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बैंकों पर भी टिकी सेबी की दूरबीन

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 10:10 PM IST

तकरीबन 7,000 करोड़ रुपये का चूना लगाने वाले सत्यम घोटाले की आंच अब बैंकों तक पहुंचने लगी है। पूंजी बाजार के नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस मामले में बैंकों की भूमिका भी जांचनी शुरू कर दी है।


सेबी देख रहा है कि सत्यम के चेयरमैन रामलिंग राजू ने 5,000 करोड़ रुपये के जिस काल्पनिक नकद और बैंक बैलेंस की बात की थी, उसे दिखाने में बैंकों का कितना किरदार था।

कहा जा रहा है कि बैंकों की फिक्सड डिपॉजिट में भी राजू ने धोखाधड़ी की थी। सत्यम के खाते और वित्तीय लेनदेन बीनपी पारिबा, सिटीबैंक, एचएसबीसी, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के साथ चलते थे और इन सभी बैंकों के साथ हुए कंपनी के लेनदेन पर सेबी की दूरबीन काम कर रही है।

जांच कंपनी रजिस्ट्रार के साथ मिलकर की जा रही है। यदि बैंकों को कंपनी के साथ किसी भी तरह की साजिश में शामिल होने का दोषी पाया जाता है, तो बैंकिंग नियमों के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

अगर ऐसा साबित हो जाता है कि बैंकों के अधिकारी इस मामले में कंपनी प्रबंधन के साथ काम कर रहे थे, तो बैंक कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक मामले भी दर्ज कराए जा सकते हैं।

सेबी इस बात की जांच भी कर रहा है कि कंपनी के आंतरिक ऑडिटरों की इस मामले में कितनी और किस तरह की भूमिका रही है।

आंतरिक ऑडिटरों की भूमिका को इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि बाहरी ऑडिटर कंपनी पीडब्ल्यूसी कह चुकी है कि उसकी ऑडिट रिपोर्ट पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उसने सफाई पेश करते हुए कहा था, ‘हमने उस सूचना और जानकारी पर भरोसा किया, जो प्रबंधन ने हमें दी थी।’

सेबी इनसाइडर ट्रेडिंग की भी जांच कर रही है। सूत्रों ने कहा कि पहले कंपनी के अंदर ही इनसाइडर ट्रेडिंग की पड़ताल की जाएगी।

First Published : January 15, 2009 | 11:59 PM IST