facebookmetapixel
25 की उम्र में रचा इतिहास! मैथिली ठाकुर बनीं बिहार की सबसे कम उम्र की MLA; जानें पिछले युवा विजेताओं की लिस्टDividend Stocks: अगले हफ्ते 50 से अधिक कंपनियां बाटेंगी डिविडेंड, शेयधारकों को मिलेगा अतिरिक्त मुनाफाBonus Stocks: हर एक पर पांच शेयर फ्री! ऑटो सेक्टर से जुड़ी कंपनी का निवेशकों को गिफ्ट, रिकॉर्ड डेट फिक्सBihar Election Results: महागठबंधन की उम्मीदें क्यों टूटीं, NDA ने डबल सेंचुरी कैसे बनाई?इंडिगो 25 दिसंबर से नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 10 शहरों के लिए शुरू करेगी घरेलू उड़ानेंDelhi Weather Update: सावधान! दिल्ली-NCR में जहरीली हवा का कहर, IMD ने कोल्ड-वेव अलर्ट जारी कियाNowgam Blast: फरीदाबाद में जब्त विस्फोटकों के कारण श्रीनगर में पुलिस थाने में धमाका; 8 की मौत, 27 घायलDecoded: 8वें वेतन आयोग से कर्मचारी और पेंशनरों की जेब पर क्या असर?DPDP के नए नियमों से बढ़ी ‘कंसेंट मैनेजर्स’ की मांगसरकार ने नोटिफाई किए डिजिटल निजी डेटा संरक्षण नियम, कंपनियों को मिली 18 महीने की डेडलाइन

प्रॉपर्टी: अच्छे नहीं आसार

Last Updated- December 09, 2022 | 4:28 PM IST

वर्ष 2008 में निफ्टी में शामिल शेयरों में यूनिटेक का प्रदर्शन सबसे खस्ता रहा है। इसके शेयरों में 92 फीसदी तक की गिरावट आई है।


इसकी प्रतिद्वंद्वी डीएलएफ का भी प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा है और इसके शेयरों में 80 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई।

कुल मिलाकर रियल स्टेट क्षेत्र की बात करें तो इस पूरे क्षेत्र का प्रदर्शन ही वर्ष 2008 में सबसे खस्ता रहा और बीएसई सूचकांक में शामिल इस क्षेत्र की कंपनियों के शेयर में 80 फीसदी तक लुढ़क गए। हालांकि पिछला साल तो बीत गया लेकिन साल ने जाते-जाते नए साल केलिए कई सवाल छोड़ दिए हैं।

इनमें से एक महत्वपूर्ण सवाल यह उठता है कि क्या रियल एस्टेट क्षेत्र मंदी की मार और कारोबार पर छाए घने कोहरे से उबर सकेगा? इस बात की उम्मीद कम ही है कि नए साल में भी इस क्षेत्र के लिए संभावनाएं बेहतर होंगी।

संभावना तो इस बात की व्यक्त की जा रही है कि नए साल की पहली छमाही तो कारोबार के लिहाज से वर्ष 2008 से भी ज्यादा मुश्किलों भरी रहेगी और खासकर पहली तिमाही में किसी तरह के राहत की उम्मीद करना और भी मुश्किल नजर आ रहा है।

इसकी प्रमुख वजह यह बताई जा रही है कि व्यावसायिक, खुदरा और आवसीय क्षेत्र में मांग की स्थिति बदतर ही रहेगी और मांगों में तुरंत किसी भी प्रकार की तेजी की बात तो कतई नहीं की जा सकती है। वर्ष 2008-09 में लगभग सभी रियल्टी डेवलपरों को अपने कारोबार में नुकसान उठाना पडा है।

