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गिरवी शेयरधारिता दो साल के निचले स्तर पर

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 9:57 AM IST

प्राइमइन्फोबेस डॉटकॉम द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़े के अनुसार, कुल प्रवर्तक गिरवी शेयरधारिता का प्रतिशत दिसंबर 2020 के अत में घटकर दो वर्षों के निचले स्तर पर रह गया। दिसंबर के अंत में यह शेयरधारिता 11.2 प्रतिशत पर दर्ज की गई। विश्लेषकों का कहना है कि शेयर बाजार में तेजी की वजह से इस गिरवी शेयरधारिता में कमजोरी को बढ़ावा
मिला है।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल शोध के प्रमुख दीपक जसानी ने कहा, ‘चूंकि शेयर कीमतें पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान चढ़ी हैं, जिससे प्रवर्तक कुछ गिरवी शेयरों को बाहर निकालने में सक्षम रहे हैं, क्योंकि इन गिरवी की वैल्यू बढ़ी है। इसके अलावा, कुछ प्रवर्तक अन्य स्रोतों से पूंजी जुटाकर भी गिरवी शेयरों को छुड़ा सकते हैं।’
प्राइम डेटाबेस के प्रबंध निदेशक प्रणव हल्दिया के अनुसार, प्रवर्तक कुछ शेयर गिरवी से मुक्त कर सकते हैं, क्योंकि मार्जिन जरूरत घटी है।
उन्होंने कहा, ‘मार्च से, बाजारों में तेजी की वजह से प्रवर्तक गिरवी में लगातार कमी आई है। यदि बाजार में तेजी बरकरार रही तो शेयर गिरवी का स्तर नीचे बना रहेगा।’
इसके अलावा, ऊंचे गिरवी स्तरों को अक्सर निवेशकों द्वारा अच्छा संकेत नहीं माना जाता है, क्योंकि बाजार कीमत में गिरावट से इन शेयरों को जब्त करने और प्रबंधन में बदलाव की जरूरत बढ़ सकती है। निवेशक उस कंपनी को लेकर सजग रहते हैं जिसने अपने शेयर गिरवी रखे होते हैं।
एनएसई पर सूचीबद्घ 1,684 कंपनियों में से, 448 ने दिसंबर 2020 में अपने कुछ शेयर गिरवी रखे थे, जबकि जनवरी 2020 में इन कंपनियों की संख्या 470 थी। इससे स्पष्ट होता है कि शेयर गिरवी वाली कंपनियों का आंकड़ा बाद में घट गया।
हालांकि गिरवी शेयरधारिता की वैल्यू बढ़कर 2.84 लाख करोड़ रुपये रही, जो जनवरी 2020 के अंत के मुकाबले 41 प्रतिशत की वृद्घि है। गिरवी रखे प्रवर्तक शेयरों की वैल्यू दो साल में सर्वाधिक रही। विश्लेषकों का कहना है कि शेयर कीमतों में तेजी की वजह से भी प्रवर्तक गिरवी की वैल्यू बढ़ी है। बाजार नियामक सेबी द्वाराप्रवर्तक गिरवी के बारे में नियमों को सख्त बनाए जाने से भी प्रवर्तक शेयर गिरवी में कमी को बढ़ावा मिला है।
वर्ष 2019 में, सेबी ने प्रवर्तकों को गिरवी प्रतिशत कंपनी की कुल शेयर पूंजी का 20 प्रतिशत पार होने (या कुल प्रवर्तक धारिता का 50 प्रतिशत) की स्थिति में इसकी विस्तार से जानकारी देना अनिवार्य बना दिया था।
हल्दिया ने कहा, ‘2015-2018 के बीच, म्युचुअल फंड प्रवर्तक शेयर गिरवी बाजार में बेहद सक्रिय थे। एमएफ कंपनियों ने अपने क्रेडिट फंडों के जरिये प्रवर्तक शेयरों द्वारा समर्थित पत्रों में भारी निवेश किया था। हालांकि सेबी द्वारा भागीदारी को लेकर नियम सख्त बनाए जाने के बाद उनका योगदान घट गया। कॉरपोरेट घरानों द्वारा समय पर ऋण चुकाने में विफल रहने की वजह से निवेश भागीदारी को लेकर नियम सख्त बना दिए थे।’
दिसंबर 2020 के अंत में, 26 कंपनियों में 100 प्रतिशत प्रवर्तक धारिता गिरवी थी। साथ ही, 77 कंपनियों में 90 प्रतिशत से ज्यादा प्रवर्तक शेयर गिरवी थे, जबकि 172 अन्य में 50 प्रतिशत से ज्यादा प्रवर्तक शेयरधारिता गिरवी थी। जीएमआर इन्फ्रास्ट्रक्चर, सीजी पावर, दीपक फर्टिलाइजर्स जैसी कंपनियों ने गिरवी शेयरों की संख्या में वृद्घि दर्ज की है। 

First Published : January 12, 2021 | 12:27 AM IST