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सोशल एक्सचेंज पर बड़ी पूंजी जुटाना चाहते हैं गैर-लाभकारी संगठन

स्वदेश फाउंडेशन और मंजरी फाउंडेशन के दो नए आवेदन इसकी कसौटी होंगे कि इस प्लेटफॉर्म का उपयोग अपेक्षाकृत बड़ी धनराशि जुटाने के लिए किया जा सकता है या नहीं।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- July 07, 2024 | 10:30 PM IST

सामाजिक क्षेत्र में काम कर रहे संगठन सोशल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के जरिये बड़ी धनराशि जुटाना चाहते हैं। एसएसई को घरेलू शेयर बाजार ने करीब 6 महीने पहले ही शुरू किया है।

स्वदेश फाउंडेशन और मंजरी फाउंडेशन के दो नए आवेदन इसकी कसौटी होंगे कि इस प्लेटफॉर्म का उपयोग अपेक्षाकृत बड़ी धनराशि जुटाने के लिए किया जा सकता है या नहीं। स्वदेस और मंजरी ने क्रम से 10 करोड़ और 7 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। अब तक 9 गैर-लाभकारी संगठनों ने सिर्फ 1 करोड़ से 2 करोड़ रुपये के दायरे में पूंजी जुटाई है।

लगभग 60 गैर-लाभकारी संगठनों (NPO) ने शिक्षा, रोजगार, कौशल और सामाजिक विकास, चिकित्सा अनुसंधान जैसे क्षेत्रों के लिए इस नए तरीके से पैसा जुटाने के लिए नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बीएसई में पंजीकरण कराया है।

एसएसई से शून्य कूपन-शून्य प्रिंसीपल बॉन्डों के जरिये धन जुटाने की सुविधा मिलेगी। इसके लिए एनपीओ को आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के समान ही मसौदा दस्तावेज दाखिल करना होता है जिसमें निर्गम के उद्देश्य, पूंजी संरचना आदि की जानकारी बतानी होती है।

एटीई चंद्रा फाउंडेशन के सह-संस्थापक और बेन कैपिटल इंडिया एडवाइजर्स के अध्यक्ष अमित चंद्रा ने कहा, ‘शुरुआती चरण हमें यह सीख मिली है कि एसएसई का तंत्र पहली बार विश्व स्तर पर काम कर रहा है। अगले चरण में हमें ऑफर डॉक्यूमेंट्स की व्यापक जांच जैसे अन्य पहलुओं को देखना होगा। जहां किसी एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर दस्तावेज प्रकाशित करने से मदद मिलनी चाहिए, वहीं लाखों फोलियो का प्रबंधन करने वाले शेयर ब्रोकर आवेदन की अवधि के दौरान निवेशकों को पॉप-अप के माध्यम से इस सामाजिक संदेश को बढ़ाने में व्यापक तौर पर मदद कर सकते हैं।’

चंद्रा का फाउंडेशन और जीरोधा जैसे स्टॉक ब्रोकर भी एसएसई पर प्रारंभिक सूचीबद्धता में प्रमुख योगदानकर्ता रहे हैं। चंद्रा ने कहा, ‘यह काम एक आदेश के जरिये हो सकता है। इसमें कोई खर्च नहीं आता।’ यह काम बाजार नियामक या अपने स्तर पर स्वैच्छिक सामाजिक प्रयास के जरिए किया जा सकता है।

व्यापक स्तर पर भागीदारी बढ़ाने के प्रयास में सेबी ने न्यूनतम आवेदन का आकार शुरू के 200,000 रुपये से घटाकर 10,000 रुपये कर दिया है। पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के लिए नियामक पहले से सूचीबद्ध एनपीओ को अपनी सालाना इम्पैक्ट रिपोर्ट 31 अक्टूबर तक सौंपने का निर्देश दे चुका है।

सेबी ने सरकार को कंपनीज ऐक्ट, 2013 में कॉरपोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) नियमों में संशोधन करने और इसमें सीएसआर अनिवार्यता के तहत एसएसई के जरिये कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले दान को शामिल करने की भी सिफारिश की है।

First Published : July 7, 2024 | 10:30 PM IST