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विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की उच्च सीमा के बावजूद गिफ्ट सिटी में NRI निवेश सुस्त

विशेषज्ञों ने कहा कि एनआरआई निवेशकों वाले कुछ एफपीआई मॉरीशस और सिंगापुर से भारत आने पर विचार कर रहे हैं और गिफ्ट सिटी अथॉरिटी प्रक्रिया को और आसान बनाने पर विचार कर रहा है।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- September 12, 2024 | 9:13 PM IST

बाजार नियामक सेबी ने देश के इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर (आईएफएससी) गिफ्ट सिटी में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के कोष में प्रवासी भारतीयों और ओवरसीज सिटीजन्स के 100 फीसदी योगदान की अनुमति दी है। हालांकि इस माध्यम से निवेश करने को लेकर प्रवासी भारतीयों ने कोई खास सक्रियता नहीं दिखाई है।

देश के इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज गिफ्ट सिटी में फंड को बढ़ावा देने के लिए नियामक ने इस माध्यम की अनुमति दी है। साथ ही विदेश में रह रहे भारतीयों से वास्तविक रकम आकर्षित करने की भी मंशा है। हालांकि नियमों के तहत सभी प्रवासी भारतीयों/ओसीआई के लिए स्थायी खाता संख्या (पैन) के साथ-साथ एफपीआई में अपने आर्थिक हितों के बारे में जानकारी देना अनिवार्य है।

हालांकि उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि प्रवासी भारतीयों और निवेशकों की तरफ से कुछ दिलचस्पी नजर आई है लेकिन कुछ लोग पैन और केवाईसी विवरण साझा करने में झिझक रहे हैं। इस घटनाक्रम से वाकिफ एक कस्टोडियन ने कहा कि कुछ निश्चित संभावित निवेशकों का मानना है कि इस मार्ग के तहत उन्हें काफी जांच-परख से गुजरना होगा।

गिफ्ट सिटी के एकीकृत नियामक इंटरनैशनल फाइनैंशियल सर्विसेज सेंटर्स अथॉरिटी (आईएफएससीए) के एक अधिकारी ने कहा कि उन निवेशकों के लिए नियामक ने अलग फॉर्म उपलब्ध कराया है जो अपने पैन की जानकारी साझा नहीं करना चाहते लेकिन पहचान से जुड़ी अन्य जानकारी मसलन सोशल सिक्योरिटी नंबर देना आवश्यक है।

डीएसके लीगल के पार्टनर सौरभ तिवारी ने कहा कि आईएफएससीए में पंजीकृत एफपीआई में एनआरआई के लिए 100 फीसदी निवेश की छूट देना काफी अहम पहल है और निश्चित तौर पर इससे निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है। हालांकि इस छूट पर वांछित प्रतिक्रिया में थोड़ा समय लग सकता है, पर जरूरी यह है कि उचित सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जाए। वित्तीय बाजारों की स्थिरता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए निवेशक सदस्यों की पहचान और एफपीआई में उनके आर्थिक हितों की जानकारी काफी अहम है।

ऐसे एफपीआई को आर्थिक हित और अंतिम स्वामित्व को लेकर खुलासा नियमों पर भी ध्यान देना होगा जिससे यह सुनिश्चित हो कि इस रास्ते का इस्तेमाल न्यूनतम सार्वजनिक शेयरधारिता के नियमों का उल्लंघन तो नहीं करता। केवाईसी से जुड़े मसलों पर जानकारी के लिए आईएफएससीए को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला।

हालांकि कई घरेलू फंड हाउस ने भारतीय बाजार में एनआरआई की रकम हासिल करने के लिए गिफ्ट सिटी में ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (एआईएफ) गठित किए हैं। विशेषज्ञों ने कुछ नियमों को और सुगम बनाने की जरूरत बताई है। उद्योग के प्रतिभागियों ने नियामक को कुछ सुझाव सौंपे हैं, जिनमें पात्रता, अनुभव आदि से जुड़े मसले शामिल हैं। इन जरूरतों को आसान बनाने के लिए नियमों का मसौदा आने की संभावना है।

विशेषज्ञों ने कहा कि एनआरआई निवेशकों वाले कुछ एफपीआई मॉरीशस और सिंगापुर से भारत आने पर विचार कर रहे हैं और गिफ्ट सिटी अथॉरिटी प्रक्रिया को और आसान बनाने पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि नए पंजीकरणों में छह महीने से एक साल तक का समय लग सकता है क्योंकि गिफ्ट सिटी में पंजीकृत एफपीआई के लिए खुलासे के बारीक नियमों का पालन करना जरूरी है।

बाजार के एक प्रतिभागी ने कहा कि अगर किसी एकल एनआरआई से ज्यादा योगदान की अनुमति मिलती है तो हम और पंजीकरण देखने को मिल सकते हैं। मौजूदा नियमों के तहत एकल एनआरआई /ओसीआई /आरआई का योगदान एफपीआई के कुल कोष के 25 फीसदी से कम रखने की सीमा है। लेकिन कुल योगदान एफपीआई के कोष के 50 फीसदी से कम रखे जाने की सीमा है।

निशीथ देसाई एसोसिएट्स के गिफ्ट सिटी ऑफिस में प्रमुख राधिका पारिख ने कहा कि गिफ्ट सिटी में एफपीआई को एक समला यह हो रहा है कि उन्हें फंड के रुप में स्थापित होना पड़ेगा, न कि सामान्य होल्डिंग कंपनी के तौर पर। एफपीआई को प्रिंसिपल ऑफिसर और कम्प्लायंस ऑफिसर रखना होगा। दोनों ही पूर्णकालिक कर्मचारी होने चाहिए, उन्हें शिक्षा और अनुभव से जुड़ी योग्यता पूरी करनी होगी और गिफ्ट सिटी में एफपीआई के कार्यालय में काम करना होगा। कई विदेशी मैनेजरों को ऐसी अनिवार्यताओं को पूरा करने मेंमुश्किल हो रही है।

अभी आईएफएससी में करीब 63 एफपीआई पंजीकृत हैं। कस्टोडियन और बाजार के भागीदारों ने कहा कि आईएफएससीए प्रक्रिया को और सहज बनाने पर विचार कर रहा है। एक सूत्र ने कहा कि अनौपचारिक तौर पर आईएफएससीए को सुझाव दिए गए हैं। नियमों का मसौदा आने की संभावना है जिसमें न्यूनतम योग्यता और अनुभव की अनिवार्यता के साथ न्यूनतम पूर्णकालिक कर्मचारियों की जरूरत में नरमी की जा सकती है।

First Published : September 12, 2024 | 9:13 PM IST