डेट आधारित योजनाओं के लिए अक्टूबर का महीना खासा मुश्किलों भरा रहा। डेट आधारित म्युचुअल फंडों में निवेश करने वालों ने जमकर इसकी बिकवाली की।
इसमें भी संस्थान सबसे आगे रहे। कई संस्थानों ने अपनी परियोजनाओं के लिए कार्यशील पूंजी की कमी को पूरा करने के लिए अपने निवेश को बेच दिया। इसकी वजह से बड़ निवेशकों को बैंकों की ओर से डिफॉल्ट की आशंका पैदा हो गई, जिसकी वजह से निवेश में जबरदस्त कमी आई।
कुल मिलाकर इसका नतीजा यह हुआ कि डेट फंड में प्रबंधन वाली औसत संपत्ति (एएयूएम) को अच्छी खासी चोट पहुंची। सबसे ज्यादा नुकसान उठाने वाली छह श्रेणियों में पांच डेट आधारित योजनाएं थीं। एएयूएम में 97,000 करोड़ रुपये से ज्यादा गिरावट आने के कारण सबसे ज्यादा घाटे में इक्विटी डायवर्सिफाइड फंड रहे।
इन फंडों को कुल मिलाकर 29,172.96 करोड रुपये के एएयूएम का घाटा लगा। हालांकि सेंसेक्स में आई 23 प्रतिशत की गिरावट को देखते हुए इस बात की पहले से ही संभावना जताई जा रही थी। लेकिन डेट म्युचुअल फंडों में इस कदर तेज गिरावट की बात तो किसी ने भी नहीं सोची थी।
म्युचुअल डेट फंड की पांचों श्रेणियों में हुए कुल घाटे का आंकड़ा 55,203 करोड रुपये था। इन डेट फंडों में मुख्य तौर पर लिक्विड प्लस- इंस्टीटयूशनल (19,116 करोड रुपये), अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म-इंस्टीटयूशनल (12,498.70 करोड़), फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी)(10,718 करोड रुपये)मीडियम टर्म (7,465.86 करोड रुपये) और लिक्विड प्लस-रेगुलेटर (5,404 करोड़ रुपये)जैसी योजनाएं शामिल हैं।
गौरतलब है कि केवल एक महीने में म्युचुअल फंड उद्योग के एएयूएम में तेजी से गिरावट आई और यह 5.29 लाख रुपये से गिरकर 4.31 लाख रुपये के स्तर पर रह गया। सबसे पहले इन फंडों से संस्थागत पैसों का निकलना शुरू हुआ क्योंकि इनको कार्यशील पूंजी से संबंधित अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए फौरी तौर पर पूंजी की सख्त जरूरत थी।
उल्लेखनीय है कि समूचे बाजार में तरलता की जबरदस्त कमी के कारण बैंकों ने पिछले कुछ महीनों में कंपनियों को काफी उंची दरों पर ऋण मुहैया कराते आ रहे थे। जैसे ही संस्थागत पैसों का इन फंडों से निकलना शुरू हुआ वैसे ही बड़े निवेशकों केबीच एक भय का वातावरण उत्पन्न हो गया।
इस बारे में सुंदरम बीएनपी परिबा के फिक्स्ड इनकम प्रमुख रामकुमार केहा कि जब निवेशको ने एयूएम में तेजी से गिरावट आने केबारे में सोचा वैसे ही बड़े निवेशकों के मन में इन फंडों द्वारा डिफॉल्ट की बात बैठ गई और उन्होंने अपने निवेश को हटाना शुरू कर दिया। कई संस्थानों ने म्युचुअल फंडों से पैसा निकाल कर इसे बैंक की सावधि जमा योजनओं में डाल दिया।
इस बाबत मिरेई एसेट मैंनेजमेंट केफिक्स्ड इनकम प्रमुख मुर्ति नागराजन ने बताया कि कई लोगों ने अपने पैसों को बैंक में डाल दिया क्योंकि उन्हें एफएमपी की तरह ही या उससे ज्यादा का ब्याज दिया जा रहा था और इसके अलावा अनेक लोगों को बैंकों से सस्ते फंड जुटाने में भी मदद मिली।
जेएम म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी-डेट मोहित वर्मा ने कहा कि रिडेम्पशन के कारण हो रहे घाटे की पूर्ति फंड हाउस में जमा नकदी और परिसंपत्तियों को बेचकर पूरी की गई।