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SEBI crackdown: केवल 8 महीने में ₹40 करोड़ की कंपनी बनी ₹4000 करोड़ की, फर्जीवाड़ा पता लगते ही SEBI ने लगाया बैन

बाजार के इस 'पंप एंड डंप' ड्रामे पर सेबी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 7 कंपनियों को बाजार से बैन कर दिया।

Last Updated- January 16, 2025 | 8:07 PM IST
SEBI

सोचिए, एक कंपनी जिसकी कमाई का नाम-ओ-निशान नहीं और शेयर की कीमत आसमान छूने लगे। कुछ ऐसा ही खेल पकड़ा है सेबी ने। बाजार के इस ‘पंप एंड डंप’ ड्रामे पर सेबी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 7 कंपनियों को बाजार से बैन कर दिया। सेबी ने पाचेली इंडस्ट्रियल फाइनेंस लिमिटेड (PIFL), अभिजीत ट्रेडिंग कंपनी, कैलिक्स सिक्योरिटीज, हिबिस्कस होल्डिंग्स, अवेल फाइनेंशियल सर्विसेज, एडॉप्टिका रिटेल इंडिया और सल्फर सिक्योरिटीज पर रोक लगाई है। अब ये कंपनियां न तो शेयर खरीद सकेंगी और न बेच सकेंगी, न ही पूंजी बाजार में कदम रख पाएंगी।

क्या था खेल?

पाचेली इंडस्ट्रियल, जो पिछले साल तक अपनी कमाई के लिए तरस रही थी, अचानक ₹1,000 करोड़ का कर्ज ले लेती है। लेकिन ये कर्ज कैसे चुकाया जाएगा, इसका कोई प्लान नहीं। फिर चमत्कार ये होता है कि कंपनी का शेयर 8 महीनों में ₹40 करोड़ से बढ़कर ₹4,000 करोड़ का बाजार पूंजीकरण हासिल कर लेता है।

कंपनी ने 2022 और 2023 में कोई ऑपरेटिंग इनकम नहीं दिखाई। 2024 में ₹1.07 करोड़ की आय जरूर दर्ज की, लेकिन वो भी बैड लोन की वसूली और लोन से मिले ब्याज के दम पर। और शेयर की वैल्यू ऐसी बढ़ी कि पी/ई रेशियो 4,05,664 तक पहुंच गया।

सेबी की जांच में खुलासा हुआ कि कंपनी ने जुड़े हुए संस्थानों से कर्ज लिया और फिर उसे इक्विटी में बदल दिया। इस घुमाव-फिराव से बिना कोई असली पैसा लिए शेयर जारी किए गए। और फिर तो छह लोगों के पास कंपनी के 99.28% शेयर पहुंच गए।

आसान भाषा में कहें तो सेबी की जांच में पाया गया कि पाचेली इंडस्ट्रियल फाइनेंस लिमिटेड (PIFL) ने कुछ ऐसी कंपनियों से कर्ज लिया, जो उससे पहले से जुड़ी हुई थीं। मतलब ये कंपनियां या तो दोस्ताना संबंधों वाली थीं, या फिर उनकी अपनी ही थीं। कर्ज लेने के बाद कंपनी ने उस कर्ज को चुकाने के बजाय, एक नया तरीका अपनाया। उन्होंने कहा, “हम तुम्हें पैसा वापस नहीं देंगे, इसके बदले हम तुम्हें अपनी कंपनी के शेयर दे देते हैं।” आम तौर पर शेयर जारी करने के लिए कंपनी को असली पैसा लेना पड़ता है, लेकिन यहां ऐसा नहीं हुआ। कर्ज और पैसा सिर्फ कागजों पर इधर-उधर घुमाया गया। असली लेन-देन नहीं हुआ। जो लोग कर्ज देने का नाटक कर रहे थे, उन्हें कंपनी के 99.28% शेयर मिल गए। इसका मतलब है कि अब लगभग पूरी कंपनी उन्हीं के हाथ में थी।

‘छोटे फ्री फ्लोट’ का बड़ा खेल

कंपनी के शेयर का सिर्फ 0.72% बाजार में ट्रेडिंग के लिए था, बाकी 99.28% लॉक-इन थे। इतने छोटे फ्री फ्लोट ने शेयर की कीमत को मनमाने तरीके से बढ़ने का मौका दिया।

सेबी का बयान

सेबी ने कहा, “यह मामला ‘पंप एंड डंप’ स्कीम जैसा लगता है। कंपनी ने शेयर की कीमत बढ़ाने और बाजार को धोखा देने की पूरी प्लानिंग की थी। अगर अभी कार्रवाई न की गई तो आम निवेशक इस फर्जी खेल का शिकार बन सकते हैं।” सेबी ने कंपनी के शेयरों को फ्रीज कर दिया है। 11 मार्च 2025 तक इन शेयरों को बाजार में बेचा नहीं जा सकेगा। सेबी की सख्त नजर अब इस पूरे मामले की गहराई से जांच करेगी।

यह घटना दिखाती है कि शेयर बाजार में फर्जीवाड़े से पैसा बनाना आसान नहीं है। सेबी की नजरें हर गड़बड़ पर टिकी रहती हैं। तो अगली बार कोई शेयर अचानक रॉकेट की तरह बढ़े, तो सतर्क रहें।

First Published - January 16, 2025 | 8:02 PM IST

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