बाजार नियामक सेबी ने बाजार मेंं उतारचढ़ाव के दौरान म्युचुअल फंड निवेशकों को सुरक्षा देने के लिए कीमत में घट-बढ़ की व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव किया। कीमत में घट-बढ़ उस प्रक्रिया को इंगित करता है जिसमें फंड के नेट ऐसेट वैल्यू को समायोजित करने की व्यवस्था है। इसके तहत फंड योजना से निकासी या निवेश की स्थिति में लेनदेन लागत को प्रभावी तरीके से निवेशक तक पहुंचाने की व्ववस्था है।
आज जारी चर्चा पत्र में सेबी ने कहा है कि एक हाइब्रिड मॉडल का प्रस्ताव किया गया है, जो सामान्य स्थिति में आंशिक घटबढ़ की बात करता है और बाजार में उतारचढ़ाव के दौरान अनिवार्य तौर पर पूरी तरह घटबढ़ की बात करता है। सेबी बाजार में उतारचढ़ाव का निर्धारण उद्योग निकाय एम्फी की सिफारिशों या अन्य चीजों मसलन उद्योग के स्तर पर शुद्ध निवेश निकासी, वैश्विक बाजार के संकेतकों, भारतीय बाजार में उतारचढ़ाव व बॉन्ड बाजार के संकेतकों के आधार पर करेगा।
भारत में द्वितीयक बॉन्ड बाजार उतना तरल नहीं है जितना कि इक्विटी बाजार और यह किसी एक कारोबारी दिवस में सीमित प्रतिभूतियां ही समाहित कर सकता है। इसके अलावा नकदी उच्च गुणवत्ता वाली प्रतिभूतियों तक सकेंद्रित है और बाजार मेंं उतारचढ़ाव के दौरान काफी जोखिम देखा जाता है और बॉन्ड प्रतिफल के लिहाज से बेंचमार्क के मुकाबले स्प्रेड खास तौर से कम गुणवत्ता वाली प्रतिभूतियों के लिए पाया जाता है।