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रिटेल एल्गोरिदम (एल्गो) ट्रेड के लिए 1 अगस्त से नए नियम

NSE ने एल्गो ऑर्डर देने वाले कारोबारियों के लिए सुरक्षित और अधिक पारदर्शी परिवेश तैयार करने के उद्देश्य से ‘रूलबुक’ यानी नियम जारी किए हैं।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- July 23, 2025 | 11:12 PM IST

रिटेल एल्गोरिदम (एल्गो) ट्रेड के लिए 1 अगस्त से नए नियम लागू होने जा रहे हैं। इसके लिए नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने एल्गो ऑर्डर देने वाले कारोबारियों के लिए सुरक्षित और अधिक पारदर्शी परिवेश तैयार करने के उद्देश्य से ‘रूलबुक’ यानी नियम जारी किए हैं।

मंगलवार को जारी इन दिशानिर्देशों में सभी एल्गो रणनीतियों को पंजीकृत कराना जरूरी होगा। इन रणनीतियों को विशिष्ट पहचान (आईडी) दी जाएगी।  ब्रोकर अब अपने रिटेल ग्राहकों को प्रत्यक्ष रूप से एपीआई की पेशकश करने में सक्षम होंगे। हालांकि पंजीकरण अनिवार्य किया गया है।

इसके अलावा यह सुनिश्चित करना ब्रोकरों की जिम्मेदारी होगी कि केवल पात्र ग्राहक ही एपीआई या इस सुविधा का उपयोग कर रहे हों। जहां तक अपने एल्गो का इस्तेमाल करने वाले तकनीकी रूप से कुशल रिटेल कारोबारियों की बात है तो ब्रोकरों को ऐसे ग्राहकों का पैन और विशिष्ट ग्राहक कोड बताना होगा।

एल्गो रणनीति का आवेदन और पंजीकरण ब्रोकर के माध्यम से किया जाएगा जबकि एक्सचेंज एल्गो आईडी देगा।  अगर प्रति सेकंड 10 से अधिक ऑर्डर हैं तो ब्रोकर को ग्राहकों द्वारा विकसित एल्गो को पंजीकृत कराना होगा। दिशानिर्देशों के अनुसार अपने टर्मिनलों के माध्यम से एक्सचेंज को भेजे गए सभी ऑर्डर के लिए ब्रोकर जिम्मेदार होंगे और एल्गो प्रोवाइडर उनके एजेंट के रूप में काम करेगा। इसके अलावा मूल्य, मात्रा, ऑर्डर मूल्य और पोजीशन लिमिट जैसे कई नियंत्रण भी तय किए गए हैं।

यह परिचालन ढांचा बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा फरवरी में जारी एक पिछले सर्कुलर की दिशा में कदम है जिसमें एल्गो के इस्तेमाल में होने वाली गड़बड़ियों का समाधान करने और कारोबारियों के लिए सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया था।

बढ़ती रिटेल भागीदारी और एल्गो सौदों की हिस्सेदारी में वृद्धि के बीच बाजार से जुड़े लोगों ने इन दिशानिर्देशों को जरूरी बताया था। एल्गो का उपयोग संस्थागत और रिटेल कारोबारी दोनों करते हैं।  एल्गो ट्रेडिंग में कीमतों में हलचल और वॉल्यूम जैसे आंकड़ों पर आधारित प्री-प्रोग्राम्ड इंस्ट्रक्शन या रणनीतियों का उपयोग करके सौदे करना शामिल है। इस तरह  प्रतिभूतियों की स्वचालित खरीद या बिक्री हो जाती है। एनएसई मार्केट पल्स रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में इक्विटी डेरिवेटिव (अनुमानित कारोबार) में एल्गो ट्रेडिंग की हिस्सेदारी बढ़कर 70 प्रतिशत हो गई।

सैमको सिक्योरिटीज के कार्यकारी निदेशक और अध्यक्ष नीलेश शर्मा ने कहा, ‘ये नियम एल्गो रणनीतियों की पात्रता को साफ तौर पर परिभाषित करके अत्यंत जरूरी स्पष्टता मुहैया कराते हैं। खास बात यह है कि लो-फ्रीक्वेंसी स्ट्रैटजी (जो एक सेकंड में 10 से कम ऑर्डर देती हैं) हाई-फ्रीक्वेंसी एल्गो के रूप में वर्गीकृत नहीं हैं। यह अंतर उन रिटेल उपयोगकर्ताओं के लिए अनुपालन बोझ काफी कम कर देता है जो सरल, नियम-आधारित प्रणालियां अपनाते हैं और जिम्मेदार तरीके से तकनीक-संचालित व्यापार को व्यापक रूप से अपनाने को प्रोत्साहित करते हैं।’

सभी एल्गो प्रदाताओं को एक्सचेंज के साथ सूचीबद्ध होना होगा। लेकिन ब्रोकर द्वारा इन-हाउस उपलब्ध एल्गो प्रोवाइडर्स को ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है। सूचीबद्ध होने में लगने वाला समय टी+30 कार्य दिवस होगा जबकि एल्गो का पंजीकरण टी+10 कार्य दिवसों में हो जाएगा। निष्पादन एल्गो का पंजीकरण फास्ट-ट्रैक आधार पर टी+7 कार्य दिवसों में किया जाएगा।

First Published : July 23, 2025 | 10:41 PM IST