प्रमुख एफएमसीजी कंपनी गोदरेज कंज्यूमर (जीसीपी) के शेयर में पिछले एक महीने में 12.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। लेकिन जीएसटी दरों में कमी सकारात्मक बात है और इसका फायदा दिसंबर तिमाही के साथ-साथ मध्यावधि में भी दिखाई देने लगेगा। अल्पावधि (दूसरी तिमाही) में बिक्री और राजस्व में कमी आई है जबकि मार्जिन पर भी दबाव की संभावना है।
कंपनी ने तिमाही-पूर्व अपडेट में बताया कि जीसीपीएल के पोर्टफोलियो का एक तिहाई हिस्सा मुख्य रूप से टॉयलेट साबुन के साथ-साथ टैल्कम पाउडर, शैंपू और शेविंग क्रीम जैसी छोटी श्रेणियों से जुड़ा है। इन श्रेणियों को 5 प्रतिशत की घटी हुई जीएसटी दर से फायदा होगी। यह दर पहले 18 प्रतिशत थी।
लेकिन दरों में कटौती के परिणामस्वरूप व्यापार माध्यमों में कुछ अल्पावधि बदलाव हुए हैं क्योंकि वितरकों और खुदरा विक्रेताओं ने मौजूदा स्टॉक को बेचने पर ध्यान दिया है। इससे नए ऑर्डरों में देरी हुई है और उपभोक्ता खरीदारी अस्थायी रूप से टल गई। इसका असर वृद्धि और लाभप्रदता दोनों पर आया। इस व्यवधान की वजह से भारत में व्यापार वृद्धि मध्यम-एक अंक की मूल्य वृद्धि तक सीमित रहेगी।
इस सेगमेंट में वृद्धि के मौजूदा रुझान दूसरी तिमाही में भी जारी रहने की उम्मीद है। होम केयर सेगमेंट में जहां ऊंचे एक अंक में बढ़ोतरी हुई, वहीं लगातार बारहवीं तिमाही में मध्य एक से दो अंकों की वृद्धि की मजबूत रफ्तार बरकरार रही। पर्सनल केयर पोर्टफोलियो में साबुन के असर से एक अंक की गिरावट देखी गई जिससे लगातार 10वीं तिमाही में बढ़ोतरी धीमी रही। कंपनी का मानना है कि यह एक अस्थायी समायोजन है और उसे इन सुधारों के दीर्घावधि लाभों पर पूरा भरोसा है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार की बात करें तो प्रमुख श्रेणियों में मूल्य निर्धारण पर भारी प्रतिस्पर्धा के कारण इंडोनेशिया के परिचालन दबाव में बना हुआ है। लिहाजा, मूल्य वृद्धि में एक अंक की गिरावट की आशंका है।
वैश्विक व्यवसाय में मूल्य निर्धारण संबंधित दबाव का मुनाफे पर नकारात्मक असर दिखेगा। नोमूरा रिसर्च के मिहिर पी शाह और रिया पाटनी का मानना है कि जीसीपीएल के मार्जिन में गिरावट जारी रहेगी जिसकी वजह इंडोनेशियाई कारोबार में कड़ी प्रतिस्पर्धा, अफ्रीका में ब्रांड निवेश में बढ़ोतरी और साबुन की कीमतें बढ़ाने में देरी है।
उन्हें उम्मीद है कि इससे समेकित परिचालन लाभ में सालाना आधार पर मध्यम से ऊंचे एक अंक की गिरावट आएगी। ब्रोकरेज फर्म को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही से कंपनी को कम कीमतों वाले पाम ऑयल की कीमतों से फायदा होगा। नोमूरा रिसर्च ने 1,500 रुपये के लक्ष्य मूल्य के साथ इसे खरीद रेटिंग दी है।
ऐंटीक स्टॉक ब्रोकिंग को भी जीएसटी संबंधित बदलाव के कारण मुनाफा प्रभावित होने की आशंका है, जिससे परिचालन लाभ में सालाना आधार पर गिरावट आ सकती है। ब्रोकरेज के विश्लेषक अभिजित कुंडू का मानना है कि ऊंची लागत वाली इन्वेंट्री और कच्चे माल की अनिश्चितता के कारण लाभ में कमी की संभावना है। हालांकि, ब्रोकरेज को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025-28 के दौरान परिचालन लाभ मार्जिन 188 आधार अंक बढ़कर 22.8 प्रतिशत हो जाएगा।