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अगर आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं, तो यह खबर आपके लिए जरूरी है! UPI पेमेंट्स की तरह ही अब आपका ट्रेडिंग और डिमैट अकाउंट भी पहले से ज्यादा सुरक्षित होगा। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने मंगलवार को SIM-बाइंडिंग मैकेनिज्म का प्रस्ताव रखा है, जिससे अनऑथराइज्ड लॉग इन और धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा।
अब आपका यूनिक क्लाइंट कोड (UCC) केवल उसी डिवाइस से एक्सेस हो सकेगा, जो आपके सिम से लिंक होगा। यानी, बिना आपकी अनुमति के कोई और आपके ट्रेडिंग अकाउंट में लॉगिन नहीं कर सकेगा! यह प्रक्रिया UPI पेमेंट एप्लिकेशन की तरह काम करेगी, जहां लॉग-इन के लिए ट्रेडिंग एप्लिकेशन को यूजर का UCC, सिम और मोबाइल डिवाइस वेरीफाई करना होगा। इससे अनऑथराइज्ड लॉग इन और साइबर धोखाधड़ी की संभावनाएं कम होंगी।
इस नए फ्रेमवर्क के तहत बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन, मल्टी-डिवाइस लॉग-इन, फैमिली अकाउंट ऑपरेशन और अस्थायी लॉक-इन जैसी सुविधाएं जोड़ी जाएंगी। वहीं, कॉल एंड ट्रेड/वॉक-इन ट्रेडिंग जैसी सेवाओं की सुरक्षा को भी मजबूत किया जाएगा। इसके अलावा, ट्रेडिंग इकोसिस्टम को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए कई अन्य तकनीकी उपायों को शामिल किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य सिर्फ ऑथराइज्ड निवेशकों को ही ट्रेडिंग की अनुमति देना और ऑनलाइन फ्रॉड की संभावनाओं को कम करना है।
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SEBI के कंसल्टेशन पेपर के मुताबिक, अब निवेशकों के ट्रेडिंग अकाउंट को और भी ज्यादा सुरक्षित बनाया जा रहा है। नए प्रस्तावित फ्रेमवर्क के तहत, ट्रेडिंग मोबाइल एप्लिकेशन में लॉग-इन करने के लिए सिर्फ रजिस्टर्ड मोबाइल डिवाइस का ही इस्तेमाल किया जा सकेगा। यानी, आपका अकाउंट सिर्फ वही व्यक्ति एक्सेस कर सकेगा, जो उसका असली मालिक है।
इस नए सिस्टम में बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन या फेसियल रिकग्निशन जैसी हाई-सिक्योरिटी सुविधाएं दी जाएंगी, जिन्हें बदला या हैक नहीं किया जा सकता। यह रजिस्टर्ड मोबाइल डिवाइस ही आपका की-पास बनेगा, जिससे आप अपने ट्रेडिंग अकाउंट को मोबाइल और डेस्कटॉप दोनों पर एक्सेस कर पाएंगे।
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शेयर मार्केट में सिक्योर ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए सिम, मोबाइल और यूनिक क्लाइंट कोड (UCC) की हार्ड बाइंडिंग का नया रूल लाया जा रहा है। पहले फेज में टॉप 10 क्वालिफाइड स्टॉक ब्रोकर (QBS) को इसे अपनाना होगा। उन्हें छह महीने के अंदर ज़रूरी टेक्नोलॉजी अपग्रेड करने होंगे ताकि यह सिस्टम सही से काम कर सके।
शुरुआती स्टेज में इन्वेस्टर्स के लिए यह सिक्योर ऑथेंटिकेशन सिस्टम (सिम-मोबाइल-UCC बाइंडिंग) ऑप्शनल रहेगा। यानी वे चाहें तो इसे यूज़ कर सकते हैं या अपनी मौजूदा प्रोसेस जारी रख सकते हैं। लेकिन आगे इसे धीरे-धीरे कंपलसरी कर दिया जाएगा, जिससे ट्रेडिंग अकाउंट का एक्सेस और ज्यादा सिक्योर हो सके।
इसके अलावा, ऑथेंटिकेशन सिस्टम को छोड़कर बाकी सभी रूल्स सभी स्टॉक ब्रोकर और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स पर अप्लाई होंगे।