निर्धारित सीमा से अधिक इक्विटी होल्डिंग के अधिग्रहण के मामले में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) को अब सरकार से आवश्यक मंजूरी लेने के अलावा निवेश वाली कंपनियों से भी सहमति लेनी होगी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने आज इस संबंध में निर्देश जारी किया।
नियामकों ने एफपीआई द्वारा किए गए विदेशी निवेश को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के तौर पर नए सिरे से वर्गीकृत करने के लिए एक संचालन फ्रेमवर्क जारी किया। उसमें निर्धारित सीमा के उल्लंघन के मामले में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है।
फेमा मानदंडों के तहत कुल चुकता इक्विटी पूंजी में एफपीआई के निवेश के लिए 10 फीसदी सीमा निर्धारित की गई है। अगर इस सीमा का उल्लंघन किया जाता है तो एफपीआई को कुछ शर्तों के साथ अपनी अतिरिक्त होल्डिंग्स को बेचने अथवा उसे एफडीआई के रूप में नए सिरे से वर्गीकृत करने का विकल्प दिया गया है। इन नियमों के तहत ऐसा करने के लिए लेनदेन पूरा हाेने के बाद पांच दिनों का समय दिया गया है।
विशेषज्ञों ने कहा कि आरबीआई और सेबी की ओर से जारी परिपत्र में स्पष्ट किया गया है कि ऐसे मामलों में अतिरिक्त निवेश करने से पहले सरकार से मंजूरी लेनी होगी। साथ ही एफपीआई को अपने निवेश को एफडीआई के तौर पर नए सिरे से वर्गीकृत करने के इरादे को भी स्पष्ट करना होगा।
डेलॉयट के पार्टनर राजेश गांधी ने कहा, ‘यह संचालन फ्रेमवर्क अब भारतीय कंपनियों में 10 फीसदी से अधिक एफपीआई निवेश का मार्ग प्रशस्त करेगा। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि सीबीडीटी की ओर से इस संबंध में कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया है। मगर कोई यह दलील दे सकता है कि इस निवेश को कर उद्देश्यों से भी एफडीआई माना जाना चाहिए। इसका मतलब यह हुआ कि निवेश को नए सिरे से वर्गीकृत किए जाने के बाद उसकी बिक्री पर टीडीएस देय होगा।’
गौरतलब है कि कुछ प्रतिबंधित क्षेत्रों में एफपीआई निवेश को एफडीआई में नए सिरे से वर्गीकृत करने की अनुमति नहीं होगी। परिपत्र में कहा गया है, ‘सरकार से ली जाने वाली आवश्यक मंजूरियों में सीमावर्ती देशों से आने वाले निवेश के मामले में अपेक्षित मंजूरी भी शामिल है। साथ ही यह सुनिश्चित करना आवश्यक होगा कि निर्धारित सीमा से अधिक का अधिग्रहण एफडीआई के लिए लागू प्रावधानों के अनुसार किया जाए।
इसका मतलब यह हुआ कि निवेश अनुसूची-1 के नियमों के तहत एफडीआई के लिए प्रवेश मार्ग, क्षेत्रवार सीमाएं, निवेश सीमाएं, मूल्य निर्धारण संबंधी दिशानिर्देश एवं अन्य संबंधित शर्तों के अनुरूप होना चाहिए।’
निवेश को नए सिरे से वर्गीकृत किए जाने के बाद कंपनी में एफपीआई का पूरा निवेश एफडीआई माना जाएगा। ऐसे में निवेश 10 फीसदी से कम होने के बावजूद एफडीआई श्रेणी में ही बरकरार रहेगा। आरबीआई और सेबी ने इस तरह के उल्लंघन की जानकारी देने और नए सिरे से वर्गीकरण के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया को साझा किया है।