बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लगातार दूसरे दिन इंडेक्स के शेयरों में सबसे ज्यादा नुकसान दर्ज करने वाली कंपनी रही। तेल से लेकर दूरसंचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनी के शेयर की कीमत शुक्रवार को 2.2 फीसदी घट गई जबकि एनएसई निफ्टी में 0.42 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई। गुरुवार को भी व्यापक बाजार के मुकाबले शेयर का प्रदर्शन कमजोर रहा था और यह 2.6 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुआ था जबकि बेंचमार्क इंडेक्स में 0.66 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई थी।
गुरुवार की सालाना आम बैठक में आरआईएल के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने बड़े विस्तार और विशाखन की योजना का ऐलान किया था, बावजूद इसके शेयर में गिरावट दर्ज हुई। अंबानी ने सौर ऊर्जा में अरबों डॉलर के निवेश, 5जी मोबाइल टेक्नोलॉजी में उतरने और नया अफोर्डेबल 4जी स्मार्टफोन पेश करने की योजना का ऐलान किया था।
कुछ समय से हालांकि बाजार आरआईएल के शेयर को लेकर शांत रहा है। पिछले एक साल में व्यापक बाजार के मुकाबले इस शेयर का प्रदर्शन कमजोर रहा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज का शेयर पिछली जुलाई से करीब-करीब स्थिर रहा है (इसमें महज 4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है) जबकि निफ्टी में इस दौरान 43 फीसदी की जोरदार बढ़त देखने को मिली है।
एक्सचेंजों पर आरआईएल के शेयरों के कमजोर प्रदर्शन की एक वजह उसके लाभप्रदता अनुपात में लगातार हो रही गिरावट है। आरआईएल के अहम वित्तीय अनुपातों मसलन नियोजित पूंजी पर रिटर्न और नेटवर्थ पर रिटर्न में हाल के वर्षों में लगातार गिरावट आई है क्योंकि कंपनी की आय की रफ्तार ने उसकी बैलेंस शीट में हो रही तीव्र बढ़ोतरी व कारोबार में नियोजित पूंजी में इजाफे के साथ कदमताल नहीं की।
एकीकृत आधार पर नियोजित पूंजी पर कंपनी का रिटर्न वित्त वर्ष 21 में घटकर 7.8 फीसदी रह गया, जो कम से कम तीन दशक का निचला स्तर है। पिछली बार वित्त वर्ष 2015 में 9.5 फीसदी का निचला स्तर देखने को मिला था। इसी तरह कंपनी के नेटवर्थ पर रिटर्न पिछले वित्त वर्ष में 8.4 फीसदी के निचले स्तर पर आ गया। यह जानकारी कैपिटालाइन के आंकड़ों से मिली।
दूसरे शब्दों में बड़ी संपत्ति आधार (भारतीय कंपनी जगत में सबसे बड़ा) पर कंपनी का रिटर्न अग्रणी रेटिंग वाले कॉरपोरेट बॉन्डों के प्रतिफल से मामूली ऊपर है। इसकी तुलना में इंडेक्स की कंपनियों ने वित्त वर्ष 21 में नेटवर्थ पर औसतन 10.5 फीसदी रिटर्न दर्ज किया। पिछले पांच साल में कंपनी का नेटवर्थ वित्त वर्ष 16 के 2.3 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले तीन गुना होकर इस साल मार्च के आखिर में 7 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इस अवधि में आरआईएल की कुल परिसंपत्तियां मार्च 2016 के 5.97 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले दोगुनी होकर वित्त वर्ष 21 के आखिर में 12.43 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। इस अवधि में कंपनी का एकीकृत शुद्ध लाभ (विशेष लाभ व हानि से समायोजित) वित्त वर्ष 15 के 29,800 करोड़ रुपये के मुकाबले 50 फीसदी बढ़कर वित्त वर्ष 21 में 43,800 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
इसके अलावा कंपनी अपने राजस्व व बैलेंस शीट के आकार के अनुपात में अग्रणी कंपनियों के मुकाबले सबसे कम लाभांश देने वाली फर्मों में शामिल है। कंपनी ने वित्त वर्ष 21 में कुल 4,512 करोड़ रुपये का इक्विटी लाभांश दिया जबकि टीसीएस ने करीब 30,000 करोड़ रुपये शेयरधारकोंं को लाभांश व पुनर्खरीद के जरिए पिछले वित्त वर्ष में दिए।
आय में अपेक्षाकृत कम बढ़ोतरी ने भी आरआईएल के मार्केट कैप व आय की रफ्तार के बीच खाई पैदा की है। कंपनी का बाजार पूंजीकरण पिछले पांच साल में चार गुना होकर 3.38 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 13.61 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो उसे सबसे महंगे इंडेक्स शेयरों में से एक बनाता है। यह तो समय ही बताएगा कि देश की सबसे बड़ी कंपनी की तरफ से हो रहे विशाखन से शेयरधारकों की उम्मीद के मुताबिक आय में तीव्र बढ़ोतरी हासिल कर पाएगी।
