क्वालीफाइड इंस्टीटयूशनल प्लेसमेंट्स (क्यूआईपी) के लिए प्रावधानों मे किए गए फेरबदल से पब्लिक इक्विटी में निजी निवेश यानी प्राइवेट इन्वेस्टमेंट इन पब्लिक इक्विटी (पाइप) के सौदे बढ़ सकते है।
विशेषज्ञों का कहना है कि फर्म के लिए पूंजी इकट्ठा करना आसान हो जाने के बाद सूचीबध्द कंपनियों द्वारा सौदों की संख्या फिर बढ़ सकती है। गौरतलब है कि पिछले छह महीनों से प्राइवेट इक्विटी डील में लगातार कमी देखी जा रही थी।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड (सेबी) ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि क्यूआईपी के लिए कीमत पिछले दो हफ्तों के शेयरों की औसत कीमत के आधार पर निर्धारित की जानी चाहिए। पहले क्यूआईपी को पिछले छह महीनों के शेयरों के औसत मूल्य या पिछले 15 महीनों के औसत मूल्य दोनों में से जो ज्यादा हो, उसके आधार पर तय किया जाता था जिससे निवेशकों को काफी परेशानी होती थी।
मंदी के माहौल में जब शेयरों के मूल्यों में तेजी से गिरावट आती है तब इस तरीके से कई बार क्यूआईपी की कीमत मौजूदा बाजार मूल्य से ज्यादा हो जाती है तो निवेशक शेयरों की खरीद के लिए ज्यादा पूंजी नहीं देना चाहते हैं क्योंकि ये शेयर बाजार में कम कीमत पर पहले से ही उपलब्ध होते हैं।
वेंचर इंटेलीजेंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुण नटराजन का कहना है कि पहले का फार्मूला संतोषजनक नहीं था क्योंकि कंपनियों के शेयरों के मौजूदा बाजार मू्ल्य और संस्थागत निवेशक को ऑफर किए गए मूल्य में काफी अंतर होता था।
नए प्रावधानों से कीमतों में यह अंतर घट जाएगा। प्राइवेट इक्विटी कंपनियों के वैल्यूएशन आकर्षक हो जाने की वजह से अगले कुछ महीनों में इसतरह के सौदों में बढ़ोतरी देखी जा सकती है। 2007 में बाजार की ऊंचाइयों के समय भारी संख्या में प्राइवेट इक्विटी सौदे हुए।