IT stocks: H-1B वीजा पर नई फीस को लेकर मची हलचल के बीच सोमवार को सूचना प्रौद्योगिकी (IT) कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिल सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा नए H-1B वीजा के लिए 1 लाख डॉलर (करीब 83 लाख रुपये) की भारी-भरकम फीस की घोषणा की है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के फाउंडर और हेड ऑफ रिसर्च जी चोक्कालिंगम बताते हैं, “आईटी शेयरों में सोमवार को अचानक गिरावट देखने को मिल सकती है, जिनमें हर शेयर में गिरावट करीब 3–5% के बीच रह सकती है, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि कंपनी H-1B वीजा पर कितनी निर्भर है। मुझे उम्मीद है कि IT शेयर कुछ समय के लिए नीचले स्तर पर कारोबार करेंगे। ये निवेशकों के लिए फिलहाल फायदेमंद नहीं रहेंगे। हालांकि, यदि H-1B वीजा पर फिर से विचार होता है और भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में ठोस समाधान निकलता है, तो स्थिति बदल सकती है।”
Also Read: H-1B visa new rules: भारतीय प्रोफेशनल्स को मिली राहत, H-1B वीजा फीस सिर्फ नए आवेदन पर लागू
साल 2025 में अब तक अधिकांश आईटी शेयरों का प्रदर्शन कमजोर रहा है। एसीई इक्विटी के आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में निफ्टी आईटी इंडेक्स (Nifty IT index) लगभग 16% गिरा है, जबकि निफ्टी 50 में करीब 7.1% की बढ़ोतरी हुई।
आंकड़ों के अनुसार, ओरेकल फाइनेंशियल सर्विसेज सॉफ्टवेयर, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, टीसीएस और इंफोसिस कैलेंडर वर्ष 2025 में सबसे ज्यादा 29.4% तक गिरकर शेयर बाजारों में सबसे ज्यादा नुकसान में रहे। केवल एम्फैसिस (Mphasis) ही इस रुझान से उलट रहा, जिसने कैलेंडर वर्ष 2025 में 5.1% की बढ़त दर्ज की।
स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अम्बरीश बालिगा के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों की ओर से यह स्पष्ट किया जाना कि 21 सितंबर की प्रभावी घोषणा तिथि से पहले दाखिल किए गए H-1B आवेदन पर कोई असर नहीं पड़ेगा, और जो लोग वर्तमान में अमेरिका के बाहर हैं लेकिन H-1B वीजा रखते हैं, उन्हें देश में फिर से कदम रखने के लिए फीस नहीं देना पड़ेगा, कंपनियों के लिए राहत की खबर है।
उनका मानना है कि इससे कंपनियों को यह सोचने का समय मिलेगा कि अपने कर्मचारियों को कैसे और कहां तैनात किया जाए और इससे शेयर बाजार पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सकेगा।
Also Read: चीन को झटका, अमेरिका करेगा TikTok का पूरा कंट्रोल – एल्गोरिदम से लेकर बोर्ड तक
बालिगा ने कहा, “IT शेयर गिरेंगे, लेकिन मुझे नहीं लगता कि गिरावट बहुत ज्यादा होगी। अमेरिका की ओर से स्पष्टता एक पॉजिटिव संकेत है, जो कंपनियों को वैकल्पिक रणनीति तैयार करने का समय देती है। उदाहरण के लिए, वे अपने कर्मचारियों को कनाडा या मैक्सिको में तैनात कर सकते हैं। अगर आने वाले कुछ हफ्तों में इन शेयरों में लगभग 20% की तेज गिरावट आती है तो लॉन्ग टर्म के लिए खरीदें; अन्यथा, अगर गिरावट केवल 3–5% की हो तो खरीदने से बचें।
विश्लेषकों ने कहा कि एक और पॉजिटिव पहलू यह है कि पिछले कुछ वर्षों में H-1B वीजा पर निर्भरता कम हुई है। हाल ही में मोतीलाल ओसवाल के अभिषेक पाठक, केवल भगत और तुषार धोंडे ने एक नोट में लिखा कि पिछले दशक में भारतीय आईटी वेंडर्स ने H-1B वीजा पर अपनी निर्भरता कम की है।
अमेरिका में लोकलाइजेशन कार्यक्रम और ज्यादा स्थानीय भर्ती के चलते, लगभग 20% कर्मचारी ही ऑन-साइट हैं। इसमें से 20–30% H-1B वीजा पर हैं, जिसका अर्थ है कि H-1B वीजा होल्डर्स एक सामान्य IT वेंडर्स के एक्टिव वर्कफोर्स का केवल 3–5% हैं।
इस बीच, मोतीलाल ओसवाल के नोट से पता चलता है कि H-1B वीजा के लिए आवेदनों में भी 2017 के उच्चतम स्तर (42,671 आवेदन) से 2024 में 20,870 आवेदनों तक की गिरावट देखी गई है।
फिर भी, चोक्कालिंगम का मानना है कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता की संभावना बनी हुई है, जो इस मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा सकती है और IT शेयरों में तेजी ला सकती है। तब तक, उनका सुझाव है कि निवेशक IT शेयरों से बचें, क्योंकि ये शेयर शेयर बाजार में कमजोर प्रदर्शन करते रहेंगे।