म्युचुअल फंड

Budget 2025: म्युचुअल फंड में टैक्स नियम सरल बनाने की जरूरत, इंडस्ट्री ने सरकार के सामने रखीं बजट डिमांड

एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने म्युचुअल फंड उद्योग को बढ़ावा देने और निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से एक 13-सूत्रीय प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।

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सुनयना चड्ढा   
Last Updated- January 08, 2025 | 2:04 PM IST

Mutual Fund Budget 2025 Proposals: मोदी सरकार वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट तैयार करने में जुटी है। 68 लाख करोड़ रुपये के म्युचुअल फंड उद्योग ने भी सरकार के सामने अपनी मांगों और सिफारिशों की एक लंबी फेहरिस्त रखी है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने म्युचुअल फंड उद्योग को बढ़ावा देने और निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से एक 13-सूत्रीय प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। इन सिफारिशों में 2024 के बजट में हटाए गए डेट स्कीमों के लिए लॉन्ग टर्म इंडेक्सेशन बेनेफिट को बहाल करने और कैपिटल गेन पर टैक्स की पिछली दरों को फिर से लागू करने का अनुरोध किया है।

1. लॉन्ग टर्म इंडेक्सेशन बेनेफिट को फिर से बहाल किया जाए

AMFI का सबसे प्रमुख प्रस्ताव डेट म्युचुअल फंड्स के लिए लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर इंडेक्सेशन लाभ को बहाल करना है। पहले, इस प्रावधान के तहत निवेशकों को अपने कैपिटल गेन को महंगाई के अनुसार एडजस्ट करने की अनुमति दी जाती थी, जिससे वास्तविक रिटर्न का अधिक सटीक आकलन संभव हो पाता था। जुलाई 2024 के बजट में इसे हटा दिया गया। इस कदम को डेट म्युचुअल फंड्स में लंबी अवधि के निवेशकों के लिए नुकसानदायक माना गया था। इस इंडेक्सेशन को फिर से लागू करना न केवल निवेशकों के रिटर्न को बढ़ाएगा, बल्कि एक स्थिर निवेश वातावरण को भी बढ़ावा देगा।

2. कैपिटल गेन पर पहले के टैक्स रेट को फिर से बहाल करने का अनुरोध

AMFI का अनुरोध है कि डेट-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड्स की यूनिट्स के रिडेम्प्शन पर, जो 1 वर्ष से अधिक समय तक रखी गई हों, कैपिटल गेन पर 12.5% की रेट से टैक्स लगाया जाए, जैसा कि लिस्टेड बॉड्स पर लागू होता है। यह बदलाव भारत के अभी तक अविकसित डेट बाजार में खुदरा निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए बहुत जरूरी है।

वर्तमान स्थिति: वित्त अधिनियम, 2023 ने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) टैक्स को 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया, जिससे टैक्स देनदारी 30% तक बढ़ गई। इसी तरह, लॉग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स को 10% से बढ़ाकर 12.5% किया गया, जिससे टैक्स देनदारी में 25% की वृद्धि हुई।

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3. सभी म्युचुअल फंड्स को पेंशन ओरिएंटेड MF स्कीम्स शुरू करने की अनुमति दी जाए

सेबी (SEBI) में रजिस्ट्रेड म्युचुअल फंड्स को पेंशन-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड योजनाएं, जैसे ‘म्युचुअल फंड लिंक्ड रिटायरमेंट स्कीम’ (MFLRS), शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए। इन योजनाओं को आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80CCD (1) और 80CCD (1B) के तहत एनपीएस (NPS) के समान टैक्स में लाभ प्रदान किए जाने चाहिए। साथ ही, इन्हें समान उत्पादों के लिए समान कर उपचार के सिद्धांत के आधार पर Exempt-Exempt-Exempt (E-E-E) स्थिति दी जानी चाहिए।

4. इनऑपरेटिव पैन पर TDS में छूट का अनुरोध

AMFI ने CBDT (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) से अनुरोध किया है कि यह स्पष्ट किया जाए कि म्युचुअल फंड एएमसी द्वारा निवेशक के ऑनबोर्डिंग के समय पैन वैध होने की स्थिति में, पैन निष्क्रिय होने पर म्युचुअल फंड्स को उच्च दर पर टीडीएस काटने की आवश्यकता नहीं होगी।

5. ELSS नियम 3ए में संशोधन का प्रस्ताव

ELSS (इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम) में निवेश के नियमों को लेकर बड़ा बदलाव प्रस्तावित किया गया है। वर्तमान में ELSS में निवेश ₹500 के गुणकों में करना अनिवार्य है, लेकिन नए प्रस्ताव में इस शर्त को हटाने की सिफारिश की गई है।

प्रस्ताव के अनुसार, निवेशक ₹500 की न्यूनतम सीमा पूरी होने के बाद किसी भी राशि का निवेश कर सकेंगे। यह कदम निवेशकों को अधिक स्वतंत्रता देगा और उन्हें अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार निवेश करने की सुविधा प्रदान करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से ELSS अधिक निवेशक-अनुकूल बन जाएगा और निवेशकों को छोटे-छोटे निवेश करने में आसानी होगी।

6. ELSS योजनाओं के बीच स्विच पर कैपिटल गेन टैक्स से छूट का प्रस्ताव

ELSS योजनाओं के बीच स्विच करने पर कैपिटल गेन टैक्स से छूट दी जाए। यह कदम निवेशकों को बिना अतिरिक्त टैक्स का बोझ उठाए अपने पोर्टफोलियो को बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करेगा। इससे वे अपने निवेश को अधिक कुशलता से मैनेज कर सकेंगे।

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7. म्युचुअल फंड्स के लिए टैक्स नियमों को सरल बनाने का प्रस्ताव

सभी म्युचुअल फंड योजनाओं के लिए टैक्सेशन की प्रक्रिया को मानकीकृत (Standardize) किया जाए, ताकि इसे स्पष्ट और सरल बनाया जा सके। एक सरल और स्पष्ट कर संरचना से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और म्युचुअल फंड बाजार में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहन मिलेगा।

8. वैकल्पिक निवेश फंड्स (AIFs) को टैक्स छूट के दायरे में लाया जाए

वैकल्पिक निवेश फंड्स (AIFs) को कर छूट के दायरे में लाया जाए। यह कदम AIFs को अधिक आकर्षक बनाएगा और इस क्षेत्र में अधिक निवेश आकर्षित करेगा।

9. ESG निवेश को प्रोत्साहन

ESG (पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन) के अनुरूप म्युचुअल फंड्स में निवेश के लिए कर प्रोत्साहन शुरू किया जाए। यह पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन केंद्रित निवेश को बढ़ावा देना वैश्विक रुझानों और निवेशकों की प्राथमिकताओं के अनुरूप है।

AMFI ने सुझाव दिया है कि KYC (Know Your Customer) प्रक्रिया को सरल बनाया जाए, ताकि कम प्रतिनिधित्व वाले वर्गों सहित नए निवेशकों को आकर्षित किया जा सके। इसके अलावा, AMFI ने कुछ अन्य महत्वपूर्ण सिफारिशें भी की हैं, जिनमें सरकारी प्रायोजित योजनाओं में म्युचुअल फंड्स को बढ़ावा देना, SIP के बारे में जागरूकता बढ़ाना, और उद्योग के डिजिटल परिवर्तन को प्रोत्साहित करना शामिल है।

First Published : January 8, 2025 | 10:50 AM IST