इक्विटी बाजार में जारी गिरावट से वारबर्ग पिंकस, ब्लैकस्टोन ग्रुप, कार्लाइल, अपाक्स पार्टनर्स, क्रिस कैपिटल और सिटीग्रुप जैसे प्राइवेट इक्विटी (पीई) निवेशक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
इन पीई फंडों ने पिछले साल जब बाजार नई ऊंचाईयों को छू रहा था तब भारती और सुजलॉन जैसी कंपनियों में एक साल के लॉक इन पीरियड के साथ निवेश किया था। अब उनके इस निवेश की वैल्यू तेजी से गिरी है और ये फंड अपने पीईपीई (प्राइवेट इंवेस्टमेंट इन पब्लिक इंटरप्राइजेज) पोर्टफोलियो को बेहद नकारात्मक जोन में पा रहे हैं।
इन पीआईपीई सौदों में क्वालिफाइड इंस्टीटयूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) भी शामिल है जिनका कोई लॉक इन या फिर प्राइवेट प्लेसमेंट नहीं होता। एसएमसी ग्लोबल की रिपोर्ट के अनुसार 2007 पीआईपीई निवेश (30 सितंबर 2008 के अनुसार) में पीई फंड की वैल्यू 5.29 अरब डॉलर 24 फीसदी घटकर 4.02 अरब डॉलर ही रह गई।
2007 में इन फंडों ने कुल 67 सौदे किए थे। इनमें से सिर्फ 9 ही लाभ में हैं। उदाहरण के लिए ब्लेकस्टोन ने दिसंबर 2007 में गोकलदास एक्सपोर्ट की 67 फीसदी हिस्सेदारी 275 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से कुल 15.5 करोड़ डॉलर में अधिग्रहित की थी। आज इसका शेयर 106 रुपये पर कारोबार कर रहा है और उसके निवेश की वैल्यू 5.1 करोड़ डॉलर ही रह गई है।
ब्लैकस्टोन ने दिसंबर 2007 में नागर्जुना कंस्ट्रक्शन में भी 14.9 करोड़ डॉलर का निवेश किया था। अब 30 सितंबर को उनके इस निवेश की वैल्यू गिरकर 5 करोड़ डॉलर हो गई है। एक अन्य पीई फंड अपेक्स पार्टनर्स अपोलो हास्पिटल इंटरप्राइजेज में 605.07 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से 10.3 करोड़ डॉलर में 12 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया था।
आज इसका शेयर सिर्फ 400 रुपये पर कारोबार कर रहा है। कार्लाइल ने ग्रेट ऑफशोर की पांच फीसदी हिस्सेदारी 860 रुपये प्रति शेयर के भाव पर 4 करोड़ डॉलर में अधिग्रहित की थी। पिछले बुधवार को इस कंपनी का शेयर 287 रुपये पर बंद हआ था पाईपीई सौदों के अतिरिक्त इन निवेशकों ने क्यूआईपी सौदे भी किए थे। इस तरह के निवेश में लॉक इन पीरियड नहीं होता। इसके बाद भी पीई फंड लगातार गिरते बाजार के कारण बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
उदाहरण के लिए जीएमआर ने 2007 में क्यूआईपी के जरिए 96 करोड़ डॉलर जुटाए थे। उस समय कंपनी का शेयर 240 रुपये पर कारोबार कर रहा था। इस सौदे में एटॉन पार्क, क्रेडिट एग्रिकोल और डॉयचे एसेट मैनेजमेंट के साथ एलआईसी, एसबीआई और कैनरा बैंक जैसी सरकारी संस्थाएं भी शामिल थीं। ताजा आंकड़े बताते हैं कि तीन भारतीय संस्थाओं के पास अभी भी इसके शेयर हैं जो सिर्फ 60 रुपये पर कारोबार कर रहा है।