कोविड संकट के कारण कंपनियों की उस आय को तगड़ा झटका लग सकता है जो सितंबर 2019 में कॉरपोरेट आयकर में हुई कटौती के कारण अर्जित हुई थी। बेंचमार्क निफ्टी 50 सूचकांक की प्रति शेयर आय (ईपीएस) जनवरी 2020 में 453 रुपये प्रति इकाई थी जो अब घटकर 428 रुपये प्रति इकाई रह गई है। इस प्रकार यह धीरे-धीरे कॉरपोरेट कर में कटौती से पहले के स्तर की ओर बढ़ रही है।
पिछले साल सितंबर में की गई कॉरपोरेट कर में कटौती के कारण इस सूचकांक में शामिल कंपनियों के कर बाद मुनाफे में 10 फीसदी की वृद्धि हुई थी और निफ्टी ईपीएस बढ़कर 450 रुपये हो गई थी जो सितंबर 2019 के मध्य में 410 रुपये रही थी। विश्लेषकों का मानना है कि सूचकांक आय में आगे और गिरावट दिख सकती है क्योंकि अगले दो सप्ताह के दौरान कई निफ्टी कंपनियां अपने चौथी तिमाही के वित्तीय नतीजे की घोषणा करेंगी। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज के गौतम दुग्गड और देवेन मिस्त्री ने वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही के वित्तीय नतीजों की अपनी अंतरित समीक्षा में लिखा है, ‘निफ्टी और मोतीलाल ओसवाल दोनों से संबंधित कंपनियों ने कर पूर्व और कर बाद मुनाफे के मोर्चे पर अब तक कमजोर प्रदर्शन किया है। वित्त वर्ष 2021 के लिए आय अनुमान में संशोधन काफी हद तक डाउनग्रेड और प्रबंधन की उन टिप्पणियों पर आधारित है जिसमें कहा गया है कि आगे आय में कहीं अधिक अस्थिरता और व्यवधान का संकेत मिलता है। साथ ही वित्त वर्ष 2021 के लिए कई निफ्टी कंपनियों की ईपीएस में दो अंकों में कटौती दिख रही है।’
यह रुझान बताता है कि सूचकांक आय 2014 की शुरुआत के स्तर तक लुढ़क सकती है। वर्तमान स्तर पर निफ्टी ईपीएस अब सितंबर 2014 तिमाही के स्तर पर है और यदि इसमें 5 फीसदी की और गिरावट होती है तो 2014 की शुरू से हासिल पूरी आय वृद्धि खत्म हो सकती है। निफ्टी ईपीएस जनवरी से मार्च 2014 तिमाही के दौरान करीब 400 रुपये थी।
यूबीएस सिक्योरिटीज इंडिया के गौतम छौछारिया ने कहा, ‘अन्य एशियाई देशों की तुलना में भारत के विनिर्माण एवं सेवाओं के पर्चेर्जिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में गिरावट और वस्तु निर्यात आंकड़ों में गिरावट काफी अधिक है। मार्च और अप्रैल में यूबीएस इंडिया फाइनैंशियल कंडीशंस इंडेक्स में काफी गिरावट दिखी थी और मई में भी इसमें कोई सुधार के आसार नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में निकट भविष्य में सुधार की उम्मीद धूमिल हुई है।’
सभी 28 निफ्टी कंपनियों ने वित्त वर्ष 2020 की चौथी तिमाही के लिए अपने वित्तीय नतीजों की घोषणा कर दी है। इनमें से 20 कंपनियों ने अपने कर पूर्व मुनाफे में गिरावट दर्ज की हैं। इन सभी 28 सूचकांक कंपनियों के एकीकृत कर पूर्व मुनाफे में चौथी तिमाही के दौरान 29.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई जबकि उनके एकीकृत शुद्ध मुनाफे में 18.6 फीसदी की गिरावट रही।