इंडिया इन्फोलाइन की एक रिपोर्ट की बात करें तो यूनिटेक के यूनिटेक कॉर्पोरेट पार्क के साथ संयुक्त कारोबार में इसके पोर्टफोलियो में 30 फीसदी तक खाली जगह बताई जा रही है। इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि इन कंपनियों को मिलने वाले नए ठेकों में काफी गिरावट भी दर्ज की गई है।

विश्लेषकों के अनुसार किरायों में हाल में आई 10 से 15 फीसदी की गिरावट के अतिरिक्त और 10 से 20 फीसदी की गिरावट की संभावना जताई जा रही है।

अगर इसके कारणों पर नजर दौड़ाई जाए तो जो बात सामने निकलकर आती है यह कि आईटी उद्योग के लिए पिछला साल कारोबार के नजरिये से बेहतर नहीं रहा है और यह क्षेत्र अपनी भर्ती की योजनाओं में लगातार कटौती कर रहा है।

नए साल में आवासीय परिसंपत्तियों में और ज्यादा गिरावट आने की संभावना है और अगर जहां पर थोड़ी बहुत मांग भी है तो वहां पर खरीदार मौजूदा कीमतों से भी कम कीमतों पर खरीदारी करना चाहते है।

जब तक नौकरी में कटौती का खतरा सताता रहेगा और ब्याज दरों में कमी नहीं आ जाती तब तक खरीदार अपने आप को किसी भी तरह की खरीदारी से दूर रखना ही पसंद करेंगे।

धातु: पिघलना रहेगा जारी

यह कहना कि वर्ष धातुओं के शेयरों के कारोबार केलिहाज से मंद रहा, यह एक तरह से स्थिति को गंभीरता को कम कर आंकने जैसा है। वर्ष 2008 में बीएसई धातु सूचकांक में रियल एस्टेट के बाद सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है।

सबसे ज्यादा खस्ता प्रदर्शन करनेवालों में जहां रियल एस्टेट पहले नंबर पर रहा, वहीं धातु के शेयर भी जबरदस्त गिरावट के साथ दूसरे नंबर पर रहा।

इनकेशेयरों में लगभग 75 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। धातु समूह में टाटा स्टील का प्रदर्शन सबसे ज्यादा निराशानजनक रहा और कंपनी के शेयरों में 77 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई।

टाटा स्टील के अलावा अन्य कंपनियों को भी मंदी का दंश झेलना पड़ा। हिंडाल्को और स्टरलाइट के शेयर भी दम तोड़ते नजर आए और और इन दोनों कंपनियों के शेयरों में करीब 75 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

हालांकि सेल का प्रदर्शन कुछ हद तक बेहतर रहा और इसमें अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों की अपेक्षा थोड़ी कम यानी 72 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

यहां भी एक प्रश्न खडा होता है कि इन क्षेत्रों का प्रदर्शन वर्ष 2009 में कैसा रहेगा? अन्य क्षेत्रों की तरह ही नए साल की पहली छमाही भी धातु क्षेत्र के लिए कारोबार के लिहाज से बेहतर नहीं रहेगा।

इसकी वजह यह बताई जा रही है कि मंदी के कारण बडी अर्थव्यवस्थाओं में मांग की स्थिति ठीक  नहीं रहेगी। यूरोप सहित अन्य बड़े बाजारों में वाहन क्षेत्र के कारोबार में खासी गिरावट आई है और इस हालत में मांग में कमी आने के कारण एल्युमीनियम और इस्पात की मांग में तेजी आने की उम्मीद कम होती जा रही है।

पिछले साल इस्पात की कीमतों में करीब 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। स्थिति की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आर्सेलर मित्तल ने उत्पादन में कटौती करने की घोषणा कर डाली।

टाटा की अधीनस्थ कंपनी कोरस को भी अपने उत्पादन में 30 फीसदी तक की कटौती करने को मजबूर होना पडा। कुल मिलाकर कहें तो मौजूदा समय को देखकर स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।

First Published - January 1, 2009 | 9:12 PM IST

संबंधित पोस्ट