म्युचुअल फंड

एसआईएफ का फंडों जैसा खर्च ढांचा

बाजार नियामक सेबी ने नई परिसंपत्ति श्रेणी ‘स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड’ का नियम किया जारी

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अभिषेक कुमार   
Last Updated- December 17, 2024 | 10:43 PM IST

नई परिसंपत्ति श्रेणी का नाम ’स्पेशलाइज्ड इन्वेस्टमेंट फंड’ (एसआईएफ) होगा और इसका व्यय ढांचा भी म्युचुअल फंडों (एमएफ) जैसा ही होगा। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस बारे में नियम अधिसूचित कर दिए हैं। अधिसूचना में नियामक ने एसआईएफ के लिए 10 लाख रुपये की न्यूनतम निवेश सीमा की पुष्टि की है। हालांकि मान्यताप्राप्त निवेशक कम रकम का भी निवेश कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि सेबी ने सबसे पहले जुलाई 2024 में एसआईएफ का प्रस्ताव ने रखा था। इसका मकसद म्युचुअल फंडों और पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं (पीएमएस) के बीच का अंतर दूर करना था। यह बदलाव उन निवेशकों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है तो जोखिम भरे दांव लगाने को इच्छुक होते हैं। नई योजना की श्रेणी में ओपन एंडेड, क्लोज एडेंड और मध्यवर्ती निवेश रणनीतियां भी होंगी।

फंड कितना अधिकतम शुल्क ले सकते हैं, इसका फैसला फंड के आकार के आधार पर होता है। 500 करोड़ रुपये तक के आकार वाली इक्विटी योजनाओं के लिए खर्च की अधिकतम सीमा उनकी प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों का 2.25 प्रतिशत है। फंड का आकार बढ़ने पर यह सीमा कम होती जाती है।

एसआईएफ में फंडों की तुलना में अधिक लचीलापन होने के बावजूद उनमें निवेश सीमाओं के अधीन होंगे। डेट योजनाओं के लिए एकल जारीकर्ता का एक्सपोजर कुल परिसंपत्तियों के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता। इस सीमा को परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी के ट्रस्टी और निदेशक मंडल से मंजूरी के बाद 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। सरकारी प्रतिभूतियों को इस सीमा से छूट दी गई है।

इक्विटी के मामले में यह सीमा म्युचुअल फंडों जैसी ही है जो कुल परिसंपत्तियों का 10 प्रतिशत है। कंपनी में अधिकतम स्वीकार्य स्वामित्व को बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया गया है (फंडों के एक्सपोजर समेत)। सेबी ने अधिसूचना में स्पष्ट किया है, ‘अगर कोई म्युचुअल फंड अपनी सभी योजनाओं के तहत किसी कंपनी की चुकता पूंजी का 10 प्रतिशत हिस्सा वोटिंग अधिकार के साथ रखता है तो एसआईएफ के पास अपनी सभी निवेश रणनीतियों के तहत उस कंपनी की चुकता पूंजी का 5 प्रतिशत से ज्यादा वोटिंग अधिकार नहीं होगा।’

रीट्स और इनविट के लिए अधिकतम निवेश योग्य राशि एएमसी की ओर से पेश किए जाने वाले सभी एसआईएफ की एयूएम का 20 प्रतिशत है। हालांकि, वे किसी अकेले जारीकर्ता में 10 प्रतिशत से अधिक निवेश नहीं कर सकते हैं। उद्योग के अधिकारियों के अनुसार कराधान सहित अधिकांश अन्य नियमन फंडों के समान ही होंगे। इसके अलावा सेबी ने एएमसी को एसआईएफ के लिए अलग पहचान बनाने का निर्देश दिया है ताकि ‘एसआईएफ और फंडों की पेशकशों के बीच स्पष्ट अंतर रखा जा सके।’

First Published : December 17, 2024 | 10:30 PM IST