बाजार

Share buyback: नए कर ढांचे के कारण शेयर पुनर्खरीद की कामयाबी दर घट सकती है

उच्च कर भार के चलते शेयरधारक पुनर्खरीद कार्यक्रम में शेयर बेचने से हिचकिचा सकते हैं, जिससे पुनर्खरीद की दर में गिरावट आने की आशंका है।

Published by
समी मोडक   
Last Updated- July 24, 2024 | 10:30 PM IST

शेयरों की पुनर्खरीद की कामयाबी की दर नए कर ढांचे के तहत घट सकती है क्योंकि उच्च कर के कारण शेयर पुनर्खरीद कार्यक्रम में शेयरधारक अपने शेयर बेचने से परहेज कर सकते हैं। प्राइम डेटाबेस के मुताबिक, पुनर्खरीद की कामयाबी की दर (पुनर्खरीद की प्रस्तावित रकम और वास्तविक पुनर्खरीद का अंतर) साल 2015 से भारतीय कंपनी जगत के लिए औसतन 98 फीसदी रही है और इस अवधि में 3.1 लाख करोड़ रुपये के शेयरों की पुनर्खरीद हुई है।

मोटे तौर पर कंपनी की तरफ से घोषित पुनर्खरीद की कीमतें मौजूदा बाजार भाव से 5 से 30 फीसदी प्रीमियम होता है। यह प्रीमियम शेयरधारकों को अपने शेयर टेंडर करने के लिए दिया जाता है, बजाय इसके कि वे खुले बाजार में इसे बेचें। हालांकि सरकार की तरफ से पुनर्खरीद कर का भार कंपनियों से वैयक्तिक शेयरधारकों पर डाले जाने के साथ पुनर्खरीद के जरिये मिलने वाली सकल राशि पर कर की प्रभावी दर 30 फीसदी से ज्यादा हो सकती है, जो उच्च कर के दायरे में आते हों।

एक विश्लेषक ने कहा, आने वाले समय में शेयरधारक पुनर्खरीद की कीमत की गणना कर के आधार पर करेंगे। अगर मौजूदा बाजार भाव से कीमत कम होगी तो वे शेयर में निवेशित रहना चाहेंगे या खुले बाजार में उसे बेचना पसंद करेंगे। खुले बाजार में बेचे गए शेयरों पर या तो 20 फीसदी का पूंजीगत लाभ कर लग सकता है, अगर निवेश की अवधि 12 महीने से कम है। या फिर इस पर 12.5 फीसदी कर लग सकता है, अगर निवेश की अवधि 12 महीने से ज्यादा हो।

बाजार के प्रतिभागियों ने कहा, कंपनियां पुनर्खरीद कर पर 20 फीसदी की बचत कर पाएंगी, अभी इसे शेयरधारकों पर डालना होगा और इसके लिए कंपनियां कर की भरपाई के लिए पुनर्खरीद की कीमत को अधिकतम कर सकती हैं। लाभांश व पुनर्खरीद अतिरिक्त नकदी को शेयरधारकों को लौटाने का दो जरिया है।

नए कर ढांचे का लक्ष्य दोनों के बीच कर आर्बिट्रेज को समाप्त करना है। अभी लाभांश चुकाने वाली कंपययों को कर नहीं देना होता और यह प्रापक के हाथों करयोग्य होता है और उस पर वैयक्तिक टैक्स स्लैब के हिसाब से कर देना होता है।

1 अक्टूबर से शेयर पुनर्खरीद पर मिलने वाली सकल रकम पर शेयरधारकों से कर वसूला जाएगा, यह मानते हुए कि यह माना हुआ लाभांश है। कंसल्टिंग फर्म कैटलिस्ट एडवाइजर्स के प्रबंध निदेशक केतन दलाल ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुनर्खरीद का चरित्र चित्रण लाभांश के तौर पर हो रहा है।

हालांकि तार्किक रूप से यह पूंजीगत लाभ होना चाहिए। उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि खुले बाजार के तहत पुनर्खरीद पर नया कर मुश्किल हो सकता है क्योंकि शेयरों की बिक्री एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर होती है। इस बीच, टेंडर मार्ग से होने वाली पुनर्खरीद एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म से बाहर होती है। हालांकि सेबी ने फैसला लिया है कि खुले बाजार से पुनर्खरीद को पूरी तरह से मार्च 2025 से बंद किया जाएगा।

First Published : July 24, 2024 | 10:30 PM IST