Hybrid funds: भारतीय शेयर बाजार में जनवरी में भी पिछले साल की ही तरह उतार-चढ़ाव जारी है। इसके बावजूद म्युचुअल फंड में नवंबर में लगातार 45वें महीने इनफ्लो बना रहा। यह दिखाता है कि म्युचुअल फंड पर निवेशकों का भरोसा बरकरार है। बाजार की उठा-पटक के बीच कम जोखिम में ज्यादा रिटर्न की तलाश कर रहे निवेशकों के लिए हाइब्रिड फंड्स (Hybrid funds) बेहतर विकल्प हो सकते हैं। एक्सपर्ट्स का भी ऐसा ही मानना हैं। हाइब्रिड म्युचुअल फंड्स के जरिए निवेशक न केवल बाजार की संभावित बढ़त का फायदा उठा सकते हैं, बल्कि डेट सिक्योरिटीज में निवेश कर अपने जोखिम को भी कम कर सकते हैं।
मिरे असेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) के हेड ऑफ रिसर्च और फंड मैनेजर (इक्विटी) हर्षद बोरावके के मुताबिक, इक्विटी लॉग टर्म में अच्छा रिटर्न देती है, लेकिन शॉर्ट और मिड टर्म में इसमें उतार-चढ़ाव आ सकता है। जो निवेशक यह रिस्क नहीं उठा पाते, उन्हें इससे नुकसान हो सकता है। हाइब्रिड फंड इस समस्या को हल करने में मदद करते हैं।
दरअसल, हाइब्रिड फंड इक्विटी (equity) और नॉन-इक्विटी एसेट्स (non-equity asset classes) में निवेश करते हैं, जिससे जोखिम कम होता है और बेहतर रिटर्न मिलता है। ऐसे निवेशक जो इक्विटी की तुलना में कम अस्थिरता और फिक्स्ड इनकम से ज्यादा रिटर्न चाहते हैं, वे मध्यम से लंबी अवधि के लिए हाइब्रिड फंड्स में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा, ऐसे निवेशक जो पेशेवर विशेषज्ञता नहीं रखते और समय-समय पर एसेट एलोकेशन को मॉनिटर और बदलने की झंझट से बचना चाहते हैं, साथ ही टैक्स-एफिशिएंट रिटर्न की तलाश में हैं, वे हाइब्रिड फंड्स में निवेश पर विचार कर सकते हैं।
हाइब्रिड फंड्स में इक्विटी और डेट का मेल होता है, जो निवेश के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बनाए जाते हैं। हर हाइब्रिड फंड में इक्विटी और डेट का अनुपात अलग होता है, ताकि यह अलग-अलग निवेशकों की जरूरतों को पूरा कर सके। इक्विटी और डेट में एक्सपोजर के आधार पर हाइब्रिड म्युचुअल फंड्स सात प्रकार के होते हैं।
जब इक्विटी का आवंटन 10 से 25 प्रतिशत के बीच होता है, तो इन्हें ‘कंजर्वेटिव फंड्स’ कहा जाता है। जब इक्विटी आवंटन 40 से 60 प्रतिशत के बीच होता है, तो इन्हें ‘बैलेंस्ड हाइब्रिड फंड्स’ कहा जाता है। और जब इक्विटी आवंटन सबसे अधिक (65 से 80 प्रतिशत के बीच) होता है, तो इन्हें ‘एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स’ कहा जाता है।
हाइब्रिड फंड्स की एक और रोचक कैटेगरी ‘डायनामिक एसेट एलोकेशन’ है, जिसमें इक्विटी और डेट के बीच आवंटन को 0 से 100 प्रतिशत तक मैनेज किया जाता है।
एक अन्य कैटेगरी को ‘इक्विटी सेविंग्स’ कहा जाता है, जिसमें इक्विटी और उससे संबंधित इंस्ट्रूमेंट में कम से कम 65 प्रतिशत, डेट इंस्ट्रूमेंट में 10 प्रतिशत, और एक छोटा हिस्सा डेरिवेटिव्स के लिए रखा जाता है।
