प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी)आर्ट फंड पर अपने प्रस्तावित प्रावधानों पर कुछ सुधार करने के बारे में गौर कर रहा है।
इस प्रस्तावित संशोधन में सभी आर्ट फंड को एकमुश्त अनुमति देने के स्थान पर केस-टू-केस बेसिस के आधार पर अनुमति देने पर सेबी विचार कर सकता है। फरवरी में सेबी ने कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम के रूप में परिचालन कर रहे आर्ट फंड को पंजीकरण के लिए बुलाया था।
सेबी कानून की धारा 12(आईबी) के अनुसार बिना सेबी से पंजीकरण का सर्टिफिकेट प्राप्त किए कोई भी व्यक्ति न तो कलेक्टिव इनवेस्टमेंट स्कीम जारी कर सकते हैं और न ही इनके जारी करने का जरिया बन सकते हैं। सेबी ने यात्रा, ओसियान और क्रेयान आर्ट फंडों को पंजीकरण के प्रावधानों का पालन न करने के लिए नोटिस जारी किया है।
इनमें से कई फंडों ने कहा कि वे पहचान योग्य और कुछ चयनित लोगों के लाभ के लिए बनाए गए ट्रस्ट हैं और ये सामान्य जनता से पूंजी इकठ्ठा नहीं कर रहे हैं। सेबी द्वारा इस मामले पर जल्द ही कोई फैसला करने की उम्मीद है। अपने परिचालन की प्रकृति की वजह आर्ट फंडों ने सेबी का ध्यान आकर्षित किया था। ये फंड अपने पोर्टफोलियो को डिस्क्लोज नहीं करते हैं।
इस माहौल मे सेबी कुछ पाबंदियों पर विचार कर रहा है। एक मामले की एक अपीलकर्ता कंपनी से जुडे हुए वकील का कहना है कि सेबी ने इस तथ्य से इंकार किया है कि ये फंड किसी भी प्रकार एक निश्चित समूह को लाभ पहुंचाने वाले ट्रस्ट हैं। उसे आर्ट फंड को अपने समीक्षा के अधीन लाने के लिए कोई बीच का रास्ता निकालना होगा।
वैश्विक बाजार में चल रहे उतार-चढ़ावों की वजह से कुछ आर्ट फंडों अपनी लांचिंग को टाल दिया है। देश में आर्ट का संगठित बाजार 800 करोड़ रुपयों का है और यह सालाना 30 फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार एबीएन एमरो, यस बैंक और आईसीआईसीआई बैंक आर्ट एडवायजरी ऑफर कर रही है जिसमें एचएनआईस को आर्ट वर्क के चयन करने और खरीदने के बारे में सलाह दी जाती है।