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SIP Investment: वैश्विक अनिश्चितता, ट्रंप टैरिफ और भू-राजनीतिक तनाव के चलते भारतीय बाजारों में बीते एक साल में काफी उठापटक है। इसके बावजूद निवेशक (खाकसर रिटेल निवेशक) निवेश को लेकर एक सटीक, कैलकुलेटिव और आक्रामक नजरिया बनाए हुए हैं। चालू वित्त वर्ष 2025-26 के पहले पांच महीने के SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) इनफ्लो के आंकड़े देखें, तो यह बात साफ है कि कमोबेश हर महीने निवेश नई ऊंचाई पर पहुंचा या उसके आसपास बना रहा। रिटेल निवेशकों में SIP के इस आकर्षण को एक कैलकुलेशन से समझते हैं और यह भी जानते हैं कि एक्सपर्ट आमतौर पर क्यों कहते हैं कि म्यूचुअल फंड एसआईपी में लंबी अवधि का नजरिया जरूरी है।
SIP में निवेश साल दर साल कैसे बढ़ सकता है, इसे एक कैलकुलेशन से समझते हैं। मान लीजिए, आप हर महीने 5,000 रुपये की SIP शुरू करते हैं। 5 साल तक निवेश जारी रखते हैं और इस निवेश की पूरी अवधि के दौरान सालाना औसत रिटर्न 12 फीसदी रहता है। अब यहां एक सवाल होगा कि 12 फीसदी सीएजीआर क्यों लेते हैं? दरअसल, एक्सपर्ट ऐसा मानते हैं कि लंबी अवधि में बेंचमार्क इंडेक्स का औसत सालाना रिटर्न इतना रहने की गुंजाइश रहती है। इसलिए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की कैलकुलेशन में लंबी अवधि का अनुमानित रिटर्न औसतन 12 फीसदी सालाना लेते हैं।
अब देखते हैं निवेश का कैलकुलेशन, SIP Calculator के मुताबिक 5,000 रुपये का मंथली निवेश अगले 5 साल में 12 फीसदी सालाना के औसत रिटर्न पर बढ़कर 4,05,518 रुपये हो जाएगा। इस पूरी अवधि में आपका कुल निवेश 3,00,000 रुपये और अनुमानित रिटर्न 1,05,518 रुपये है।
अब यहां कुछ ऐसे फंड्स की भी बत करें, जिन्होंने निवेश की लंबी अवधि में डबल डिजिट रिटर्न दिया है। म्यूचुअल फंड्स की कई ऐसी स्कीम्स हैं, जिनका SIP रिटर्न बीते 5 साल में औसतन सालाना 28 फीसदी से ज्यादा रहा है. जैसे, एसबीआई पीएसयू फंड (SBI PSU Fund) का 5 साल का सालाना रिटर्न 28.77 फीसदी रहा. इसी तरह, इन्वेस्को इंडिया पीएसयू फंड (Invesco India PSU Equity Fund) का 28.43 फीसदी और ICICI प्रु इंफ्रा फंड (ICICI Pru Infrastructure Fund) ने 28.12 फीसदी रिटर्न दिया. (इन फंड्स का रिटर्न 1 अक्टूबर 2025 की एनएवी के आधार पर है.)
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम कहते हैं, SIP निवेश का एक सिस्टमेटिक तरीका है. एसआईपी को लंबी अवधि तक रखने का फायदा यह होता है कि आपके निवेश को दो बड़ी पावर मिलती है। कम्पाउंडिंग और रुपी कॉस्ट एवरेजिंग के जरिए एसआईपी का निवेश लंबी अवधि में अच्छा परफॉर्म करे, ऐसी संभावना रहती है। SIP की लोकप्रियता बढ़ने के पीछे एक वजह यह भी है कि इसमें निवेश छोटी-छोटी रकम से शुरू कर सकते हैं। महज 100 रुपये की भी मंथली SIP की जा सकती है।
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PersonalCFO के सीईओ सुशील जैन कहते हैं, SIP लंबी अवधि के निवेश के लिए अच्छा है क्योंकि इसमें कम्पाउंडिंग की पावर का फायदा केवल लंबी अवधि में ही लिया जा सकता है। एसआईपी के जरिए आप लंबी अवधि में बाजार की उठापटक का लाभ उठा सकते हैं और निवेश की लागत का एवरेजिंग यानी औसत निकाल सकते हैं। इसके अलावा, आपको तुलनातक रूप से कम जोखिम के साथ एक बड़ा फंड बनाने के लिए एकमुश्त बड़ी राशि की आवश्यकता नहीं होती है।
हालांकि, निगम यह भी कहते हैं कि एसआईपी में रिस्क रहता है और कभी भी किसी फंड की पिछली परफॉर्मेंस उसके आगे के परफॉर्मेंस की गारंटी नहीं होता है। इसलिए सबसे जरूरी बात यह है कि निवेशक को एसआईपी के लिए फंड चुनने से पहले अपनी आमदनी, वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता का सही-सही आकलन जरूर कर लेना चाहिए। वहीं, अगर आप म्यूचुअल फंड और उसमें जुड़ा रिस्क सही-सही नहीं समझ पा रहे हैं, तो फाइनैंशयल एडवाइजर्स की मदद जरूर लें।
जैन के मुताबिक, ऐसे निवेशक जिनके पास भविष्य में बड़ा फंड बनाने के लिए एकमुश्त रकम नहीं है, उनके लिए एसआईपी अच्छा ऑप्शन है। जिनके पास नियमित आमदनी का स्रोत है वो नियमित रूप से बचत और निवेश के लिए एसआईपी का रास्ता चुन सकते हैं।
महीना | SIP निवेश |
अगस्त | ₹28,265 |
जुलाई | ₹28,464 |
जून | 27,269 |
मई | ₹26,688 |
अप्रैल | ₹26,632 |
(सोर्स: AMFI)
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में इक्विटी म्यूचुअल फंड में 33,430 करोड़ रुपये का निवेश आया। हालांकि, जुलाई के मुकाबले इनफ्लो 22 फीसदी कम रहा। इस गिरावट की मुख्य वजह न्यू फंड ऑफर (NFO) में आई भारी गिरावट रही।
इसके बावजूद, अगस्त लगातार 54वां महीना रहा, जब इक्विटी स्कीम्स में पॉजिटिव इनफ्लो दर्ज किया गया। अगस्त में SIP इनफ्लो 28,265 करोड़ रुपये रहा। इक्विटी फंड कैटेगरी में, अगस्त में फ्लेक्सी कैप फंड्स में सबसे ज्यादा 7,679 करोड़ रुपये का इनफ्लो आया। वहीं, अगस्त में ओपन-एंडेड डेट म्यूचुअल फंड्स से 7,980 करोड़ रुपये का नेट आउटफ्लो देखने को मिला। यह जुलाई में आए 1.07 लाख करोड़ रुपये के इनफ्लो से पूरी तरह विपरित है। गिरावट की सबसे बड़ी वजह लिक्विड फंड्स से भारी रिडम्प्शन रहा।
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी कोई भी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)