Defense mutual funds
भारत और पाकिस्तान के तनाव और उसके बाद रक्षा शेयरों में आई तेजी से रक्षा सेक्टर के म्युचुअल फंडों के निवेशकों राहत दी है। इसमें काफी तेजी आने के बाद अधिकतर निवेशकों ने इस थीम में निवेश किया था। पिछले साल अधिकतर रक्षा फंड पेश किए गए थे और वे मजबूत निवेश आकर्षित करने में सफल रहे थे। लेकिन वे बाजार की गिरावट में फंस गए और बीते वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में रक्षा शेयरों की गिरावट ने उनके शुद्ध परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) को 10 रुपये के स्तर से नीचे ला दिया।
निवेश के लिहाज से रक्षा शेयर सबसे छोटे सेक्टरों में से एक है और जून 2023 में पहली बार एचडीएफसी डिफेंस फंड के साथ कोई पहली समर्पित म्युचुअल फंड योजना आई थी। यह रक्षा क्षेत्र में एकमात्र ऐक्टिव फंड है। पहले फंड की शुरुआत के एक साल बाद तीन फंड कंपनियों ने रक्षा क्षेत्र में पांच योजनाएं उतारी थी। मोतीलाल ओसवाल, आदित्य बिड़ला सन लाइफ और ग्रो ने पिछले साल जुलाई से अक्टूबर के बीच निफ्टी इंडिया डिफेंस फंड को ट्रैक करने वाले पैसिव फंड पेश किए थे।
मगर ये योजनाएं ऐसे वक्त आईं जब थीम पहले ही भर चुकी थी। निफ्टी इंडिया डिफेंस सूचकांक पिछले नौ महीनों में दोगुना से ज्यादा बढ़कर जुलाई 2024 में अपने शिखर पर पहुंच गया था। इस प्रदर्शन के कारण ही मौजूदा योजनाओं के साथ-साथ नई पेशकशों में भी भारी-भरकम निवेश आया। मोतीलाल ओसवाल निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स फंड ने नए फंड ऑफरिंग (एनएफओ) से 1,676 करोड़ रुपये जुटाए थे जो उस वक्त किसी इक्विटी इंडेक्स फंड की ओर से जुटाई गई सबसे बड़ी रकम थी।
मगर पिछले साल जुलाई में गिरावट के बाद से योजनाओं को तगड़ा नुकसान हुआ। इस साल 18 फरवरी तक निफ्टी इंडिया डिफेंस सूचकांक अपने सर्वोच्च स्तर से 38 फीसदी से ज्यादा लुढ़क गया था। हालांकि, उसके बाद 21 मई तक सूचकांक 62 फीसदी उछलकर 9,146 अंकों के नए शिखर पर पहुंच गया है।
गिरावट के कारण निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा और नई योजनाओं के एनएवी लॉन्च स्तर से 30 फीसदी ज्यादा गिर गए थे। हालांकि, हालिया तेजी से वह नुकसान खत्म हो गया है। जानकारों का कहना है कि इस क्षेत्र की दीर्घकालिक संभावनाएं अच्छी हैं। लेकिन निवेशकों को इस थीम पर दांव लगाते समय सतर्क रहना चाहिए।
रेलिगेयर ब्रोकिंग में रिटेल रिसर्च के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवि सिंह ने कहा, ‘पिछले तीन महीनों में निफ्टी डिफेंस सूचकांक में मजबूत सरकारी नीति समर्थन और भू-राजनीतिक तनावों के कारण तेज उछाल देखा गया है। उछाल के बावजूद मजबूत ऑर्डर बुक और दमदार निष्पादन क्षमता वाली कंपनियां अभी भी उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं।’