नवंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय शेयर बाजार में रिकॉर्ड निवेश किया। महीने के दौरान एफपीआई ने भारतीय शेयरों में 7.4 अरब डॉलर यानी करीब 54,573 करोड़ रुपये झोंके जो स्थानीय मुद्रा और अमेरिकी डॉलर दोनों लिहाज से किसी एक महीने के दौरान एफपीआई का अब तका सर्वाधिक शुद्ध निवेश है। बीएस रिसर्च ब्यूरो द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि डॉलर में एफपीआई निवेश का पिछला रिकॉर्ड सितंबर 2010 में दिखा था। जबकि रुपये में इसी साल अगस्त में 45,637 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश दर्ज किया गया था। एफपीआई के दमदार निवेश ने बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी को इस महीने 12 फीसदी की बढ़त के साथ एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
डॉलर में नरमी, अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम को लेकर उम्मीद और कोविड-19 के टीकों के परीक्षण में प्रगति के मद्देनजर वैश्विक निवेशकों में जोखिम लेने की चाहत बढ़ गई।
एवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटेजिज के सीईओ एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘बाइडेन का चुनाव एशिया और चीन के लिए अच्छी खबर है। हो सकता है कि आय में सुधार और आर्थिक कारणों से भारत के बारे में कुछ अतिरिक्त उम्मीद हो।’
मई के बाद घरेलू शेयरों में 20 अरब डॉलर यानी 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश हुआ जो सात महीने के आधार पर अब तक का सर्वाधिक है।
डाल्टन कैपिटल इंडिया के निदेशक यूआर भट ने कहा, ‘पश्चिमी देशों में सरकार की ओर से काफी प्रोत्साहन दी जा रही है और ऐसे में उन्हें ऐसी जगहों की तलाश करनी होगी जहां वे निवेश कर सकें। क्योंकि निश्चित आय वाले निवेश विकल्पों में वास्तव में कोई खास लाभ नहीं होता है।
