कॉरपोरेट बॉन्डों में म्युचुअल फंड निवेश पांच साल में सपाट रहा

भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (Amfi) के आंकड़े के अनुसार यह सुस्ती इस अवधि के दौरान प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (AUM) दोगुनी होने के बावजूद देखी गई है।

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अभिषेक कुमार   
अंजलि कुमारी   
Last Updated- January 28, 2024 | 11:01 PM IST

करीब 50 लाख करोड़ रुपये मूल्य के घरेलू म्युचुअल फंड (एमएफ) उद्योग का कॉरपोरेट बॉन्ड निवेश पिछले पांच साल के दौरान काफी हद तक स्थिर बना रहा। सक्रिय तौर पर प्रबंधित डेट फंड अप्रैल 2019 के अंत में 6.73 लाख करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों का प्रबंधन कर रहे थे। डेट फंडों को अपने कोष का बड़ा हिस्सा कॉरपोरेट बॉन्डों में निवेश करने की सुविधा होती है। पिछले महीने तक इनकी परिसंपत्तियां महज 9 प्रतिशत तक बढ़कर 7.3 लाख करोड़ रुपये दर्ज की गईं।

भारत में म्युचुअल फंडों के संगठन (एम्फी) के आंकड़े के अनुसार यह सुस्ती इस अवधि के दौरान प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियां (एयूएम) दोगुनी होने के बावजूद देखी गई है। एयूएम में निश्चित योजनाओं की परिसंपत्तियां और भारत बॉन्ड ईटीएफ शामिल होते हैं और ओवरनाइट, लिक्विड, मनी मार्केट इसमें नहीं होते हैं।

हालांकि कॉरपोरेट बॉन्ड-केंद्रित फंड योजनाओं की एयूएम से कॉरपोरेट प्रतिभूतियों के प्रति निवेशकों की दिलचस्पी का सटीक अंदाजा नहीं लगता है। इनमें से कई योजनाएं सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक), राज्य विकास ऋणों (एसडीएल) और मनी मार्केट जैसे साधनों में भी निवेश करती हैं और ये ही पसंदीदा रही हैं।

सेबी के सदस्य अनंत नारायण ने पिछले सप्ताह के शुरू में एक कार्यक्रम में कहा कि इस निवेश की भागीदारी में गिरावट की वजह आईएलऐंडएफएस संकट से निवेशकों का भरोसा डगमगाना और पूंजी निर्माण की रफ्तार प्रभावित होना है। उन्होंने कहा, ‘हमने डेट बाजार में पूंजी निर्माण के पांच साल गंवा दिए हैं, क्योंकि लोगों का इस पर भरोसा घटा है।’

उद्योग की कंपनियों का कहना है कि 2018 में आईएलऐंडएफएस संकट के अलावा, 2020 में फ्रैंकलिन टेम्पलटन एमएफ द्वारा 6 क्रेडिट रिस्क फंडों को बंद करने, 2021 में ब्याज दरों में कटौती की वजह से प्रतिफल में कमी, डेट फंडों में कराधान संबंधित हाल के बदलाव जैसे अन्य घटनाक्रम से डेट योजनाओं के प्रति निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई है।

हाल के समय में सॉवरिन बॉन्डों के प्रति फंड प्रबंधकों की बढ़ती पसंद से भी एमएफ का कॉरपोरेट बॉन्ड निवेश प्रभावित हुआ है। इन पांच वर्ष के दौरान जी-सेक (सरकार की प्रतिभूतियां) पसंदीदा विकल्प बने रहे। हाल में जी-सेक और कॉरपोरेट बॉन्डों के बीच कम अंतर की वजह से भी यह बदलाव देखा गया।

डीएसपी म्युचुअल फंड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) संदीप यादव ने कहा, ‘हमारी जी-सेक पोजीशन काफी हद तक इस धारणा पर केंद्रित है कि प्रतिफल और कम होना है। इसलिए हम अपने फंडों में लंबी परिपक्वता वाली प्रतिभूतियों को शामिल करना पसंद करते हैं।’

कई डायनेमिक बॉन्ड फंडों, कई सक्रिय तौर पर प्रबंधित डेट फंडों ने पिछले कुछ साल के दौरान जी-सेक की भागीदारी में इजाफा दर्ज किया है। उदाहरण के लिए कोटक एमएफ के डायनेमिक बॉन्ड फंड का अब जी-सेक में 64 प्रतिशत निवेश है जो दिसंबर 2021 में 63 प्रतिशत था।

निप्पॉन इंडिया और बंधन जैसे फंड हाउस तो सिर्फ जी-सेक के साथ ही डायनेमिक बॉन्ड फंडों का प्रबंधन कर रहे हैं। हालांकि अब कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों का आकर्षण बढ़ना शुरू हो गया है।

First Published : January 28, 2024 | 9:43 PM IST