‘वैल्यू’ या ‘मोमेंटम’ निवेश शैलियों पर अमल करने वाली ऐक्टिव इक्विटी म्युचुअल फंड (एमएफ) योजनाओं ने अच्छा प्रदर्शन किया है। पिछले पांच वर्षों में विभिन्न श्रेणियों में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले फंडों की सूची में इनका नाम सबसे ऊपर हैं। फोनपे वेल्थ की शेयर डॉट मार्केट के एक अध्ययन से यह खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्लेक्सीकैप श्रेणी में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाली करीब 38 फीसदी योजनाएं काफी हद तक ‘मोमेंटम’ निवेश शैली पर अमल करती हैं। इनमें 25 फीसदी ‘वैल्यू’ आधारित और 13 प्रतिशत ‘क्वालिटी’ के दायरे में आती हैं। प्रदर्शन विश्लेषण पिछले 5 वर्षों में एक साल के औसत वार्षिक रिटर्न पर आधारित है।
‘वैल्यू’ इन्वेस्टिंग एक ऐसी रणनीति है जिसमें निवेशक उन शेयरों को खरीदते हैं जो उनके अनुमानित आंतरिक या उचित मूल्य से कम पर कारोबार कर रहे हों। वहीं मोमेंटम इन्वेस्टिंग इस अवधारणा पर आधारित है कि जो शेयर ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं वे ऊपर की ओर बढ़ते रहेंगे। तीसरी प्रमुख निवेश शैली ‘क्वालिटी’ है, जिसमें मजबूत आय और फाइनैंस वाली कंपनियों की पहचान करने पर ध्यान दिया जाता है।
जहां कई फंड हाउस इनमें से किसी एक शैली पर चलते हैं, वहीं दूसरे कई अपनी योजनाओं में निवेश शैली विविधता रखते हैं या विभिन्न शैलियों के बीच बदलाव के लिए तैयार रहते हैं। माना जा रहा है कि बड़े और मझोले आकार के फंडों में एडलवाइस, एचडीएफसी, ऐक्सिस, मिरे, इन्वेस्को, एचएसबीसी और मोतीलाल ओसवाल इन निवेश शैलियों में से किसी एक पर ज्यादा दांव लगाते हैं। अध्ययन में कहा गया है कि दूसरी ओर क्वांट, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, एसबीआई, आदित्य बिड़ला सन लाइफ, बंधन और कोटक महिंद्रा अपनी पेशकशों में अपेक्षाकृत अधिक विविध दृष्टिकोण अपनाते हैं।
हालांकि वैल्यू और मोमेंटम कारकों ने करीब पिछले 5 साल से बेहतर प्रदर्शन किया है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आगे भी ये रणनीतियां लगातार सफल साबित होती रहें। ऐसे मामले देखे गए हैं जब ‘क्वालिटी’ निवेश रणनीति ने वैल्यू और मोमेंटम के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया। उदाहरण के लिए, 2018 से 2020 की अवधि में ऐसा देखा गया।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वृद्धि में मंदी के संकेत दिखने और निवेशक धारणाओं में बदलाव के कारण निवेश शैलियों में पर्याप्त विविधता बनाए रखने से निवेश शैलियों के सापेक्ष प्रदर्शन से जुड़े चक्रीयता के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है। क्वालिटी निवेश शैली अपनाने वाले फंडों को अनदेखा करना गलती होगी, भले ही पिछले पांच वर्षों में उन्होंने निरंतर दमदार प्रदर्शन नहीं किया हो।’