नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में बुधवार को आई तकनीकी गड़बड़ी से स्टॉक एक्सचेंज क्षेत्र में ज्यादा प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के प्रस्ताव से बाजार नियामक को बड़ी मदद मिल सकती है। जनवरी में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक चर्चा पत्र जारी किया था जिसमें उसने एक्सचेंज क्षेत्र में नई कंपनियों को अनुमति देने के लिए स्वामित्व नियमों को नरम बनाने का प्रस्ताव रखा। ब्लॉकचेन जैसी नई प्रौद्योगिकियों की वजह से एक्सचेंज क्षेत्र में वैश्विक रूप से बड़ा बदलाव देखा जा रहा है।
इसे लेकर राय अलग अलग है। बाजार का एक वर्ग यह मान रहा है कि तरलता पूल बेहतर कीमत तलाश को आसान बनाने और प्रभाव लागत घटाने के लिए एकमात्र विकल्प होना चाहिए। वहीं अन्य का मानना है कि प्रतिस्पर्धा मौजूदा कंपनियों को मजबूत बनने के लिए प्रेरित करेगी। इसके अलावा वित्तीय प्रौद्योगिकी में ताजा घटनाक्रम तभी कारगर साबित होंगे जब कई कंपनियों को एक्सचेंज क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति दी जाए।
‘नई कंपनियों को स्टॉक एक्सचेंज/डिपोजिटरी बनाने में मदद के लिए स्वामित्व की समीक्षा और प्रशासनिक मानक’ चर्चा पत्र पर प्रतिक्रियाएं सौंपने की आखिरी तारीख 5 फरवरी थी। बाजार नियामक मौजूदा समय में बाजार की प्रतिक्रियाएं जुटा रहा है। बाजार कारोबारियों का कहना है कि सेबी बोर्ड द्वारा निकट भविष्य में इस संबंध में निर्णय लेने की प्रक्रिया में हालांकि बुधवार को एनएसई में पैदा हुई तकनीकी गड़बबड़ी (जिससे करीब चार घंटे कारोबार बंद रहा) चर्चा का बड़ा मुद्दा बनने की संभावना है।
मौजूदा समय में, एनएसई को बीएसई और एमएसईआई से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि एक्सचेंज कैश मार्केट सेगमेंट और डेरिवेटिव सेगमेंट, दोनों में 90 प्रतिशत से ज्यादा भागीदारी हासिल करने में कामयाब रहा है।
सीएफए इंस्टीट्यूट में निदेशक (कैपिटल मार्केट्स पॉलिसी-इंडिया) शिवअनंत रामचंद्रन का कहना है, ‘एनएसई के वर्चस्व को लेकर सुरक्षा शायद हाल के समय में एनएसई द्वारा कई गड़बडिय़ों का परिणाम है। एक्सचेंज क्षेत्र में प्रवेश के लिए बाधाएं घटाने का सेबी का प्रस्ताव एक समझदार पहल है। यह माना जा रहा है कि नई कंपनियां एक्सचेंज चेत्र में प्रवेश के इंतजार में हैं, या कोई बड़ी विदेशी इकाई छोटे एक्सचेंज में पूंजी और दक्षता लगा सकती है। लेकिन इसकी ज्यादा संभावना है कि इससे एनएसई को अपना परिचालन स्वच्छ बनाने, परिचालन सुधार पर जोर देने और नई प्रौद्योगिकियों को आजमाने पार जोर देना होगा।’
इस तरह की तकनीकी गड़बडिय़ां नई बात नहीं हैं। न्यूयार्क से लेकर टोक्यो तक के कई एक्सचेंजों को सॉफ्टवेयर या हार्डवेयर की खामियों की वजह से इस त रह की समस्याओं का सामना करना पड़ा है। विश्लेषकों का कहना है कि त्रुटिपूर्ण एल्गो, साइबर हमलों और मानवीय गलतियों की वजह से एक्सचेंजों के समक्ष परिचालन संबंधी जोखिम अब पहले की तुलना में बढ़ गए हैं। इसकी वजह से कुछ का कहना है कि इस तरह की तकनीकी खामियों को एक्सचेंज क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के संबंध में निर्णय के वक्त एकमात्र कारक नहीं बनाया जाना चाहिए।