एलआईसी ने इक्विटी में की मोटी कमाई

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 4:03 AM IST

शेयर बाजार में मार्च 2020 के निचले स्तर से तीव्र सुधार ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के इक्विटी पोर्टफोलियो की कीमत में अप्रैल के मुकाबले 1.4 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी कर दी है। मार्च 2020 की तिमाही के आखिर में सूचीबद्ध कंपनियों में बीमा कंपनी की हिस्सेदारी 4.32 लाख करोड़ रुपये की थी, जो अब बढ़कर 5.76 लाख करोड़ रुपये की हो गई है। इस तरह से इक्विटी पोर्टफोलियो 33 फीसदी यानी 1.4 लाख करोड़ रुपये बढ़ गया। वित्त वर्ष 2020-21 में अब तक एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी-50 में क्रमश: 28 फीसदी व 29 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
यह अध्ययन कैपिटालाइन प्लस की तरफ से उपलब्ध कराए गए 351 कंपनियों के आंकड़ों पर आधारित है, जहां एलआईसी की हिस्सेदारी जून 2020 की तिमाही में एक फीसदी से ज्यादा है। बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के कुल बाजार पूंजीकरण में इन कंपनियों की हिस्सेदारी 72 फीसदी है।
एलआईसी के पोर्टफोलियो में हुई बढ़ोतरी में बड़ा योगदान रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में मार्च 2020 के निचले स्तर से हुई 150 फीसदी से ज्यादा की उछाल का रहा। इस अवधि में बीमा कंपनियोंं को हुए कुल लाभ में इस शेयर का योगदान एक चौथाई यानी 38,972 करोड़ रुपये का रहा। मुकेश अंबानी के नियंत्रण वाली कंपनी में एलआईसी की हिस्सेदारी 5.79 फीसदी है।
सूचना प्रौद्योगिकी दिग्गज इन्फोसिस में एलआईसी की हिस्सेदारी 7.19 फीसदी है और इस शेयर ने बीमा कंपनी के खजाने में 11,403 करोड़ रुपये जोड़े। इसके अलावा आईडीबीआई बैंक ने कुल लाभ में 11,250 करोड़ रुपये का योगदान किया, जहां एलआईसी प्रवर्तक है और उसके पास बैंक की 51 फीसदी हिस्सेदारी है। टाटा कंसल्सेंसी सर्विसेज ने इसमें 7,340 करोड़ रुपये का योगदान किया जबकि एचडीएफसी बैंक, आईटीसी, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, एचडीएफसी और मारुति सुजूकी ने एलआईसी के पोर्टफोलियो में 3,700 से 4,700 करोड़ रुपये की बीच योगदान किया।
पिछले कुछ महीनोंं से हो रही उछाल ने अब बाजारों की आगे की राह को लेकर विशेषज्ञों को सतर्क कर दिया है। वेलेंंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक व प्रबंध निदेशक ज्योतिवर्धन जयपुरिया ने चेतावनी देते हुए कहा, अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक  होने के बाद भी हमें याद रखना चाहिए कि महामारी अभी दूर नहीं हुई है।
उन्होंने कहा, मार्च 2020 के निचले स्तर से निफ्टी में तेज उछाल के बाद हम गिरावट व एकीकरण के दौर में प्रवेश कर रहे हैं। मध्यम अवधि के परिदृश्य के लिहाज से हम अभी भी सकारात्मक हैं। अगर हम बाजार को आगे बढ़ाने वाले तीन अहम मॉडलों को देखें तो हम अभी भी आय चकक्र के निचले स्तर पर हैं और बाजार को आगे बढ़ाने के लिए यह प्राथमिक संकेतक बना रहेगा। इसके अलावा मूल्यांकन उचित स्तर पर है, जो सस्ते नहीं हैं। साथही इक्विटी का रिटर्न अभी भी कमजोर है, ऐसे में इसमें पलटाव हो सकता है।
विश्लेषकों ने कहा, मोरेटोरियम अभी बना हुआ है, लिहाजा वित्तीय क्षेत्र की परिसंपत्ति गुणवत्ता की वास्तविक स्थिति मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में ही उभरेगी। एनबीएफसी व एचएफसी समेत बैंकिंग क्षेत्र के बारे में उनका मानना है कि ये बढ़त, परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभ के मोर्चे पर अल्पावधि के अवरोध का सामना कर सकते हैं।
निफ्टी-50 से बाहर एलआईसी ने 28 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी एक फीसदी तक बढ़ाई है। हालांकि उसने ब्रिटानिया, नेस्ले इंडिया, डॉ. रेड्डीज, सिप्ला और बजाज ऑटो समेत सात कंपनियों में हिस्सेदारी करीब एक-एक फीसदी घटाई है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम ने कहा, पोर्टफोलियो की रणनीति के तौर पर निवेशक रक्षात्मक शेयरों पर ध्यान दे सकते हैं क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण चारों तरफ अनिश्चितता है।

First Published : July 31, 2020 | 12:20 AM IST