्ण है।

सेंट्रम ब्रोकिंग में संस्थागत इक्विटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिग्नेश देसाई कहते हैं कि पिछले एक साल में मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन जून 2025 तिमाही (वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही) के नतीजे बेहतर स्पष्टता प्रदान करेंगे।

उन्होंने कहा कि ये सेगमेंट अपनी मजबूत वृद्धि की क्षमता के कारण पारंपरिक रूप से प्रीमियम पर आधारित होते हैं, लेकिन अब उस प्रीमियम की पुष्टि वास्तविक प्रदर्शन से होनी चाहिए। देसाई ने कहा, ऑटो एंसिलरीज, केमिकल्स और स्पेशलिटी इंडस्ट्रियल जैसे सेक्टरों में बढ़ती उत्पादन लागत मार्जिन पर दबाव डाल सकती है।

First Published : July 18, 2025 | 10:41 PM IST