ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मीशो ने गोपनीय तरीके से बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास 4,250 करोड़ रुपये के आईपीओ के लिए आवेदन किया है। इस साल सूचीबद्ध होने की इच्छुक स्टार्टअप्स की दौड़ में यह भी शामिल हो गई है। बेंगलूरु की इस कंपनी का इरादा सितंबर या अक्टूबर में बाजार में उतरने का है।
हाल में मीशो भारत का तीसरा सबसे बड़ा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है और वह वित्त वर्ष 2025 के दौरान 6.2 अरब डॉलर के सकल व्यापारिक मूल्य रन रेट पर पहुंच गया है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 में राजस्व में 33 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। उसका राजस्व 7,615 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। पिछले वर्ष उसे 1,569 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था जो कम होकर 53 करोड़ रुपये रह गया।
मीशो की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता ने फ्लिपकार्ट और एमेजॉन का दबदबा छिन्न-भिन्न कर दिया है। पिछले चार सालों में कंपनी ने अपनी बाजार हिस्सेदारी को बढ़ाकर 2024 तक 8.9 फीसदी कर लिया है। इसके उलट सीएलएसए की रिपोर्ट के अनुसार फ्लिपकार्ट की हिस्सेदारी 2020 की 33.7 फीसदी से घटकर 32.1 फीसदी रह गई जबकि इसी अवधि में एमेजॉन की हिस्सेदारी 30.5 फीसदी से घटकर 28.3 फीसदी रह गई।
आईपीओ फाइलिंग से मीशो भारत के सार्वजनिक बाजार में उतरने की दौड़ में कई अन्य स्टार्टअप से आगे आ गई है। फिनटेक फर्म पाइन लैब्स ने पिछले हफ्ते ही बाजार नियामक के पास विवरणिका मसौदा जमा कराया जबकि फर्नीचर रिटेलर वेकफिट और क्लाउड किचन ऑपरेटर क्योरफूड्स ने हाल में प्री-आईपीओ दस्तावेज जमा कराए हैं।
सूत्रों के अनुसार कंपनी को पिछले सप्ताह अपने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के लिए आगे बढ़ने और सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी विदित आत्रे को अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में नामित करने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मिली। डेटा प्लेटफॉर्म ट्रैक्सन के अनुसार मार्च 2024 तक मीशो की वैल्यू करीब 3.9 अरब डॉलर थी।
सीएलएसए की एक हालिया रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि कंपनी वित्त वर्ष 2031 तक 26 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि की दर से बढ़ेगी क्योंकि मीशो का लाभ मौजूदा कंपनियों की कीमत पर आता है। मीशो ने कंपनी की आईपीओ योजनाओं पर टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया।