भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आज सरकारी बॉन्डों की मांग को बढ़ाने, प्रतिफल को नियंत्रण में रखने और प्रणाली में तरलता में सुधार लाने के लिए कई उपायों की घोषणा की है। रिजर्व बैंक ने महंगाई परिदृश्य और राजकोषीय स्थिति से जुड़ी चिंताओं के जरिये बाजार की धारणा पर पडऩे वाले असर का जिक्र किया। रिजर्व बैंक ने उन वैश्विक कदमों के बारे में भी बताया जिससे विदेश में प्रतिफल मजबूत हुआ है।
केंद्रीय बैंक ने यह भी इंगित किया है कि रुपये के चढऩे से उसे मदद मिल रही है। इसके कारण आयात से जुड़ी महंगाई में कमी लाने में मदद मिल रही है। रिजर्व बैंक ने कहा कि वह अर्थव्यवस्था में सुविधाजनक तरलता और वित्तीय स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सरकारी बॉन्डों की मांग को बढ़ाने के लिए कदम उठाते हुए रिजर्व बैंक ने बैंकों की होल्ड टू मैच्युरिटि (एचटीएम) सीमा में अच्छा खासा इजाफा किया है। एचटीएम श्रेणी में बैंकों को मौजूदा बाजार दरों से अपने निवेशों का उचित मूल्य लेखांकन (मार्क टू मार्केट) नहीं करना होगा और इसलिए बैंकों को कोई आय व्यय नुकसान नहीं होगा।
फिलहाल, ऐसा माना जा रहा है कि बैंक अपने समग्र बॉन्ड होल्डिंग का एक चौथाई एचटीएम श्रेणी में बानए रखेंगे। बैंकों को अपने जमा आधार का कम से कम 18 फीसदी सरकारी बॉन्डों में रखना पड़ता है, जिसे सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) भी कहा जाता है। इस 18 फीसदी एसएलआर के 25 फीसदी एचटीएम अनुमानित होने पर भी, रिजर्व बैंक ने एचटीएम निवेश को बढ़ाने की अनुमति दी है बशर्ते कि यह जमा आधार के 19.5 फीसदी के समग्र सीमा के भीतर बनी रहे। इस 19.5 फीसदी की सीमा को बढ़ाकर अब 22 फीसदी कर दिया गया है।
रिजर्व बैंक की गणना के मुताबिक बड़े बैंकों की ओर से एचटीएम श्रेणी में रखे गए सरकारी प्रतिभूतियों का मूल्य उनकी जमा दर का करीब 17.3 फीसदी होता है, जबकि कुछ मामलों में यह 19.5 फीसदी की सीमा तक पहुंच गई थी। बॉन्ड व्यापारियों का कहना है कि इस 2.5 फीसदी की अतिरिक्त सीमा का मतलब होगा कि इससे करीब 3.56 लाख करोड़ रुपये की मांग का सृजन होगा। 1 सितंबर से 31 मार्च तक नए अधिग्रहण किए जाएंगे। उसके बाद छूटों की समीक्षा की जाएगी।
इससे सरकार के 12 लाख करोड़ रुपये की उधारी कार्यक्रम के लिए अतिरिक्त मांग के सृजन में मदद मिलेगी। केंद्रीय केंद्रीय बैंक ने पहली छमाही के 7 लाख करोड़ रुपये की उधारी का करीब 90 फीसदी से अधिक उधारी निपटा दिया है। केंद्रीय बैंक को साल के अंत तक राज्यों द्वारा लिए जाने वाली बड़ी उधारी और संभवत: केंद्र द्वारा लिए जाने वाली अतिरिक्त उधारी का भी प्रबंध करना है। लक्ष्मी विलास बैंक के कोषाध्यक्ष आर के गुरुमूर्ति ने कहा, ‘रिजर्व बैंक के उपायों का प्रत्यक्ष लक्ष्य व्यवस्थित बाजार स्थितियों को बरकरार रखना है और यह सुनिश्चित करना है कि वित्तीय स्थिति हमेशा ही अनुकूल बनी रहे।’