कच्चे तेल और कोयले की बढ़ती कीमतें भारतीय उद्योग जगत की चिंता बढ़ा सकती हैं। पिछले महीने इन कीमतों में करीब 8 प्रतिशत और 15 प्रतिशत की तेजी आई है। विश्लेषकों का मानना है कि कीमत वृद्घि से उद्योग जगत को लागत वृद्घि के दबाव का सामना करना पड़ेगा।
जहां यह प्रभाव गंभीर हो सकता है, वहीं विश्लेषकों का कहना है कि पूरे उद्योग जगत को समान नजरिये से देखना सही नहीं होगा, क्योंकि जिंस कीमतों में वृद्घि से उनके संबद्घ उत्पादक लाभान्वित होंगे। विश्लेषकों को आशंका है कि दूसरी तरफ, तेल कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंचने पर बाजार में भी नकारात्मक प्रतिक्रिया देखी जा सकती है।
अमीश शाह के नेतृत्व में बोफा सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने सुझाव दिया है कि भले ही सरकार के पास मौजूद टैक्स बफर से इन दो जिंसों की कीमत में वृद्घि के वित्तीय प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है, लेकिन भारत के उद्योग जगत की आय (खासकर सीमेंट कंपनियों) पर दबाव पड़ सकता है।
शाह का मानना है कि ये कंपनियां अक्टूबर के अंत या नवंबर के शुरू में इस कीमत वृद्घि का प्रभाव दूर करने की कोशिश कर सकती हैं, क्योंकि मॉनसून के बाद निर्माण गतिविधि में तेजी आती है।
बोफा सिक्योरिटीज का कहना है, ‘उदाहरण के लिए, सीमेंट कंपनियों की 75 प्रतिशत विद्युत और ईंधन लागत कोयले से, 40 प्रतिशत सड़क भाड़ा लागत (कुल लागत का 70 प्रतिशत हिस्सा) डीजल से जुड़ी हुई है। कोयला और डीजल खर्च, दोनों में 5 प्रतिशत की वृद्घि की वजह से मार्जिन पर 100 आधार अंक का दबाव पड़ सकता है जिसका अल्ट्राटेक अंबुजा के एबिटा पर 3.5 प्रतिशत और एसीसी के लिए 4.5 प्रतिशत प्रभाव देखा जा सकता है।’
इन्हें होगा फायदा
हालांकि ऐसे परिदृश्य से लाभ भी होगा। बोफा सिक्योरिटीज का कहना है कि कोल इंडिया और टाटा पावर जैसी जिंस उत्पादक लाभान्वित हो सकती हैं। उदाहरण के लिए चीन में कोयले की मांग-आपूर्ति संतुलन में सख्ती से वैश्विक ताप कोयला कीमतों को लगातार मदद मिल रही है। इसके परिणामस्वरूप, कोल इंडिया को आयातित कोयले की बढ़ती कीमतों का लाभ मिल सकता है।
बोफा सिक्योरिटीज का कहना है, ‘हमें अनुमान है कि कोल इंडिया वित्त वर्ष 2023 में अपनी बिक्री का 20 प्रतिशत हिस्सा ई-नीलामी बाजार में खपा सकती है और ई-नीलामी कीमतों में प्रत्येक 10 प्रतिशत वृद्घि से आय में 11.5 प्रतिशत तक का इजाफा दर्ज कर सकती है।’
साथ ही चीनी एल्युमीनियम उत्पादकों के लिए किल्लत और ऊंची विद्युत लागत भी एलएमई एल्युमीनियम कीमतों के लिए अच्छा संकेत हो सकती है।
तेल में उबाल
गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों ने एक ताजा रिपोर्ट में सुझाव दिया कि उन्हें ब्रेंट क्रूड तेल कीमतें दिसंबर तक 90 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच जाने की संभावना है। अनुमान से ज्यादा आपूर्ति-मांग किल्लत की वजह से इन कीमतों में इजाफा हो सकता है।
इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम के अनुसार, कोयला कीमतों में तेजी काफी हद तक अस्थायी है और इसे प्रबंधित भी किया जा सकेगा। दूसरी तरफ, उनका मानना है कि तेल में तेजी वाकई एक गंभीर समस्या साबित हो सकती है।
उन्होंने कहा, ‘बाजार तेल कीमतें करीब 90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने की स्थिति का सामना कर सकता है। इस स्तर से ऊपर यदि तेजी आती है तो उससे वित्तीय स्थिति के प्रबंधन के संदर्भ में सरकार को समस्या हो सकती है, क्योंकि इससे मुद्रास्फीति की समस्या भी पैदा हो सकती है, जिसका बाजार पर नकारात्मक असर पड़ेगा।’