करीब 3 लाख करोड़ डॉलर के बाजार पूंजीकरण के लिए देश का योगदान कुछ सदस्यों के दबदबे के मुकाबले टीमवर्क का मामला ज्यादा है। इसे इस तरह से समझा जा सकता है – भारत के कुल बाजार पूंजीकरण में शीर्ष-100 कंपनियों का योगदान मौजूदा समय में 67.3 प्रतिशत है, जो उसके मुकाबले कम है जब देश ने 2007 में 1 लाख करोड़ डॉलर, 1.5 लाख करोड़ डॉलर या हाल में दिसंबर 2020 में 2.5 लाख करोड़ डॉलर जैसी उपलब्धियां हासिल की थीं।
वर्ष 2007 में, जब भारत का बाजार पूंजीकरण पहली बार 1 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंचा था, तो शीर्ष-100 कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण में तीन-चौथाई योगदान था, जबकि 1.5 लाख करोड़ डॉलर पर यह भागीदारी करीब 80 प्रतिशत थी।
एक स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीष बालिगा ने कहा, ‘यह अच्छा संकेत है, क्योंकि इसका मतलब है कि छोटे निवेशक संपत्ति बना रहे हैं। अक्सर छोटे निवेशकों का इस क्षेत्र पर दबदबा रहता है।’
शीर्ष-100 से अलग कंपनियों की बढ़ती भागीदारी इस साल स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में आई भारी तेजी पर आधारित है। इस साल अब तक बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक करीब 30 प्रतिशत तक और बीएसई मिडकैप सूचकांक 21 प्रतिशत तक चढ़ा है। तुलनात्मक तौर पर, सेंसेक्स में महज 6 प्रतिशत तक की तेजी आई है।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘मैं यह नहीं कहूंगा कि शीर्ष-100 से अलग शेयरों का योगदान अच्छा नहीं है, लेकिन उनमें जोखिम अनुपातहीन तरीके से बढ़ रहा है। जून तिमाही खराब रहेगी, क्योंकि कोविड-19 की दूसरी लहर का प्रभाव पड़ रहा है और दूसरी बाद, स्मॉलकैप की वजह से मूल्यांकन बढ़ा है।’
वर्ष 2017 में, जब 2 लाख करोड़ डॉलर बाजार मूल्यांकन की उपलब्धि हासिल हुई थी तो यह स्थिति उसी तरह की थी जो अभी है, क्योंकि स्मॉल और मिडकैप शेयर अच्छी तेजी दर्ज कर रहे थे। हालांकि जनवरी 2018 और मार्च 2020 के बीच, प्रमुख सूचकांकों में भारी गिरावट दर्ज की गई।
विश्लेषकों ने इस बार भी समान स्थिति रहने की संभावना से इनकार नहीं किया है।
चोकालिंगम ने कहा, ‘बाजार में कुछ गिरावट आएगी, यह समय पर आधारित स्थिति है। ऐतिहासिक तौर पर, स्मॉलकैप ने हर तीन-चार वर्षों में एक बार अन्य सूचकांकों के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन कुछ समय के बाद इनमें भारी गिरावट भी देखी गई है।’
विश्लेषकों का मानना है कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों का मूल्यांकन मौजूदा समय में पिछले आधार पर ऐतिहासिक स्तरों के मुकाबले महंगा है। कुछ शेयर इस तेजी को आकर्षक आय वृद्घि अनुमानों के जरिये आगामी मूल्यांकन पर आधारित तेजी के तौर पर स्वीकार करने की कोशिश कर रहे हैं।
बालिगा ने कहा, ‘मुझे इसे लेकर संदेह है कि क्या यह तेजी बरकरार रहेगी, क्योंकि हम पहले ही बुलबुले जैसी स्थिति में हैं। हम अर्थव्यस्था के लिए पहले से ही डाउनग्रेड दर्ज कर रहे हैं।’
बालिगा ने कहा, ‘अक्सर 70-75 प्रतिशत का बाजार पूंजीकरण-जीडीपी अनुपात अच्छी खरीदारी होती है। जब यह अनुपात 110 प्रतिशत के पार पहुंच गया, बाजारों में गिरावट आई। 100 प्रतिशत से ऊपर, हम यह कह सकते हैं कि बाजार बहुत महंगा है।’