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SME की लिस्टिंग में जोड़तोड़

SME Listing 2024: सेबी प्रमुख ने स्मॉलकैप के उफान से निवेशकों को सुरक्षित रखने के लिए ट्रस्टियों को नीति बनाने को कहा

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- March 11, 2024 | 10:51 PM IST

बाजार नियामक ने सोमवार को कहा कि सेबी को छोटे व मझोले उद्यम (एसएमई) के क्षेत्र में कारोबार और इश्यू के स्तर पर जोड़तोड़ के संकेत नजर आए हैं और निवेशकों की सुरक्षा के लिए वह और खुलासा जरूरतों पर काम कर रहा है।

सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच का बयान ऐसे समय आया है जब बाजार नियामक एसएमई आईपीओ में बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए आवेदनों के आंकड़ों को लेकर निवेश बैंकों की जांच कर रहा है और उसने मामला आरबीआई को भेज दिया है।

सूत्रों के मुताबिक सेबी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए आवेदनों के कई मामलों की जांच कर रहा है और इनमें एसएमई के रास्ते का दुरुपयोग भी हुआ है। बुच ने कहा कि मुख्य मकसद कीमतों में जोड़तोड़ का जोखिम कम करना है। इसमें पहला कदम जोखिम को लेकर कुछ और खुलासे का है ताकि निवेशक समझ सकें कि एसएमई सेगमेंट मुख्य आईपीओ प्लेटफॉर्म से अलग होता है और दोनों के नियम अलग हैं और जोखिम भी अलग-अलग हैं।

उन्होंने कहा कि विशिष्ट मसलों पर स्टॉक एक्सचेंजों का ​निरीक्षण किया गया है ताकि सुनि​श्चित हो कि एसएमई की सूचीबद्धता के मामले में उचित खुलासे किए गए थे या नहीं। बुच ने कहा कि ​आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल से नियामक दस्तावेज की जांच में सुधार लाने में सक्षम होगा और स्वचालित निगरानी की ओर बढ़ सकेगा। स्टॉक एक्सचेंजों ने हाल में एसएमई शेयरों पर भी अतिरिक्त निगरानी की व्यवस्था लगाई है और इसके मुख्य प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए नियम भी सख्त बनाए हैं।

स्मॉलकैप व मिडकैप में बुलबुला

एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के कार्यक्रम में सेबी प्रमुख ने कहा कि स्मॉलकैप व मिडकैप म्युचुअल फंडों की स्ट्रेस टेस्टिंग के आंकड़े 15 मार्च को सार्वजनिक कर दिए जाएंगे। स्ट्रेस टेस्टिंग से इन क्षेत्रों में नकदी व निवेश निकासी से जुड़ी चुनौतियों की पहचान करने में मदद दमिलेगी। ज्यादा खुलासों से निवेशक सही फैसला ले पाने में सक्षम होंगे।

बुच ने कहा कि बाजार में कुछ हिस्से अलग तरह के हैं। कुछ इसे बुलबुले का नाम देते हैं। बुलबुला बनने देना सही नहीं होगा क्योंकि जब यह फूटता है तो निवेशकों पर बुरा असर डालता है। उद्योग को ऐसे बुलबुले को हवा नहीं देना चाहिए और म्युचुअल फंड ट्रस्टियों को इस जोखिम के प्रबंधन के लिए नीति बनानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि स्ट्रेस टेस्टिंग का मकसद यह जांच करने का है कि अगर निवेश निकासी का भारी दबाव हो तो हर योजना को अपने अंतर्निहित पोर्टफोलियो से बाहर निकलने में कितने दिन लगेंगे। इसमें निवेशकों की सुरक्षा भी करनी होगी जिससे कि बाद में निकासी करने वाले निवेशक न फंस जाएं।

29 फरवरी को एम्फी ने म्युचुअल फंडों को स्ट्रेस टेस्ट करने और इसकी रिपोर्ट का खुलासा 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर करने को कहा था। सेबी ने म्युचुअल फंडों से उन लोगों के लिए निवेशक सुरक्षा ढांचा बनाने के लिए कहा है जो स्मॉलकैप व मिडकैप में बेतुकी तेजी के बीच इस सेगमेंट में निवेश कर रहे हैं।

First Published : March 11, 2024 | 10:51 PM IST