नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने इक्विटी कैश और डेरिवेटिव सेगमेंट में लेनदेन शुल्क 1 अप्रैल से 1 फीसदी घटाने का फैसला लिया है। लेनदेन शुल्क में कटौती से देश के सबसे बड़े एक्सचेंज के सालाना राजस्व पर 130 करोड़ रुपये की चोट पड़ेगी।
एक्सचेंज ने सोमवार को हुई बोर्ड बैठक के बाद यह जानकारी दी। इस वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में एक्सचेंज को लेनदेन शुल्क के जरिये 8,330 करोड़ रुपये का राजस्व मिला जो सालाना आधार पर 16 फीसदी ज्यादा है।
इक्विटी कैश सेगमेंट में एनएसई 0.00325 फीसदी शुल्क लेता है, वहीं प्रतिस्पर्धी बीएसई पर यह 0.00375 फीसदी है। हालांकि वायदा के लिए एनएसई का लेनदेन शुल्क 0.0019 फीसदी और विकल्प के लिए 0.05 फीसदी है। वहीं बीएसई में वायदा पर कोई शुल्क नहीं लगता जबकि विकल्प पर 0.005 फीसदी का शुल्क है।
एनएसई के बोर्ड ने अपने डिजिटल टेक्नोलॉजी कारोबार एनएसईआईटी की बिक्री उसकी सहायकों के साथ अमेरिकी फर्म इन्वेस्टकॉर्प को करने की मंजूरी भी दी। यह सौदा इस महीने के आखिर तक 1,000 करोड़ रुपये में होने की उम्मीद है।
एनएसईआईटी ने कुल परिचालन आय में करीब 6 फीसदी का योगदान किया। गैर-प्रमुख कारोबार की बिक्री का फैसला महालिंगम कमेटी की सिफारिशों के बाद हुआ है, जिसे बाजार नियामक सेबी ने नियुक्त किया था।