बोरावके कहते हैं, जोखिम सहन करने की क्षमता के अनुसार, निवेशक अलग-अलग हाइब्रिड फंड्स चुन सकते हैं, जैसे – इक्विटी सेविंग्स फंड, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड, डायनामिक एसेट एलोकेशन फंड, एग्रेसिव हाइब्रिड फंड, और मल्टी एसेट एलोकेशन फंड। हर फंड का जोखिम और रिटर्न अलग होता है, इसलिए ये अलग-अलग निवेशकों के लिए उपयुक्त हो सकते हैं।
INDmoney में म्युचुअल फंड के वाइस प्रेसिडेंट (प्रोडक्ट मैनजमेंट) मयंक मिश्रा बताते हैं, हाइब्रिड फंड में निवेश करना बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने का एक स्मार्ट तरीका माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये फंड्स इक्विटी और डेट का संतुलन बनाए रखते हैं। ये उन निवेशकों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जो इक्विटी फंड्स की तुलना में कम जोखिम और डेट फंड्स की तुलना में बेहतर रिटर्न चाहते हैं।
हाइब्रिड फंड्स का इक्विटी हिस्सा बाजार की तेजी का लाभ उठाता है, जबकि डेट हिस्सा गिरावट के दौरान जोखिम को कम करता है। ग्रोथ और सिक्योरिटी के इस मिश्रण के कारण हाइब्रिड फंड्स अधिकांश पोर्टफोलियो के लिए एक बहुमुखी उपकरण (versatile tool) बन जाते हैं। हालांकि, हाइब्रिड फंड का चुनाव, चाहे एग्रेसिव हो या बैलेंस्ड, आपकी जोखिम सहने की क्षमता के अनुरूप होना चाहिए।
हाइब्रिड फंड्स के प्रदर्शन की बात करें, तो बीते तीन साल में टॉप- 5 हाइब्रिड फंड ने निवेशकों को औसतन 19-23 फीसदी का शानदार रिटर्न दिया है। इनमें SBI Magnum Children’s Benefit Investment स्कीम ने सबसे ज्यादा 23.73 फीसदी का रिटर्न दिया है। इस स्कीम में अगर किसी ने तीन साल पहले 1 लाख रुपये का एकमुश्त निवेश किया, तो आज उसकी वैल्यू बढ़कर लगभग 1.89 लाख रुपये है। इस तरह से निवेशक को 89,420 रुपये का फायदा हुआ।
आइए म्युचुअल फंड कैलकुलेशन के जरिए समझते हैं कि अगर किसी ने तीन साल पहले इन टॉप-5 हाइब्रिड फंड में 1 लाख का एकमुश्त निवेश किया, तो आज वैल्यू कितनी होती…
S.NO | Hybrid funds | 3 year Return | Total Value (in Lakh) |
1 | SBI Magnum Children’s Benefit Fund – Investment Plan – Direct Plan | 23.73% | 1,89,420 |
2 | JM Aggressive Hybrid Fund – Direct Plan | 22.66% | 1,84,548 |
3 | HDFC Balanced Advantage Fund – Direct Plan | 21.70% | 1,80,249 |
4 | Quant Multi Asset Fund – Direct Plan | 21.08% | 1,77,508 |
5 | ICICI Prudential Multi Asset Fund – Direct Plan | 19.40% | 1,70,221 |
स्त्रोत: वैल्यू रिसर्च (7 जनवरी 2025)
नोट: म्युचुअल फंड स्कीम्स का पिछला प्रदर्शन भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं होता है।
(डिस्क्लेमर: यहां फंड्स के परफॉर्मेंस की डीटेल दी गई है। म्युचुअल फंड में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। यहां निवेश की सलाह नहीं है। निवेश से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)